दुनिया में वैज्ञानिक प्रगति दिन दूनी और रात चौगुनी गति से बढ़ रही है. एक तरफ इस प्रगति से लोगों के कल्याण और आराम की चीजें बनायीं जा रही हैं तो दूसरी तरफ मानव के विनाश के हथियार भी बनाये जा रहे हैं. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2016 में विश्व सैन्य खर्च 1686 अरब डॉलर रहा है. यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.2 प्रतिशत या प्रति व्यक्ति 227 डॉलर है. वर्ष 2011 में विश्व सैन्य खर्च 1699 अरब डॉलर के सर्वोच्च स्तर तक पहुँच गया था.
वित्त वर्ष 2018 के लिए अमेरिकी सैन्य बजट 824.6 अरब डॉलर है,जिसमें 1 अक्टूबर 2017 से 30 सितंबर, 2018 तक की अवधि को लिया गया है. इस खर्च में 574.5 अरब डॉलर का बेस बजट है अर्थात सिर्फ अमेरिकी सेना के विकास के लिए है जबकि इस्लामिक स्टेट और विदेशी जमीनों पर लड़ाई करने के लिए अलग से $64.6 बिलियन डॉलर का इंतजाम किया गया है. अमेरिका का रक्षा खर्च विश्व के सबसे अधिक सैन्य खर्च वाले 9 देशों के कुल रक्षा बजट से भी ज्यादा है. ज्ञातव्य है कि भारत का पूरा रक्षा बजट 56 अरब डॉलर का है. यहाँ पर यह बात जाननी भी जरूरी है कि अमेरिका सामाजिक सुरक्षा पर सबसे अधिक 1 ख़रब डॉलर खर्च करता है.
विश्व के सबसे बड़े 10 सैन्य खर्च वाले देशों के नाम इस प्रकार हैं:
1. संयुक्त राज्य अमेरिका
वित्त वर्ष 2018 के लिए अमेरिकी सैन्य बजट 824.6 अरब डॉलर है जो कि पूरी दुनिया के सैन्य खर्च का 36% है. वर्ष 2016 के बाद से इसके बढ़ने की दर में कमी आई थी क्योंकि अमेरिकी सरकार ने अफगानिस्तान और इराक से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का फैसला किया है. संयुक्त राज्य अमेरिका का सैन्य व्यय उसके कुल सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत है. वित्त वर्ष 2013 से 2016 की बीच भारत ने अमेरिका से 29000 करोड़ रुपये के हथियार खरीदे थे. जो कि उसके द्वारा इसी अवधि में खर्च किये गए 53,685 करोड़ रुपये का लगभग आधा है.
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2.चीन: स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के आंकड़ों के अनुसार चीन, अमेरिका के बाद विश्व में दूसरा सबसे अधिक मिलिट्री पर खर्च करने वाला देश है. चीन का कुल रक्षा खर्च 215 अरब डॉलर है जो कि उसकी कुल जीडीपी का 1.3% है. पूरी दुनिया के सैन्य खर्च का 13% चीन द्वारा किया जाता है. चीन का रक्षा बजट भारत के रक्षा बजट का लगभग 4 गुना है. वर्ष 2012-16 में चीन दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक था, जिसने जर्मनी, फ्रांस और यूके को पीछे छोड़ दिया. वर्ष 2007-11 की तुलना में 2012-16 में चीनी हथियार निर्यात में 74% की बढ़ोतरी हुई थी.
3. रूस: रूस का कुल रक्षा खर्च 69 अरब डॉलर है जो कि पूरी दुनिया के सैन्य खर्च का 4.1% है और इस कारण यह विश्व के सबसे अधिक सैन्य खर्च करने वाले देशों में तीसरे स्थान पर आता है. वर्ष 2013 से 2016 की अवधि में भारत ने रूस से कुल 8374 करोड़ रुपये के हथियार खरीदे हैं. इस प्रकार भारत अमेरिका के बाद रूस से सबसे अधिक हथियार खरीदता है. रूस पिछले पांच सालों में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश बना हुआ है. विश्व हथियार निर्यात ने इसकी हिस्सेदारी 17% है. वर्ष 2017 की पहली तिमाही में इसके पास कुल 45 अरब डॉलर के निर्यात आर्डर आ चुके हैं.
4. सऊदी अरब: चौथे नम्बर पर सऊदी अरब का नाम आता है जो कि सालाना 63.7 अरब डॉलर का खर्चा अपने रक्षा व्यय पर करता है अर्थात यह देश विश्व के सैन्य खर्च का 3.8% हिस्सा खर्च करता है. वर्ष 2010 में इस देश ने 1083 मिलियन डॉलर के हथियार खरीदे थे जो कि 2015 में बढ़कर 3347 मिलियन डॉलर हो गया था लेकिन वर्ष 2016 में कुछ कम होकर 2979 मिलियन डॉलर पर आ गया है. वर्ष 2014 में सऊदी अरब 6.5 अरब डॉलर के साथ विश्व का सबसे बड़ा आयातक देश था लेकिन अब यह दूसरे नम्बर पर आ गया है और विश्व हथियार आयात में इसकी हिस्सेदारी 5% है.
5. भारत: भारत का सैन्य व्यय 2016 में 8.5 प्रतिशत बढ़कर 55.9 अरब डॉलर हो गया, जिससे यह पांचवां सबसे बड़ा सैन्य खर्च वाला देश बन गया है. वर्ष 2014 में 5.6 अरब डॉलर के साथ यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश था लेकिन 2016 में इसने सऊदी अरब को पीछे छोड़ दिया है. भारत अभी विश्व का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है. वर्तमान में भारत विश्व के कुल हथियार आयात का 14% हिस्सा आयात करता है इसके बाद सऊदी अरब (5%) और चीन का नम्बर आता है. भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 1.6% रक्षा बजट पर करता है.
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6. फ़्रांस: फ़्रांस का कुल रक्षा खर्च 55.7 अरब डॉलर है जो कि पूरे विश्व का 3.3% है. पूरे विश्व निर्यात का 5% हिस्सा फ़्रांस द्वारा पूरा किया जाता है. वर्ष 2016 में फ़्रांस को 15.88 अरब डॉलर के हथियारों के निर्यात का आर्डर मिला था जो कि वर्ष 2015 के 16.93 अरब डॉलर की तुलना में कम है. यूरोपीय संघ ने पिछले साल 2016 में फ्रांस के निर्यात का 23 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त किया था, जबकि एशिया ने 22 प्रतिशत और अफ्रीका को पिछले वर्ष 21 प्रतिशत प्राप्त किया था। इस बीच, फ्रांस के आयात का 40 प्रतिशत यूरोपीय संघ से, 32 प्रतिशत अन्य यूरोपीय देशों से और 17 प्रतिशत अमेरिका से था.
7. ब्रिटेन: रक्षा व्यय के मामले में विश्व का सातवां सबसे ज्यादा खर्च करने वाला देश ब्रिटेन है. यह प्रत्येक साल 48.3 अरब डॉलर अपने सैन्य व्यय पर करता है. यह विश्व का 6वां सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश है जिसमे इसकी हिस्सेदारी 4% है. आश्चर्य देने वाली बात यह है कि इस देश का नाम विश्व के 10 सबसे बड़े हथियार आयातकों की सूची में नही है. यह देश अपनी जीडीपी का लगभग 2.4% रक्षा बजट पर खर्च करता है.
8. जापान: द्वतीय विश्व युद्ध के पहले यह देश रक्षा की दृष्टि से बहुत ही मजबूत माना जाता था लेकिन 1945 के परमाणु हमले के बाद से इसने अपनी नीति में बदलाव किया है और वर्तमान में यह विश्व के कुल रक्षा व्यय का केवल 2.7% या 46.1 अरब डॉलर खर्च करता है. यह देश अपनी जीडीपी का लगभग 1% रक्षा बजट पर खर्च करता है. अब जापान को एक शांतिप्रिय देश के रूप में जाना जाता है. रोचक बात यह है कि अब यह देश न तो विश्व के 10 सबसे बड़े हथियार निर्यातक देशों में आता है और ना ही आयातक देशों में.
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9. जर्मनी: यह इस देश की तरक्की ही कही जाएगी कि द्वितीय विश्व युद्ध में बुरी तरह हारने वाला यह देश दुनिया के विकसित देशों में गिना जाता है. यह अपने रक्षा व्यय पर 41 अरब डॉलर खर्च करता है जो कि विश्व के कुल रक्षा व्यय का केवल 2.4% है. यह देश दुनिया का चौथा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश है और विश्व निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 5% है.
10. दक्षिण कोरिया: दक्षिण कोरिया अपने रक्षा व्यय पर 36.8 अरब डॉलर सालाना खर्च करता है जो कि विश्व के कुल रक्षा खर्च का केवल 2.2% है. विश्व के सबसे बड़े हथियार आयातकों में इसका स्थान 9 वां है. यह पूरे विश्व हथियारों का 3% आयात करता है.
इस प्रकार आपने पढ़ा कि विश्व के कौन से देश सबसे ज्यादा खर्च रक्षा पर करते हैं. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के आंकड़े बताते है कि विश्व के कुल रक्षा व्यय का 81% सिर्फ टॉप 15 देश ही करते हैं. इन 15 देशों का कुल रक्षा व्यय 1,360 अरब डॉलर है. SIPRI की रिपोर्ट यह भी बताती है कि अफ्रीका, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और कॅरीबीयन देशों में रक्षा व्यय घटा है जबकि एशिया यूरोप उत्तरी अमेरिका में रक्षा व्यय बढ़ा है.
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