क्या आप जानते हैं कि आर्कटिक महासागर विश्व के महासागरों में सबसे छोटा और उथला है? इसका क्षेत्रफल लगभग 14 मिलियन वर्ग किलोमीटर (5.4 मिलियन वर्ग मील) है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के आकार का लगभग 1.5 गुना है।
अपने आकार के बावजूद, आर्कटिक महासागर अद्वितीय है। यह वर्ष के अधिकांश समय समुद्री बर्फ से ढका रहता है, जिससे ध्रुवीय भालू और सील जैसे विविध जीवों के लिए आवास उपलब्ध होता है।
इसकी औसत गहराई लगभग 1,205 मीटर (3,953 फीट) है। वहीं, सबसे गहरा बिंदु 5,502 मीटर (18,050 फीट) है।
ग्रीनलैंड, कनाडा, नॉर्वे, अलास्का और रूस आर्कटिक महासागर की सीमा पर स्थित हैं। इसका ठंडा तापमान और बर्फ से ढका पानी इसे अन्य महासागरों से अलग बनाता है।
आर्कटिक महासागर: दुनिया का सबसे छोटा महासागर
आर्कटिक महासागर को विश्व का सबसे छोटा महासागर माना जाता है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 14.05 मिलियन वर्ग किलोमीटर (लगभग 5.44 मिलियन वर्ग मील) है।
यह पृथ्वी के उत्तरी भाग में स्थित है, जो उत्तरी अमेरिका, यूरेशिया और ग्रीनलैंड के भूभागों से घिरा हुआ है।
इस महासागर की विशेषता इसका ठंडा तापमान है तथा यह वर्ष के अधिकांश समय बर्फ से ढका रहता है, जिससे इसमें नौवहन चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
आर्कटिक महासागर सबसे छोटा क्यों है? मुख्य तथ्य एवं आंकड़ें
आर्कटिक महासागर विश्व के महासागरों में सबसे छोटा है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 14.05 मिलियन वर्ग किलोमीटर (लगभग 5.44 मिलियन वर्ग मील) है। यहां कुछ प्रमुख तथ्य और आंकड़े दिए गए हैं, जो बताते हैं कि इसे यह उपाधि क्यों दी गई है:
आर्कटिक महासागर की मुख्य विशेषताएं
आकार और गहराई: आर्कटिक महासागर का क्षेत्रफल अन्य महासागरों की तुलना में काफी छोटा है, जो हिंद महासागर के आकार का लगभग छठा हिस्सा है। इसका सबसे गहरा बिंदु लगभग 5,502 मीटर (लगभग 18,050 फीट) है, लेकिन इसकी औसत गहराई केवल 987 मीटर (लगभग 3,240 फीट) के आसपास है।
बर्फ का आवरण: शीतकाल के दौरान महासागर लगभग पूरी तरह से समुद्री बर्फ से ढका रहता है तथा जलवायु परिवर्तन के कारण बर्फ के आवरण में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। उपग्रह डेटा से पता चलता है कि पिछले 25 वर्षों में आर्कटिक समुद्री बर्फ कवर में प्रति दशक लगभग तीन प्रतिशत की कमी आई है।
अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र: आर्कटिक महासागर में विविध प्रकार के समुद्री जीवन का वास है, जिसमें ध्रुवीय भालू, वालरस, विभिन्न व्हेल और मछलियां जैसी प्रजातियां शामिल हैं। पारिस्थितिकी तंत्र पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील है।
भौगोलिक संबंध: यह बेरिंग जलडमरूमध्य के माध्यम से प्रशांत महासागर से और ग्रीनलैंड सागर के माध्यम से अटलांटिक महासागर से जुड़ता है। इस महासागर में कई सीमांत समुद्र शामिल हैं, जैसे कि बैरेंट्स सागर और चुकची सागर।
लवणता और तापमान: नदियों से भारी मात्रा में मीठे पानी के प्रवाह और सीमित वाष्पीकरण के कारण आर्कटिक महासागर में विश्व के महासागरों में सबसे कम औसत लवणता है। इसका तापमान कभी भी हिमांक से ऊपर नहीं जाता, जिससे यहां बर्फीली स्थिति बनी रहती है।
पर्यावरणीय परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन आर्कटिक महासागर के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है, पूर्वानुमानों से संकेत मिलता है कि ग्रीष्मकालीन समुद्री बर्फ का आवरण 2100 तक गायब हो सकता है। इससे इसके पारिस्थितिकी तंत्र और वैश्विक जलवायु पैटर्न में भारी बदलाव आएगा।
गहराई: आर्कटिक महासागर सबसे उथला महासागर भी है, जिसकी औसत गहराई लगभग 988 मीटर (लगभग 3,240 फीट) और कनाडाई बेसिन में अधिकतम गहराई लगभग 5,502 मीटर (लगभग 18,050 फीट) है।
आकार की तुलना: यह संयुक्त राज्य अमेरिका के आकार का लगभग 1.5 गुना है, जो इसे प्रशांत और अटलांटिक महासागरों जैसे अन्य प्रमुख महासागरों की तुलना में काफी छोटा बनाता है।
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