बिना मिट्टी के कैसे उगाई जाती हैं सब्जियां, जानें

Jun 22, 2023, 19:31 IST

Hydroponic farming: हाइड्रोपोनिक तकनीक धीरे-धीरे भारत में लोकप्रियता प्राप्त कर रही है और किसानों को भी आकर्षित कर रही है. यह एक ऐसी तकनीक है, जिसके माध्यम से बिना मिट्टी के ही सब्जियों को उगाया जाता है। यह पढ़ने में थोड़ा अजीब हो सकता है, हालांकि विज्ञान के विकास ने इसे संभव किया है। इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।

Hydroponic farming
Hydroponic farming

Hydroponic farming: हाइड्रोपोनिक्स, जिसे एक्वाकल्चर (aquaculture), न्यूट्रीकल्चर (nutriculture), मिट्टी रहित कल्चर या टैंक फार्मिंग (tank farming) भी कहा जाता है. मूल रूप से, हाइड्रोपोनिक एक प्रकार की बागवानी और हाइड्रो कल्चर का एक उपसमुच्चय है, जो एक जलीय विलायक में खनिज पोषक समाधानों का उपयोग करके पौधों, आमतौर पर बिना मिट्टी के फसलों को उगाने की एक विधि है.

यानी इस प्रकार की तकनीक के जरिये खेती करने के लिए मिट्टी की ज़रूरत नहीं होती है. इसके जरिये बिना मिट्टी का इस्तेमाल किए आधुनिक तरीके से खेती की जा सकती  है. इस प्रकार की खेती केवल पानी या पानी के साथ बालू और कंकड़ में की जाती है.

ऐसा देखा गया है कि मिट्टी की गुणवत्ता लगातार गिर रही है जिससे कई रोग भी उत्पन्न हो रहे हैं और इन सब चीजों को देखते हुए पिछले कुछ सालों में भारत में खेती की नई-नई तकनीकें सामने आई हैं. आजकल लोग अपनी छत या फिर बालकनी में फल या सब्जियां उगा रहे हैं. इस तरह से हाइड्रोपोनिक फार्मिंग काफी उपयुक्त तकनीक है. इस तकनीक के जरिये पौधे को लगाने से लेकर विकास तक के लिए मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती. आइये अब जानते हैं हाइड्रोपोनिक तकनीक और इससे जुड़े फायदे के बारे में.

हाइड्रोपोनिक तकनीक क्या है?

इस तकनीक से खेती करने के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं होती. इससे बिना मिट्टी का इस्तेमाल किए आधुनिक तरीके से खेती की जाती है वो भी केवल पानी या पानी के साथ बालू और कंकड़ में की जाती है. इस तकनीक से खेती करने में जलवायु को नियंत्रण करने की जरूरत नहीं होती है. 

हाइड्रोपोनिक्स "हाइड्रो" के प्राचीन ग्रीक गठन से आता है, जिसका अर्थ है पानी, और "पोनिक्स", जिसका अर्थ है श्रम. पानी यहां काम कर रहा है और पौधों की तेजी से वृद्धि कर रहा है. मिट्टी का उपयोग न करने और इसके बजाय परलाइट, कोको कॉयर, रॉक वूल, क्ले पेलेट्स, पीट मॉस या वर्मीक्यूलाइट जैसे कार्बनिक पदार्थों का उपयोग करने की क्षमता ने हर जगह उत्पादकों को कई लाभ प्रदान किए हैं.

ऐसा बताया जाता है कि इस तकनीक से खेती करने के लिए लगभग 15 से 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. और इसमें 80 से 85 प्रतिशत आर्द्रता वाली जलवायु में सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है. हाइड्रोपोनिक सिस्टम में हम जिन पोषक तत्वों का उपयोग करते हैं, वे विभिन्न स्रोतों से आ सकते हैं, जैसे मछली का मलमूत्र, बत्तख की खाद, या रासायनिक उर्वरक.

अध्ययनों के अनुसार, भारत का हाइड्रोपोनिक्स बाजार 2027 तक 13.53 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से विकसित होगा. 

इस प्रकार की तकनीक से फार्मिंग के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ती है. अपनी जरूरत के हिसाब से भी इसका सेट अप तैयार किया जा सकता है. इसकी शुरुआत एक या दो प्लांट सिस्टम से भी की जा सकती है या फिर बड़े स्तर पर 10 से 15 प्लांट सिस्टम भी लगा सकते हैं. इसके जरिये गोभी, पालक, तुलसी, शिमला मिर्च, इत्यादि कई अन्य सब्जियां और फलों का उत्पादन किया जा सकता है.

हाइड्रोपोनिक खेती के लाभ

- बिना मिट्टी के वृक्षारोपण. इस तकनीक के जरिये हम उन जगहों पर पौधे उगा सकते हैं जहां जमीन सीमित है, मौजूद नहीं है, या दूषित है. इसे नासा द्वारा अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खाद्य पदार्थ उगाने के लिए भविष्य की खेती के रूप में माना गया है.

- स्थान का बेहतर उपयोग. पौधों की जड़ें आमतौर पर मिट्टी में भोजन और ऑक्सीजन की तलाश में फैलती हैं, लेकिन हाइड्रोपोनिक्स में जड़ों को ऑक्सीजन युक्त पोषक घोल से भरे टैंक में डुबोया जाता है और महत्वपूर्ण खनिजों के सीधे संपर्क में होते हैं. इसका अर्थ है कि आप अपने पौधों को एक साथ पास में भी बढ़ा कर सकते हैं, जिससे आपका बहुत सारा स्थान बच जाएगा.

- वातावरण नियंत्रण. हाइड्रोपोनिक किसानों का जलवायु, तापमान, आर्द्रता, प्रकाश और वायु संरचना सहित पर्यावरण पर पूरा नियंत्रण होता है. यानी साल भर खाद्य पदार्थ उगाए जा सकते हैं, चाहे मौसम कुछ भी हो.

- पानी की बचत. चूंकि इस विधि में पानी का पुनर्चक्रण किया जाता है, हाइड्रोपोनिकली उत्पादित पौधे खेत में उगाए गए पौधों की तुलना में 10% कम पानी का उपयोग कर सकते हैं.

- पोषक तत्वों का उपयोग. इस तकनीक में पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों (खाद्य पदार्थों) पर आपका पूरा नियंत्रण होता है. रोपण से पहले, किसान यह निर्धारित कर सकते हैं कि पौधों को क्या चाहिए, साथ ही कुछ चरणों में आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा और किस अनुपात में उन्हें पानी के साथ मिश्रित किया जाना चाहिए.

- बेहतर विकास दर. हाइड्रोपोनिक पौधे मिट्टी के पौधों की तुलना में जल्दी बढ़ते हैं क्योंकि पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने वाले पर्यावरणीय कारकों को नियंत्रित किया जा सकता है, जैसे तापमान, प्रकाश, नमी, और, सबसे महत्वपूर्ण पोषण.

साथ ही हाइड्रोपोनिक सिस्टम कम वाष्पीकरण के अधीन होते हैं, अधिक नियंत्रित होते हैं (यानी तापमान, आर्द्रता और वायु संरचना), और कम प्रदूषण और कचरे के कारण पर्यावरण के लिए बेहतर होते हैं.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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