भारत के किस जिले के नाम में आते हैं सिर्फ दो अक्षर, यहां जानें

Apr 23, 2025, 12:58 IST

भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। यहां हमें विविध संस्कृति और अनूठी परंपराओं का मिश्रण देखने को मिलता है, जो कि यहां के प्रत्येक जिले में देखी जा सकती है। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि भारत के किस जिले का नाम सिर्फ दो अक्षरों से मिलकर बना है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

दो अक्षरों वाला भारत का जिला
दो अक्षरों वाला भारत का जिला

भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। यहां का गौरवशाली इतिहास, अनूठी परंपराओं के साथ मिलकर इसे अन्य देशों से अलग बनाता है। यही वजह है कि भारत को करीब से जानने के लिए हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी पहुंचते हैं।

यहां के प्रत्येक जिले की तस्वीर अपने-आप में सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए अतीत के पन्नों से लेकर अब तक गौरवगाथा का बखान कर रही है। आपने देश के अलग-अलग जिलों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत का कौन-सा जिला सिर्फ दो अक्षरों से मिलकर बना है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

भारत में कुल कितने जिले हैं 

भारत में कुल 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 813 जिले हैं, जिनमें 752 जिले राज्यों और 61 जिले केंद्र शासित प्रदेशों में आते हैं। पहले इनकी संख्या 797 हुआ करती थी, जिनमें से 752 जिले राज्यों और 45 जिले केंद्र शासित प्रदेशों में आते थे। 

किस जिले में आते हैं सिर्फ दो अक्षर

अब सवाल है कि भारत के किस जिले में सिर्फ दो अक्षर आते हैं। आपको बता दें कि यह उत्तर प्रदेश का मऊ जिला है। 

क्या है जिले का इतिहास 

मऊ जिला पहले आजमगढ़ जिले का हिस्सा हुआ करता था। हालांकि, 19 नवंबर, 1988 को जिले को आजमगढ़ जिले से अलग कर नए जिले के रूप में गठित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य जिले के विकास और प्रशासन को बेहतर बनाना था। 

क्या है जिले की विशेषता

मऊ विशेष रूप से अपने साड़ी उद्योग के लिए जाना जाता है। यहां प्रमुख रूप से हाथ से बनी रेशमी और सूती साड़ियों का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है, जिनकी कारीगरी और डिजाइन दूर-दूर तक सराहे जाते हैं।

शहर का मुख्य उद्योग केंद्र माऊनाथ भंजन है। वहीं, यहां की संस्कृति में भोजपुरी और उर्दू भाषाओं का मिश्रण देखने को मिलता है। साथ ही, मऊ की लोक कला, संगीत और त्योहारों में स्थानीय परंपराओं के साथ-साथ उर्दू शायरी और अदब का भी प्रभाव दिखाई देता है। आपको बता दें कि मऊ में

पुरातात्विक साक्ष्य लगभग 1500 वर्ष पुराने हैं। ऐसे में यह जिला अपनी ऐतिहासिकता संजोए रखे हुए है।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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