विश्व ओजोन दिवस: मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल

ओजोन गैस क्या है?
ओजोन एक वायुमण्डलीय गैस है या ऑक्सीजन का एक प्रकार है. तीन ऑक्सीजन परमाणुओं के जुड़ने से ओजोन (O3) का एक अणु बनता है. इसका रंग हल्का नीला होता है और इससे तीव्र गंध आती है. ओजोन गैस की एक परत पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपर है जो कि सूर्य से निकलने वाली पराबैगनी किरणों से हम सभी लोगों की रक्षा करती है.
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल 16 सितंबर, 1987 को विभिन्न देशों के मध्य हस्ताक्षरित किया गया था लेकिन इसका वास्तविक क्रियान्वयन 1 जनवरी, 1989 को हुआ था. ऐसा विश्वास किया जाता है की वर्ष 2050 तक ओजोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले पदार्थों के उत्पादन पर नियंत्रण स्थापित कर लिया जायेगा.
मॉन्ट्रियल प्रोटोकाल पर वार्ता करने और सेमिनार आयोजित करने के लिए प्रतिवर्ष 16 सितंबर की तिथि को लोग एकत्रित होते हैं. इस वार्ता में चर्चा का प्रमुख विषय ओजोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले पदार्थ होते हैं. यह वार्ता वस्तुतः ओजोन परत के सन्दर्भ में एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसमे ओजोन परत को नुकसान पहुँचले वाले पदार्थो को कम करने पर ध्यान दिया जाता है. साथ ही देशो से इसके उत्पादन पर नियंत्रण स्थापित करने का संकल्प लिया जाता है.
वर्ष 2012 को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की 25 वीं वर्षगांठ को मनाया गया था. इस तिथि को शिक्षको के द्वारा अपने छात्रो के मध्य ओजोन परत के महत्व के बारे में बताया जाता है, साथ ही विशेष आयोजनों और गतिविधियों के संपादन के माध्यम से उसके लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने का कार्यक्रम सम्पादित किया जाता है.
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ओजोन परत
वर्ष 1957 में, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गॉर्डन डोब्सन नें ओजोन परत की खोज की थी. ओजोन परत पृथ्वी के वातावरण के समताप मंडल के निचले हिस्से में (पृथ्वी के ऊपर 15-35km) में मौजूद है. इस परत में ओजोन की अपेक्षाकृत उच्च सांद्रता होती है. ओजोन की उपस्थिति पृथ्वी पर रहने वाले प्राणियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यह सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणों को सोख लेती है, साथ ही उसे छान करके ही पृथ्वी पर भेजती है.
पृथ्वी ग्रह पर मानव गतिविधियों के कारण ओजोन परत में छेड़ का पाया जाना लिए बहुत ही घातक हो सकता है. यह परत दिन ब दिन समाप्त होती जा रही है. जो समाप्त हो रही है. ओजोन परत समताप मंडल के लिए बहुत फायदेमंद है, लेकिन जमीन के नजदीक इसकी उपस्थिति उतनी ही हानिकारक होती है. जमीन पर इसकी उपस्थिति प्रकाश रासायनिक क्रिया को सम्पादित करती है और स्माग तथ अम्ल वर्षा को संपदित करने में सहयोगी होती है. अर्थात यह एक प्रदूषक के रूप में काम करती है.
ओजोन परत रिक्तीकरण के कारण
क्लोरीन और ब्रोमीन युक्त रसायन ओजोन के विनाश में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. ये पदार्थ संताप मंडल को बहुत ही हानि पहुंचाते हैं. इन्हें ओजोन क्षरण पदार्थ कहते हैं. इनका जीवन-काल लगभग 100 वर्षों के आस-पास होता है.
ओजोन परत के रिक्तीकरण का प्रभाव.
ओजोन परत सूरज की पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी को बचाने के लिए जिम्मेदार है. इसकी कमी मानव स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा कर सकती है. ओजोन परत की 1% की कमी से पृथ्वी पर 2% से अधिक पराबैंगनी किरणों का आगमन होता है जो कि त्वचा कैंसर, मलेरिया, मोतियाबिंद और अन्य संक्रामक रोगों को बढ़ावा देता है.
ओजोन रिक्तीकरण के प्रमुख प्रभावों में अनेक प्रभाव हैं जिनकी वजह से न केवल मानव वल्कि पौधों का जीवन-चक्र और उनके खाद्य श्रृंखला में भी व्यवधान पड़ता है. सबसे बड़ी बात हैं की इनके कारण प्लवक के रूप में सूक्ष्म जीवों का आस्तित्व नष्ट होगा जिसके कारण इनपर निर्भर रहने वाले जीव भी नष्ट हो जायेंगे. ओजोन रिक्तीकरण के कारण अन्य प्रभाओं में प्रमुख हैं, पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, हवा के रुख में बदलाव आदि.
पृथ्वी बचाओ अभियान
निम्न तरीकों की मदद से ओजोन परत के क्षरण को रोका जा सकता है;
1. ऐसे सौंदर्य प्रसाधन और एयरोसोल और प्लास्टिक के कंटेनर, स्प्रे,जिसमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) विद्यमान हैं उन उत्पादों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए.
2. वृक्ष रोपण और घर के पिछवाड़े में उद्यान के रूप में गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
3. पर्यावरण के अनुकूल उर्वरक का प्रयोग किया जाना चाहिए.
4. अपने वाहन से अत्यधिक धुआं उत्सर्जन को रोकने के लिय वाहनों का नियमित रख-रखाव कराना चाहिए. इस तरह से हम अपने वाहनों के पेट्रोल और कच्चे तेल का बचत कर सकते हैं.
5. प्लास्टिक और रबर से बने टायर को जलाने से बचना चाहिए.
इस प्रकार ऊपर दिए गए विविरण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि विश्व ओजोन दिवस का मनाया जाना पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्य के अस्तित्व के लिए बहुत ही जरूरी क़दम है.
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