भारत के ऐसे जिले जिन्हें भारत के साथ स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हुई थी.

Sep 10, 2018, 18:03 IST

भारत को ब्रिटिश शासन से 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी. उस समय सम्पूर्ण भारत में हर्ष और उल्लास था. लेकिन इस तथ्य को भी नहीं भुलाया जा सकता है कि भारत को विभाजन से गुजरना पड़ा था. इस दौरान लोगों ने बहुत कुछ झेला था. क्या आप जानते हैं कि भारत में ऐसे भी जिले थे जिन्हें भारत के साथ स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हुई थी. इसके पीछे क्या कारण था. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

Which districts did not got Independence with India?
Which districts did not got Independence with India?

15 अगस्त 1947 में भारत को ब्रिटिश राज से आजादी प्राप्त हुई थी इसलिए इस दिन को स्वतंतत्रा दिवस के रूप में मनाया जाता है. ये हम सब जानते हैं कि स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व महात्मा गांधी, बहुत से महान नेताओं ने किया था और बहुत से आम लोगों ने इसमें भाग लिया था. इस दिन भारत में एक नए युग की शुरुआत हुई थी और भारत एक मुक्त राष्ट्र के रूप में उभरा.

परन्तु क्या आप जानते हैं कि जब भारत 14 अगस्त की मध्यरात्रि को जीवन और आजादी के लिए जब जाग रहा था, तब पश्चिम बंगाल के ऐसे दो जिले भ्रम और उदासी से गुजर रहे थे. इन जिलों को स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हुई थी. ऐसा क्यों. यहां के लोग उस वक्त क्यों परेशान थे. आखिर ये जिले कौन से  थे, जो इन परिस्थितियों से गुजर रहे थे. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

भारत का जिला, जिसे 15 अगस्त को स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हुई थी?

इस जिले के निवासियों ने विश्वास ही नहीं किया था जो उन्होंने रेडियो पर आजादी के समय में सुना था. हम आपको बता दें कि इस जिले का नाम था मालदा (Malda) जो कि पश्चिम बंगाल का हिस्सा था. लेकिन आजादी के वक्त, विभाजन के कारण मालदा के कुछ हिस्से पूर्वी पाकिस्तान में चले गए थे.
उस समय एक गवाह कमाल बसाक ने कहा, "शायद यह सबसे बुरा समय था". "जब हमने 14 अगस्त के मध्यरात्रि में रेडियो से घोषणा सुनी, तो चारों ओर भ्रम फैल गया. हम अपने कानों पर विश्वास नहीं कर पाए थे, जब हमने सुना था कि मालदा के कुछ हिस्से पाकिस्तान के अधीन होंगे. जब ऐसा हुआ तो यह सबसे अंधेरी सुबह थी. पाकिस्तानी ध्वज जिला कलेक्टरेट कार्यालय के ऑफिस पर फहराया जा रहा है”.

रिपोर्टों के मुताबिक, यह निश्चित नहीं था कि पाकिस्तान सीमा के किनारे जिले का कौनसा हिस्सा जाएगा क्योंकि सर रैडक्लिफ द्वारा घोषित विभाजन पुरस्कार ने इस मामले के बारे में कोई प्रत्यक्ष रूप से नहीं बताया था.

इन सब घटनाओं के कारण यहां पर उस समय सांप्रदायिक दंगों का डर था, क्या आप जानते हैं कि इस जिले के लोगों को बड़े बर्तनों में पानी उबालने के लिए कहा गया था ताकि वे अपने परिवारों, विशेष रूप से महिलाओं को संभावित हमले से बचा सकें. ये सब तीन दिनों के बाद खत्म हो गया, फिर मालदा में तीन रंग के झंडे को फहराया गया और लोग सभी रंगों के साथ सड़कों पर बाहर निकले थे. मालदा में कई क्लब और संगठन इस मौलिक अवसर को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं.

15 अगस्त 1947 रात 12 बजे ही क्यों भारत को आजादी मिली थी?

West Bengal during partition period

Source: www.e-ir.info.com

आखिरकार, जनता के कुछ प्रतिनिधियों के प्रयासों के बाद, 17 अगस्त की रात को यह घोषणा की गई कि जिला पश्चिम बंगाल में आएगा. हालांकि, नवाबगंज नामक उप-प्रभागों में से एक को पूर्वी पाकिस्तान को राजशाही जिले के हिस्से के रूप में दिया गया था जो अब बांग्लादेश में आता है.

इसलिए मालदा में स्वतंत्रता दिवस 17 अगस्त को मनाया जाता है. हम आपको बता दें कि नाडिया भी एक और जिला था जहां पर स्वतंत्रता दिवस 17 और 18 अगस्त को मनाते है.

आइये अब अध्ययन करते हैं कि नाडिया को स्वतंत्रता भारत के बाद क्यों प्राप्त हुई थी?  

12 अगस्त, 1947 को रेडियो पर समाचार ने कहा कि भारत को स्वतंत्रता दी गई है लेकिन दुर्भाग्य से नाडिया जिले का एक हिस्सा पूर्वी पाकिस्तान को दिया गया था. पूर्व स्वतंत्र नाडिया के पांच उपखंड थे: कृष्णनगर सदर, मेहरपुर, कुस्तिया, चौदंगा और रानाघाट और नाबादविप को छोड़कर इन सभी क्षेत्रों को पूर्वी पाकिस्तान को दिया गया था.

हम आपको बता दें कि यह एक राजनयिक निर्णय नहीं था. यह सर रैडक्लिफ द्वारा बनाई गई गलती थी जिसने मानचित्र पर गलत रेखा खींची थी. इस निर्णय से नाडिया में दंगे हो गए थे और स्थिति खराब हो गई थी. वाइसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने रैडक्लिफ को गलती सुधारने का आदेश दिया. रैडक्लिफ ने मानचित्र में बदलाव किए और आखिर में करीमपुर में रानाघाट, कृष्णनगर, शिकारपुर और भारत में प्लासी रखा.  सुधारों में कुछ समय लगा और अंतिम घोषणा 17 अगस्त की रात को की गई थी. तब से नाडिया 17 और 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं.

परन्तु इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि कुछ दिनों के लिए वहां के कई भारतीयों को एक नई राष्ट्रीयता प्राप्त करने की संभावना से डर था. भ्रम के समय, ऐसे हालातों में लोगों के लिए सांप्रदायिक हिंसा का डर होना स्वाभाविक था. विभाजन, सीमा के दोनों किनारों पर लोगों के लिए एक कठिन समय था.

तो अब आपको ज्ञात हो गया होगा कि जब भारत ब्रिटिश राज से मुक्त हो रहा था और सब जगह खुशियाँ फैली हुई थीं तब भारत में ऐसे भी जिले थे जहां के लोग डरे हुए थे, वहां पर दहशत फैली हुई थी और स्वतंत्रता 15 अगस्त के बाद प्राप्त हुई थी.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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