उत्तर प्रदेश भारत का सांंस्कृतिक विरासत और समृद्ध इतिहास वाला राज्य है। यहां आपको रहन-सहन से लेकर खान-पान में विविधता देखने को मिल जाएगी। यह राज्य सिर्फ अपने सामान्य शहरों के लिए नहीं जाना जाता है, बल्कि यहां के शहर धार्मिक और औद्योगिक नगरियों के लिए भी मशहूर हैं।
यही वजह है कि यहां हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी पहुंचते हैं। यूं, तो प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग भाषाओं का चलन है। हालांकि, पूरे प्रदेश में हिंदी भाषा के साथ-साथ उर्दू भाषा का भी विशेष महत्त्व है, जो कि यहां प्राचीन समय से चलन में है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में उर्दू भाषा का क्या स्थान है, यदि नहीं आप नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
उत्तर प्रदेश का पुराना नाम
उत्तर प्रदेश के पुराने नाम की बात करें, तो यह पूर्व में उत्तर-पश्चिम प्रांत के नाम से जाना जाता था। बाद में इसका नाम बदलकर आगरा एवं अवध उत्तर-पश्चिम प्रांत कर दिया गया। हालांकि, इसका नाम फिर बदला और इस बार यह आगरा एवं अवध संयुक्त प्रांत हुआ।
एक बार फिर नाम बदला और इस बार यह संयुक्त प्रांत हुआ। देश आजाद हुआ और इसके बाद प्रदेश का नाम उत्तर प्रदेश कर दिया गया। साल 2000 में इसमें से उत्तरांचल राज्य अलग हुआ, जो कि वर्तमान में उत्तराखंड के नाम से जाना जाता है।
उत्तर प्रदेश की प्रमुख भाषाएं
उत्तर प्रदेश की प्रमुख भाषाओं की बात करें, तो यहां तीन प्रमुख भाषाएं हैं। इसके अतिरिक्त यहां कुल 26 भाषाएं भी चलन में हैं। ये भाषाएं प्रमुख रूप से ग्रामीण स्तर पर बोली जाती हैं। इन भाषाओं में भोजपुरी से लेकर बुंदेली, ब्रज, बघेली और कन्नौजी भी शामिल है।
उत्तर प्रदेश में उर्दू का स्थान
उत्तर प्रदेश में प्रथम स्थान पर हिंदी भाषा आती है, जो कि राज्य की आधिकारिक भाषा है। इसे 26 जनवरी, 1960 में आधिकारिक रूप से मान्यता मिली थी। वहीं, उर्दू भाषा राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा है, जिसे साल 1989 में आधिकारिक रूप से मान्यता मिली थी। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, करीब 5.4 फीसदी आबादी प्रदेश में उर्दू बोलती है।
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