National Voters Day 2025: भारत में हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस का आयोजन किया जाता है। इस बार 15वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। ऐसे में यहां लोकतंत्र का अधिक महत्त्व है।
यह महत्त्व चुनाव के समय और बढ़ जाता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि मतदाता भी कई प्रकार के होते हैं। इस लेख में हम इस बारे में जानने के साथ-साथ ईवीएम से जुड़े कुछ मिथक व तथ्यों पर भी गौर करेंगे।
मतदाता के प्रकार
आम मतदाता
ये सामान्य भारतीय नागरिक होते हैं, जिनकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक होती है। इनके पास चुनाव आयोग द्वारा जारी वैध मतदाता पहचान पत्र (Voter ID) होना अनिवार्य है। ये अपने मतदान केंद्र पर जाकर मतदान करते हैं।
सेवा मतदाता
ये वे नागरिक होते हैं, जो भारत की सशस्त्र सेनाओं, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, राज्य पुलिस बलों (जिन्हें चुनाव के दौरान तैनात किया गया हो), या सरकारी सेवा में विदेश में कार्यरत होते हैं। इनके पास पोस्टल बैलेट (डाक मतपत्र) के माध्यम से मतदान का अधिकार होता है।
प्रवासी मतदाता
भारत के वे नागरिक, जो विदेशी स्थानों पर रहते हैं (एनआरआई) और भारत में स्थायी निवास स्थान रखते हैं। प्रवासी मतदाताओं को भी मतदान का अधिकार है, लेकिन इसके लिए उन्हें भारत में अपने निर्वाचन क्षेत्र में आना होता है।
नामांकित मतदाता
ये संसद या विधानमंडल के किसी सदन में नामांकित सदस्य होते हैं। इन्हें भी अपने निर्वाचन क्षेत्र में मतदान का अधिकार होता है।
विशेष मतदाता
इनमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्रियों जैसे उच्च पदों पर आसीन व्यक्ति शामिल होते हैं।
आदिवासी या प्रवासी क्षेत्र के मतदाता
ये विशेष क्षेत्रों (जैसे, आदिवासी बहुल क्षेत्र या अस्थायी प्रवासी क्षेत्रों) में रहने वाले नागरिक होते हैं। इनकी पहचान के लिए अलग से प्रक्रिया निर्धारित की जाती है।
सहायक मतदाता
ये केवल सेवा मतदाताओं के लिए लागू होता है। सेवा मतदाता अपनी जगह किसी अन्य व्यक्ति को नामांकित कर सकता है, जो उनके स्थान पर मतदान कर सके।
अस्थायी मतदाता
चुनाव आयोग ने अस्थायी रूप से किसी स्थान पर रहने वाले लोगों (जैसे, छात्र, श्रमिक) के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया सरल बनाई है। ये मतदाता भी अपने अस्थायी निवास के पास मतदान कर सकते हैं।
EVM से जुड़े क्या हैं मिथक व तथ्य
मिथक 1: ईवीएम में गड़बड़ी की जा सकती है।
तथ्य: नहीं, ईवीएम पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और इसे किसी बाहरी नेटवर्क से जोड़ा नहीं जा सकता। ये मशीनें स्टैंडअलोन उपकरण होती हैं, जिनमें इंटरनेट या ब्लूटूथ कनेक्टिविटी नहीं होती।
मिथक 2: ईवीएम से मतदान का रिकॉर्ड सुरक्षित नहीं रहता।
तथ्य: नहीं, हर ईवीएम में एक वीवीपैट (Voter Verifiable Paper Audit Trail) सिस्टम होता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि वोट डालने के तुरंत बाद मतदाता एक पर्ची के माध्यम से देख सके कि उसका वोट सही पार्टी को गया है। इस पर्ची को मशीन में ही सुरक्षित रखा जाता है, जो बाद में पुनर्गणना के लिए इस्तेमाल हो सकती है।
मिथक 3: ईवीएम में केवल बड़ी पार्टियों को ही फायदा मिलता है।
तथ्य: नहीं, ईवीएम निष्पक्ष रूप से काम करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि सभी पार्टियों को समान अवसर मिले।
मिथक 4: ईवीएम को हैक किया जा सकता है।
तथ्य: बिल्कुल नहीं, ईवीएम को हैक करना असंभव है क्योंकि, ये मशीनें किसी भी वायरलेस नेटवर्क से नहीं जुड़ी होतीं। इनका डिजाइन ऐसा है कि बाहरी छेड़छाड़ का कोई मौका नहीं होता।
मिथक 5: ईवीएम से पारंपरिक बैलेट पेपर बेहतर है।
तथ्य: ईवीएम बैलेट पेपर की तुलना में तेज, सुरक्षित और पारदर्शी प्रक्रिया प्रदान करती है। बैलेट पेपर में मतगणना में अधिक समय लगता था और मानव त्रुटियों की संभावना अधिक होती थी।
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