भारत में चार धाम यात्रा का विशेष महत्त्व है। हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु चार धाम यात्रा के लिए पहुंचते हैं। भारत के इन धामों पर दर्शन के लिए न सिर्फ भारत से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालुओं का भीड़ पहुंचती है।
ऐसे में भारतीय परंपरा और श्रद्धालओं के दिल में इन धामों का विशेष महत्त्व है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत के किस शहर को चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार कहा जाता है, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
क्या है चार धाम यात्रा
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि चार धाम यात्रा क्या है। आपको बता दें कि चार धाम यात्रा उत्तराखंड राज्य में स्थित चार पवित्र स्थलों की यात्रा है। इनमें यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे पवित्र स्थान शामिल हैं। हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का अधिक महत्त्व है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि इन धामों के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
किस शहर को कहा जाता है चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार
अब हम यह जान लेते हैं कि भारत के किस शहर को चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार कहा जाता है, तो आपको बता दें कि चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार हरिद्वार को कहा जाता है। यह पवित्र शहर गंगा नदी के तट पर स्थित है और सदियों से तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव रहा है।
यह वह स्थान है, जहां से गंगा नदी पहली बार मैदानी इलाकों में उतरती है और यहां से अपनी आगे की यात्रा मैदानी इलाकों में ही करती है। भारत की पवित्र चार धाम यात्रा यहीं से शुरू होती है। ऐसे में श्रद्धालु बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के पवित्र धामों की यात्रा के लिए यहां से आगे बढ़ते हैं।
इस शहर को भी कहा जाता है यात्रा का प्रवेश द्वार
एक तरफ हरिद्वार को लोग चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार कहते हैं, तो दूसरी तरफ कुछ लोगों का मत इससे अलग है। कुछ लोग ऋषिकेश को भी चार धाम यात्रा का प्रारंभिक बिंदु या "प्रवेश द्वार" मानते हैं। इसके पीछे लोगों का तर्क है कि यह हरिद्वार से थोड़ा आगे हिमालय की ओर स्थित है।
इस स्थान से यात्रा दो अलग-अलग मार्गों में विभाजित होती है। इसमें एक मार्ग गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए जाता है, तो दूसरा मार्ग केदारनाथ और बद्रीनाथ के लिए जाता है। यही वजह है कि हरिद्वार और ऋषिकेश शहर का अपना-अपना महत्त्व है। हालांकि, पारंपरिक रूप से देखें, तो लोग हरिद्वार को ही मुख्य प्रवेश द्वार के तौर पर मान्यता देते हैं।
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