Christmas Day 2021: क्रिसमस डे 25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है?

Dec 25, 2021, 04:06 IST

Christmas Day 2021: क्रिसमस डे 25 दिसंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है जो उत्सव की भावना की नई शुरुआत और साल के अंत के उत्सव का भी प्रतीक है. यह दिन ईसा मसीह के जन्म का जश्न मनाता है. क्या आप जानते हैं कि 25 दिसंबर को ही क्यों क्रिसमस डे मनाया जाता है? इसे बड़ा दिन भी कहते हैं. इस दिन चर्च में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं और नेशनल हॉलिडे भी होती है.      

Christmas Day
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Christmas Day 2021: हवा में हर जगह खुशी और उत्सव है. यह दिन जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन और एकता और सद्भाव की भावनाओं को प्रोत्साहित करता है. यह वह समय भी है जब लोग त्यौहार मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं और साल को अलविदा भी कहते हैं.

क्रिसमस डे वह समय होता है जब परिवार, दोस्त और रिश्तेदार एक साथ आते हैं और पूरे हर्षोल्लास के साथ त्यौहार मनाते हैं. सांता क्लॉज से मिलने वाले तोहफों को लेकर बच्चे सबसे ज्यादा उत्साहित होते हैं. इसलिए, हम कह सकते हैं कि क्रिसमस के उत्सव में सांता क्लॉज़ नाम की एक पौराणिक आकृति होती है जो एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं क्रिसमस डे का इतिहास, क्रिसमस ट्री का क्या महत्व है, सांता क्लॉज कौन है, इत्यादि.

क्रिसमस डे का इतिहास

बाइबल में जीसस के जन्म का कोई उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन फिर भी 25 दिसंबर को क्रिसमस डे हर साल मनाया जाता है. इस तारीख को लेकर कई बार विवाद भी हो चुका है. इससे जुड़ी कई मान्यताएं हैं.

एक मान्यता के अनुसार, सबसे पहले क्रिसमस डे 336 A.D में रोमन के पहले ईसाई सम्राट Constantine के समय 25 दिसंबर को मनाया गया था. इसके कुछ सालों बाद पॉप जूलियस (Pope Julius ) ने आधिकारिक तौर पर 25 दिसंबर को जीसस का जन्मदिन क्रिसमस डे के रूप में मनाने का ऐलान कर दिया.

एक और मान्यता के अनुसार 25 मार्च को मैरी ने गर्भाधान के बारे में बताया की वह एक विशेष बच्चे को जन्म देंगी जिनका नाम जीसस होगा इसे  Annunciation भी कहा जाता है. 25 मार्च से नौ महीने बाद 25 दिसंबर होता है जब जीसस का जन्म हुआ होगा. इसलिए भी 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के रूप में मनाया जाता है. यहीं आपको बता दे कि 25 मार्च को ही जीसस की मृत्यु हुई थी.

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आइये क्रिसमस ट्री की उत्पत्ति के बारे में जानते हैं.

जिस प्रकार से ईसाईयों ने क्रिसमस को रोमन पैगनों (Roman Pagans) के Saturnalia फेस्टिवल से जोड़ा था इसी प्रकार से ऐशेरा संप्रदाय (Asheira sect) के अनुयायी और इसकी शाखा के सदस्यों को चुना गया जो कि "क्रिसमस ट्री" को मानते थे और इम्पोर्टेंस देते थे. ऐसा माना जाता है कि पैगनों ने सदियों से जंगल में पेड़ों की पूजा की थी, उन्हें अपने घरों में उगाया था और सजाया था. इसलिए इस सेरेमनी को चर्च में ईसाईयों द्वारा आनंद के साथ मनाया जाने लगा.

क्या आप जानते हैं कि 1510 में क्रिसमस ट्री को सजा के सबसे पहले रीगा, लात्विया (Riga, Latvia) में रखा गया था? जर्मनी में पहले क्रिसमस ट्री को सेब, ginger bread, वेफर्स और मिठाइयों से सजाया गया था. विभिन्न देशों में विभिन्न प्रकार के पेड़ों का उपयोग क्रिसमस ट्री के रूप में किया जाता है और हर बार वे देवदार के पेड़ (fir trees) नहीं होते हैं. जैसे न्यूजीलैंड में – ‘Pohutakawa' का पेड़ का उपयोग किया जाता है और इसमें लाल फूल होते हैं.

1950 और 60 के दशक में एल्यूमीनियम और पीवीसी प्लास्टिक के पेड़ों का बड़े पैमाने पर artificial क्रिसमस ट्री के रूप में उत्पादन हुआ. Artificial पेड़ों ने महत्वपूर्ण लोकप्रियता हासिल की, खासकर उन देशों में जहां ताजे पेड़ों की खरीद मुश्किल थी. ऐसा माना जाता है कि असली क्रिसमस ट्री हवा से धूल और pollens को air से हटाने में मदद करते हैं. 

सीक्रेट सैंटा और उनके मोज़े में गिफ्ट की कहानी 

एक प्रचलित कहानियों के अनुसार चौथी शताब्दी में एशिया माइनर के मायरा (अब तुर्की) में सेंट निकोलस (St. Nicholas) नाम का एक शख्स रहता था. जो काफी अमीर था, लेकिन उनके माता-पिता का देहांत हो चुका था. सेंट निकोलस ज्यादातर चुपके से गरीब लोगों की मदद किया करते थे. उन्हें सीक्रेट गिफ्ट (Secret Gifts) देकर खुश करने की कोशिश करते थे.

एक दिन निकोलस (Saint Nicholas) को पता चला कि एक गरीब आदमी की तीन बेटियां है, जिनकी शादियों के लिए उसके पास बिल्कुल भी पैसा नही है. ये बात जान निकोलस इस शख्स की मदद करने पहुंचे. एक रात वो इस आदमी की घर की छत में लगी चिमनी के पास पहुंचे और वहां से सोने से भरा बैग डाल दिया. उस दौरान इस गरीब शख्स ने अपना मोज़ा सुखाने के लिए चिमनी में लगा रखा था.

इस मोज़े में अचानक सोने से भरा बैग उसके घर में गिरा. ऐसा एक बार नहीं बल्कि तीन बार हुआ. आखिरी बार में इस आदमी ने निकोलस (Nicholas) को देख लिया. निकोलस ने यह बात किसी को ना बताने के लिए कहा. लेकिन ऐसी बातें छिपती कहा हैं. जब भी किसी को सीक्रेट गिफ्ट (Secret Gifts) मिलता सभी को ये लगता कि यह निकोलस ने दिया है.

धीरे-धीरे निकोलस की ये कहानी पॉपुलर हुई. क्योंकि क्रिसमस के दिन बच्चों को तोहफे देने का प्रथा रही है. इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले यूके (UK) में निकोलस की कहानी (St. Nicholas Story) को आधार बनाया और उन्हें फादर क्रिसमस (Father Christmas) और ओल्ड मैन क्रिसमस (Old Man Christmas) नाम दिया गया. इसके बाद पूरी दुनिया में क्रिसमस के दिन मोज़े में गिफ्ट देने यानी सीक्रेट सैंटा (Secret Santa) बनने का रिवाज आगे बढ़ता चला गया.

सैंटा क्लॉज़ का वर्तमान चित्रण हार्पर की साप्ताहिक (Harper’s Weekly) कार्टूनिस्ट थॉमस नास्ट (cartoonist Thomas Nast) जो कि 1863 में शुरू की गई थी की छवियों पर आधारित है. नास्ट के सैंटा की छवि को “A Visit from St. Nicholas” (also known as “Twas the Night Before Christmas”) जो कि 1823 में प्रकाशित हुई थी से भी जोड़ा गया है. सैंटा क्लॉज़ की छवि को आगे चलकर 1931 में कोका-कोला कंपनी के लिए बनाए गए विज्ञापनों में illustrator Haddon Sundblum द्वारा परिभाषित भी किया गया. Sundblum ने सैंटा को एक काले रंग की बेल्ट, काले जूते, एक नरम लाल टोपी, सफेद फर ट्रिम, और इसके साथ एक लाल सूट पहने एक सफेद-दाढ़ी वाले सज्जन के रूप में दिखाया है.

अंत में देखते हैं कि क्रिसमस डे को कैसे मनाया जाता है?

क्रिसमस डे का फेस्टिवल लगभग 12 दिनों तक चलता है. 25 दिसंबर से 6 जनवरी के बीच के समय को क्रिसमस के बारह दिनों (Twelve Days of Christmas ) के रूप में जाना जाता है.

दुनिया के सभी हिस्सों की तरह भारत में भी क्रिसमस डे धूमधाम से मनाया जाता है. बाज़ारों को क्रिसमस ट्री और लाइटों से सजाया जाता है. 24 दिसंबर को लोग ईस्टर ईव मनाते हैं और 25 दिसंबर को घरों में पार्टी करते हैं. घर को सजाते हैं. इस दिन लोग क्रिसमस ट्री को घर लाकर कैंडी, चॉकलेट्स, खिलौने, लाइट्स, बल्ब और गिफ्ट्स से सजाते हैं, बच्चों को गिफ्ट्स देते हैं, इत्यादि.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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