2DG क्या है और DRDO की COVID-19 के लिए यह नई दवा कैसे काम करेगी?

May 17, 2021, 18:34 IST

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने सोमवार (17 मई) को स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-COVID-19 दवा, 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-Deoxy-D-glucose) या '2DG' का पहला बैच जारी किया. आइये इस लेख के माध्यम से 2DG और यह कैसे काम करेगी के बारे में जानते हैं.

What is 2DG or 2-Deoxy-D-glucose and how it works?
What is 2DG or 2-Deoxy-D-glucose and how it works?

नेशनल ड्रग रेगुलेटर, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 1 मई को मध्यम से गंभीर COVID-19 रोगियों में सहायक चिकित्सा के रूप में आपातकालीन उपयोग के लिए 2 DG को मंजूरी दी थी.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने सोमवार (17 मई) को स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-COVID-19 दवा, 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-Deoxy-D-glucose) या '2DG' का पहला बैच जारी किया है. एक सामान्य अणु और ग्लूकोज का एनालॉग होने के कारण, इसे भारत में आसानी से उत्पादित और उपलब्ध कराया जा सकता है.

इस दवा को कहां विकसित किया गया है?

एंटी-COVID-19 दवा को डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज (DRL), हैदराबाद के सहयोग से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRL) की प्रयोगशाला, इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (INMAS) द्वारा विकसित किया गया है. इसके नैदानिक परीक्षण परिणामों द्वारा पता चला है कि अस्पताल में भर्ती रोगियों की तेजी से रिकवरी में यह अणु मदद करता है और बाहर से ऑक्सीजन देने की निर्भरता को भी कम करता है.

2-DG के साथ इलाज करने वाले अधिक मात्रा में COVID-19 रोगियों में आरटी-पीसीआर नकारात्मक रूपांतरण देखा गया. विशेषज्ञों के अनुसार, यह दवा COVID-19 से पीड़ित रोगियों के इलाज में लाभकारी होगी.

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2-Deoxy-D-glucose (2-DG) कैसे काम करती है?

2-Deoxy-D-glucose (2-DG) पाउडर के रूप में पाउच में आती है और इसे पानी में घोलकर लेना होता है. ऐसा बताया जा रहा है कि यह दवा वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाती है और वायरल संश्लेषण और ऊर्जा उत्पादन को रोककर वायरस के बढ़ने को रोकती है. वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में इसका चयनात्मक संचय इस दवा को अलग बनाता है.

सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, क्लिनिकल परीक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि अणु COVID-19 के साथ अस्पताल में भर्ती मरीजों की तेजी से रिकवरी करने में मदद करता है, और पूरक ऑक्सीजन पर उनकी निर्भरता को भी कम करता है.

नैदानिक परीक्षण (Clinical trials) और उनके परिणाम (Results)

महामारी की पहली लहर के दौरान अप्रैल 2020 में, INMAS-DRDO के वैज्ञानिकों ने सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB), हैदराबाद की मदद से प्रयोगशाला परीक्षण किए और पाया कि यह दवा  SARS-CoV-2 वायरस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है और वायरस के बढ़ने से रोकती है.

इन परिणामों के आधार पर ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DRDO) सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाईजेशन (CDSCO) ने मई 2020 में COVID-19 रोगियों में 2-DG के चरण-2 (Phase-2) के नैदानिक परीक्षण की अनुमति दी थी.

इसके बाद रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अपने उद्योग सहयोगी DRL हैदराबाद के साथ मिलकर COVID-19 मरीजों में दवा की सुरक्षा और प्रभावकारिता का परीक्षण करने के लिए नैदानिक परीक्षण शुरू किए.

दवा को सुरक्षित पाया गया और इसने COVID-19 रोगियों के ठीक होने में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया. चरण- IIa (Phase-IIa) छह अस्पतालों में आयोजित किया गया था, जबकि चरण- IIb (डोज रेजिंग) क्लीनिकल ट्रायल पूरे भारत में 11 अस्पतालों में आयोजित किया गया था. वहीं फेज-2 में 110 मरीजों का ट्रायल किया गया.

प्रभावकारिता के संदर्भ में, 2-DG के साथ इलाज किए गए रोगियों ने विभिन्न एंडपॉइंट्स पर स्टैंडर्ड ऑफ केयर (SoC) की तुलना में तेजी से रोगसूचक उपचार का प्रदर्शन किया.

नवंबर 2020 में, सफल परिणामों के आधार पर DCGI ने चरण-3 नैदानिक परीक्षणों की अनुमति दी. यह दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में स्थित 27 COVID-19 अस्पतालों में दिसंबर 2020 से मार्च 2021 तक 220 रोगियों पर आयोजित किया गया था.

तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल से पता चला कि रोगियों के लक्षणों में काफी ज्यादा अनुपात में सुधार आया, और SoC की तुलना में तीसरे दिन तक रोगी पूरक ऑक्सीजन पर निर्भरता (42% vs 31%) से आज़ाद हो गए जो ऑक्सीजन थेरेपी/ निर्भरता से शीघ्र ही राहत का संकेत है. इसी प्रकार की प्रवृत्ति 65 वर्ष से अधिक आयु के रोगियों में देखी गई.

इसमें कोई संदेह नहीं है किवर्तमान में दूसरी COVID-19 लहर में काफी संख्या में मरीज गंभीर रूप से ऑक्सीजन निर्भरता का सामना कर रहे हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है. जिस प्रकार से यह दवा संक्रमित कोशिकाओं में काम करती है उसी कारण इससे बहुमूल्य जीवन बचाने की उम्मीद है. इससे COVID-19 मरीजों को अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा यानी अस्पताल में बिताए जाने वाले दिनों की संख्या भी कमी हो जाएगी.

इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि सरकार के अनुसार 2-DG एक सामान्य अणु और ग्लूकोज का एक एनालॉग होने के कारण इसे आसानी से उत्पादित किया जा सकता है और बड़ी मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकता है. दवा एक पाउच में पाउडर के रूप में उपलब्ध है, और पानी में घुलने के बाद मौखिक रूप से ली जा सकती है.\

Source: PIB

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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