अयोध्या का पुराना नाम साकेत है। यह एक प्राचीन शहर था, जिसका जिक्र कई संस्कृत ग्रंथों और बौद्ध साहित्य में मिलता है। समय के साथ इसे अयोध्या के नाम से जाना जाने लगा। संस्कृत में इसका मतलब है 'जिसे जीता न जा सके'। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, अयोध्या भगवान राम का जन्मस्थान था, जो विष्णु के सातवें अवतार थे। यह इक्ष्वाकु वंश की राजधानी भी थी।
इसे साकेत क्यों कहा जाता था?
साकेत एक पुराना शब्द है, जिसका इस्तेमाल बौद्ध और जैन ग्रंथों में आज के अयोध्या क्षेत्र के लिए किया गया है। प्राचीन काल में यह नाम एक बड़े सांस्कृतिक और व्यापार केंद्र को दर्शाता था। रामायण में जिक्र होने के कारण 'अयोध्या' नाम ज्यादा प्रसिद्ध हो गया, जहां इसे देवताओं द्वारा बनाया गया एक भव्य और दिव्य शहर बताया गया है।
इसका नाम अयोध्या कब पड़ा?
साकेत से अयोध्या नाम का बदलाव शायद सदियों में हुआ होगा, जब हिंदू महाकाव्यों और पुराणों का प्रभाव बढ़ने लगा। गुप्त काल और भक्ति युग के दौरान अयोध्या नाम बहुत प्रसिद्ध हो गया। इसने भगवान राम से जुड़े एक पवित्र स्थल के रूप में अपनी जगह बनाई। आजादी के बाद भारत सरकार ने भी अयोध्या नाम को ही बनाए रखा।
अयोध्या नाम का सांस्कृतिक महत्त्व
अयोध्या नाम का गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व है। यह हिंदू धर्म के सात पवित्र शहरों (सप्त पुरी) में से एक है और सदियों से यह एक तीर्थ स्थल रहा है। राम जन्मभूमि और राम मंदिर के निर्माण ने आधुनिक भारत में इस नाम के आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व को और बढ़ा दिया है।
अयोध्या के पुराने नाम के बारे में 7 रोचक तथ्य
-प्राचीन बौद्ध ग्रंथों में अयोध्या को साकेत कहा गया है, जो सीखने और आध्यात्मिक चर्चा के केंद्र के रूप में इसकी भूमिका पर प्रकाश डालता है।
-‘अयोध्या’ शब्द संस्कृत के ‘अ’ (नहीं) + ‘युध’ (लड़ना) से बना है। इसका मतलब है, एक ऐसा शहर जिसे हराया नहीं जा सकता।
-रामायण में अयोध्या का प्रमुखता से जिक्र है। इसे राजा दशरथ की राजधानी और भगवान राम की जन्मभूमि बताया गया है।
-एक धार्मिक केंद्र बनने से पहले भी साकेत/अयोध्या एक जीवंत शहर था, जो व्यापार, कला और संस्कृति के लिए जाना जाता था।
-हिंदू ग्रंथों के अलावा, साकेत का जिक्र जैन आगमों और बौद्ध त्रिपिटक में भी मिलता है, जो इसकी बहुसांस्कृतिक विरासत को दिखाता है।
-2024 में राम मंदिर के निर्माण ने भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी के रूप में अयोध्या की जगह को मजबूती से फिर से स्थापित किया है।
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