भारत में स्पोर्टिंग इवेंट्स में युवाओं की भागीदारी बढ़ी है . क्रिकेट के अलावा अन्य स्पोट्र्स का पैशन रखने वाले कम नहीं हैं . युवा अपनी ट्रेनिंग और फिटनेस पर पूरा फोकस कर रहे हैं, जिससे एथलेटिक थेरेपी एक नये विकल्प के तौर पर उभरा है . हालांकि पश्चिमी देशों में यह एक बेहद लोकप्रिय पेशा रहा है, लेकिन भारत में धीरे-धीरे इसके प्रति युवाओं का रुझान बढ़ता दिख रहा है . खिलाड़ी अपनी चोट को लेकर सचेत रहने के अलावा टारगेट ट्रेनिंग और सुरक्षित रिहैबिलिटेशन पर भी ध्यान दे रहे हैं . एथलीट्स को खुद को सेहतमंद रखने में मदद मिल रही है, जिससे आजकल एथलेटिक थेरेपिस्ट की मांग बढ़ी है .
क्या है एथलेटिक थेरेपी ?
एथलेटिक थेरेपी को स्पोर्ट्स मेडिसिन भी कहते हैं . इसमें किसी भी खिलाड़ी की परफॉर्मेंस में सुधार लाने के लिए मेडिकल साइंस का इस्तेमाल किया जाता है . इसके तहत खिलाड़ियों को प्रशिक्षण के वैज्ञानिक तरीके बताए जाते हैं, जिससे वे चोटिल होने पर भी दोबारा से वापसी कर सकते हैं या फिर चोटिल हुए बिना अपनी परफॉर्मेंस को बेहतर कर सकते हैं . एक एथलेटिक थेरेपिस्ट का काम किसी भी घायल खिलाड़ी को तुरंत राहत और सपोर्ट उपलब्ध कराना होता है . इसके अलावा, दूसरे हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स, फिजिकल थेरेपी, फिजियोथेरेपी, ऑर्थोपेडिक एक्सपर्ट्स की मदद से खिलाड़ियों को पुनर्वासित किया जाता है .
शैक्षिक योग्यता
एथलेटिक थेरेपिस्ट बनने के लिए आपके पास स्पोर्ट्स मेडिसिन (एमबीबीएस), स्पोट्र्स फिजिकल थेरेपी में मास्टर्स डिग्री होनी चाहिए . साथ ही, एक्सरसाइज फिजियोलॉजी और एथलेटिक ट्रेनिंग में अतिरिक्त सर्टिफिकेट होने से फायदा मिलेगा . स्टूडेंट्स के पास फर्स्ट एड और लाइफ सपोर्ट में सर्टिफिकट होना आवश्यक है . आप फिजियोथेरेपी में डिग्री कोर्स करके भी इस सेक्टर में आ सकते हैं . देश में कई इंस्टीट्यूट्स और यूनिवर्सिटीज फिजियोथेरेपी में मास्टर्स कोर्स संचालित करती हैं .
बेसिक स्किल्स
एथलेटिक थेरेपिस्ट के लिए खेल के प्रति लगाव, मोटिवेशन और दृढ़निश्चय का होना सबसे पहली जरूरत है . इसके साथ ही गंभीर मेडिकल अवस्था की जांच के लिए क्लीनिकल एक्सपीरियंस जरुरी है . आपके अंदर बेसिक साइकोलॉजिकल स्किल्स का होना भी जरूरी है, ताकि मरीजों से इंटरैक्शन में कोई दिक्कत न हो . जो लोग करियर में ऊंची छलांग लगाना चाहते हैं, उन्हें स्पोर्ट्स मेडिसिन में हो रहे लेटेस्ट डेवलपमेंट्स की जानकारी रखनी होगी .
संभावनाएं
स्पोर्ट्स में स्पेशलाइज्ड केयर आने से एथलेटिक थेरेपिस्ट की डिमांड में इजाफा हुआ है . खासकर, इन दिनों जिस तरह से खिलाड़ी इंजरी मैनेजमेंट से लेकर अपने खेल को उन्नत बनाने के लिए साइंटिफिक अप्रोच के साथ काम कर रहे हैं, उसे देखते हुए जॉब मार्केट में एथलेटिक या स्पोर्ट्स थेरेपिस्ट की लोकप्रियता आगे भी बनी रहेगी . जिम और स्पोर्ट्स कल्चर के बढ़ने से भी यह एक आकर्षक विकल्प के रूप में चुना जा रहा है . मल्टीनेशनल स्पोर्ट्स कंपनीज एथलेटिक थेरेपिस्ट्स को हायर करती हैं . एक सर्टिफाइड थेरेपिस्ट प्रोफेशनल स्पोर्ट्स क्लब, स्पोर्ट्स टीम, स्पोर्ट्स इंजरी क्लीनिक, डिसेबल्ड एथलीट्स या ऑर्गेनाइज्ड स्पोर्टिंग इवेंट्स के साथ काम कर सकता है . इन दिनों एथलेटिक थेरेपिस्ट्स एकेडमिक और रिसर्च प्रोग्राम्स में भी काफी हिस्सा लेने लगे हैं .
सैलरी
एथलेटिक थेरेपिस्ट करियर की शुरुआत में 40 हजार रुपये आसानी से कमा सकता है . अनुभव बढ़ने के साथ ही उनकी सैलरी 75 हजार रुपये से तीन लाख रुपये महीने तक हो सकती है .
प्रमुख संस्थान
’ जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली
www.jmi.ac.in
’ जामिया हमदर्द, दिल्ली
www.jamiahamdard.edu
’ मणिपाल यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु
www.manipal.edu
’ इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली
www.ipu.ac.in
’ एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा
www.amity.edu
’ गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर
www.gndu.ac.in
’ डी.वाई. पाटिल यूनिवर्सिटी, पुणे
www.dpu.edu.in
Comments
All Comments (0)
Join the conversation