हाईवे पर SOS Beat Box क्यों लगे होते हैं और इन्हें इमरजेंसी में कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं?

SOS Beat Box: फोन में नेटवर्क न होने पर भी आप आपातकालीन सेवाओं के लिए कैसे हाईवे अथॉरिटी से जुड़ सकते हैं. SOS Beat Box क्या है और यह कैसे काम करता है? आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं.

Nov 23, 2022, 15:50 IST
SOS Beat Box
SOS Beat Box

SOS Beat Box: जैसे-जैसे देश में हाईवे की संख्या बढ़ रही है वैसे ही हाईवे पर हादसों का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है. ऐसा देखा गया है कि हाईवे आमतौर पर ऐसी जगहों से होकर गुज़रता है जहां पर नेटवर्क की प्रॉब्लम होती है या फिर नेटवर्क सही से काम नहीं करते हैं. ऐसे में इमरजेंसी के वक्त अगर आपको पुलिस, हॉस्पिटल या किसी प्रकार की मदद के लिए संपर्क करना हो और फोन में नेटवर्क न हो तो यह किसी भयंकर आपदा से कम नहीं.

कई बार यात्रा के दौरान हाईवे पर ऐसे क्षेत्र में चले जाते हैं जहां पर फोन में नेटवर्क काम नहीं करता है और ऐसे में किसी हादसे या आपातकालीन के वक्त सही समय पर उपचार या मदद न मिले तो स्थिति बिगड़ सकती है. 

जानें किस प्रकार ऐसे वक्त में आप पुलिस या हाईवे अथॉरिटी से संपर्क कर सकते हैं

नेशनल हाईवे अथॉरिटी की गाइडलाइन्स के अनुसार हाईवे पर हर 1 या 2 किलोमीटर पर एक SOS बॉक्स लगा होता है. आखिर SOS बीट बॉक्स है क्या? आइये जानते हैं.

 SOS बीट बॉक्स क्या होता है और यह कैसे कार्य करता है?

SOS को Save Our Soul बॉक्स कहा जाता है. ये बॉक्स सोलर पावर से चलता है  इसलिए इसमें पावर की कोई दिक्कत नहीं होती है. इमरजेंसी के समय हाईवे हेल्प टीम को दुर्घटना की जानकारी पहुंचा प्राथमिक उपचार के लिए मदद मांगने के लिए इन बॉक्स को लगाया जाता है. 

इसको हाईवे पर कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है?

- SOS बीट बॉक्स  हाईवे पर 1 या 2 किलोमीटर की दूरी पर लगा होता है.

- SOS बीट बॉक्स पर आपातकालीन कॉल बटन होता है जिसे उपयोगकर्ता ज़रूरत पड़ने पर पुश कर सकते हैं. इससे कंट्रोल रूम में कॉल लग जाती है. साथ ही पेट्रोलिंग करने वाले वाहनों और एंबुलेंस को भी SMS भेजा जाता है.

इस प्रकार यह सड़क पर यात्रियों के लिए यह बॉक्स मददगार साबित होता है क्योंकि आपातकालीन स्थिति में इसके द्वारा कोई व्यक्ति राजमार्ग नियंत्रण कक्ष से सीधे बात कर सकता है 

SOS बीट बॉक्स में इनबिल्ट GPS होता है जिससे कॉल ऑपरेटर को आसानी से आपके लोकेशन की जानकारी मिल जाती है और इससे आपको सहायता जल्द मिल सकती है.

कैसे पता चलेगी ऑपरेटर को आपकी लोकेशन 

यह यूनिट बैटरी पर काम करता है और बैटरी सोलर पैनल से चार्ज होती है. सेवा प्रदाता द्वारा इसके कामकाज की लगातार निगरानी की जाती है. बैटरी स्थिति, सौर स्थिति और जीपीएस स्थान समय-समय पर दिए गए आईपीएनओ (IPNO) पर टीसीपीआईपी (TCPIP) द्वारा सर्वर रूम को भेजा जाता है जिसके द्वारा सिस्टम को चालू रखने में मदद मिलती हैं. 

SOS बीट बॉक्स को आखिर क्यों NHAI द्वारा लगाया गया है

- ऐसा कहा जा सकता है कि इन बॉक्सों को अधिकतर उन जगहों पर लगाया गया है जहां पर मोबाइल टावर या नेटवर्क की कमी होती है.

यह कहना गलत नहीं होगा की सुनसान एरिया में इन बॉक्सों को लगाया गया है.

- दुर्घटना के वक्त मोबाइल में नेटवर्क या फिर मोबाइल फोन होना भी ज़रूरी नहीं होता तो ऐसे में मदद मिलने में देरी न हो इसलिए इन बॉक्स को लगाया गया है.

- यदि आपातकालीन समय में मोबाइल के द्वारा संपर्क हो भी जाए तो लोकेशन की जानकारी देने में और दुर्घटना वाले स्थान पर पहुंचने में समय लग सकता है लेकिन SOS बीट बॉक्स में लोकेशन बताने की ज़रूरत नहीं पड़ती है और मदद मिलना काफी आसान हो जाता है.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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