बाल दिवस दिल को छू लेने वाली कविताएं - Children’s Day Poems in Hindi 2024

Bal Diwas Par Kavita: यहाँ पढ़ें बच्चों के लिए सुंदर और प्रेरणादायक कविताएं व् शायरी जो इस बाल दिवस को बनाएंगी और भी खास। इन कविताओं में बच्चों की मासूमियत, उनकी खुशियाँ और उज्ज्वल भविष्य की झलक मिलती है

Nov 14, 2024, 10:09 IST
Check here the best Children’s Day Poems in Hindi
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November 14 Children's Day Poem in Hindi: हर साल 14 नवंबर को भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती को समर्पित है। यह दिन बच्चों की मासूमियत, खुशियों और उनके उज्ज्वल भविष्य की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करता है। बाल दिवस पर केवल बच्चों के प्रति समाज की जिम्मेदारियों की याद दिलाई जाती है, बल्कि इस दिन को उनके सपनों और आकांक्षाओं को संजोने के संकल्प के रूप में भी देखा जाता है। स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में आयोजित विभिन्न कार्यक्रम बच्चों को अपने बचपन के अनमोल क्षणों की ओर प्रेरित करते हैं। बाल दिवस पर प्रस्तुत की गई कविताएं बच्चों की भोली दुनिया और उनके रंगीन सपनों को शब्दों के माध्यम से जीवंत कर देती हैं। आइए, इस बाल दिवस पर हम बच्चों के बचपन और उनके खुशहाल भविष्य को समर्पित इन कविताओं का आनंद लें और उनके महत्व को समझें।

1.अच्छे बच्चे

ननहें मुन्ने हम हैं बच्चे,

काम करेंगे अच्छे अच्छे,

आपस में हम कभी लड़ते

हिम्मत से हम आगे बढ़ते।।

2.चंदा मामा

चंदा मामा दूर के,

पुए पकाए गुड़ के।

आप खाएं थाली में,

मुन्ने को दें प्याली में।।

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3.तिनका तिनका सुख

तिनका तिनका सुख

ये बचपन की यादें जब आती है

मन के बच्चे को फिर जगाती है

हंसते खेलते वो सुनहरे पल नये

आज से सुन्दर पुराना कलवो रुनझुन

ध्वनि हवा का रुखवो चुनना तिनका तिनका सुख

Children’s Day Anchoring Script 2024

4.बगीचे की खिलती कली

बगीचे की खिलती कली हो तुम,

आसमान के चमकते सितारे हो तुम,

तुम सदा ऐसे ही चमकते रहो,

तुम्हे बाल दिवस मुबारक हो.

तुम बच्चे ही अँधेरे में प्रकाश हो,

तुम बचे ही राष्ट्र की आस हो,

तुम सदा ऐसे ही चमकते रहो,

 प्यारे बच्चो, अच्छे बच्चो,

तुम जीवन के आधार हो।

तुम देश के उजियारे हो,

तुम सबके जीवन का प्यार हो।

5.बचपन

कुदरत ने जो दिया मुझे ,

है अनमोल खजाना

कितना सुगम सलोना वो

ये मुश्किल कह पाना ।।

दमक रहा ऐसे मानो ,

सोने सा बचपना।

फिक्र नहीं कल की

किसी से शिकवा गिला ।।

मित्रों की जब टोली निकले ,

क्या खाये ,बिन खाये

बड़े चाव से ऐसे चलते

मानो जन्ग जीत कर आये।। 

कोमल हाहाथों से बलखाकर ,

जब करते आतिशवजी

घुंघरू बान्धे हुए पैर पर

तब चलती खुशियों की आन्धी ।।

उन्हे देख माँ की ममता का ,

उमड़ रहा सैलाब

मन मन्दिर महका रहा

बगिया का खिला गुलाब ।।

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6.बचपन होता है अनमोल

बचपन में होती हैं खुशियां

बचपन होता है अनमोल

आता नहीं कभी दोबारा ये

समझो तुम सब इसका मोल।।

बचपन के वो खेल पुराने

दोस्तों के संग यादों के तराने

बारिश में वो नाव तैराना

याद आता है वो जमाना ।।

स्कूल में जाना रोजाना

नए-नए बहाने बनाना

दोस्तो के संग घूमने जाना

बचपन होता है खुशियों का तराना।।

बाल दिवस पर दुकान लगाना

नए-नए सामान ले जाना

खूब खाना सबको खिलाना

बचपन है यादों का जमाना ।।

कभी कभी स्कूल नहीं जाना

बहाने बना कर घर पर रुक जाना

होम वर्क नहीं करने पर टीचर की डांट खाना

बचपन होता है यादों का खजाना ।।

समय के साथ बड़े हो जाना

पर बचपन को कभी ना भूल पाना

बचपन का वो जमाना

याद आता है वक्त पुराना ।।

7.हम थेऔर बस हमारे सपने

हम थेऔर बस हमारे सपने

हम थे और बस हमारे सपने,

उस छोटी सी दुनिया के थे हम शहजादे।

लगते थे सब अपने-अपने,

अपना था वह मिट्टी का घिरौंदा,

अपने थे वह गुड्डे-गुड़िया,

अपनी थी वह छोटी सी चिड़िया,

और उसके छोटे से बच्चे।

अपनी थी वह परियों की कहानी,

अपने से थे दादा-दादी, नाना और नानी।

अपना सा था वह अपना गांव,

बारिश की बूँदें कागज की नाव।

माना अब वह सपना सा है,

पर लगता अब भी अपना सा है।

दुनिया के सुख दुःख से बेगाने,

चलते थे हम बनके मस्तानेे।

कभीे मुहल्ले की गलियों मे,

और कभी आमो के बागों मे।

कभी अमरुद के पेड़ की डालियों पर,

और कभी खेतों की पगडंडियों पर।

इस मस्ती से खेल-खेल मे,

न जाने कब बूढ़े हो गये हम।

बीत गया वह प्यारा बचपन,

न जाने कहां खो गये हम।

8. मेरा नया बचपन

बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी। गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी॥  चिंता-रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्भय स्वच्छंद। कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद?  ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था छुआछूत किसने जानी? बनी हुई थी वहाँ झोंपड़ी और चीथड़ों में रानी॥  किये दूध के कुल्ले मैंने चूस अँगूठा सुधा पिया। किलकारी किल्लोल मचाकर सूना घर आबाद किया॥  रोना और मचल जाना भी क्या आनंद दिखाते थे। बड़े-बड़े मोती-से आँसू जयमाला पहनाते थे॥  मैं रोई, माँ काम छोड़कर आईं, मुझको उठा लिया। झाड़-पोंछ कर चूम-चूम कर गीले गालों को सुखा दिया॥  दादा ने चंदा दिखलाया नेत्र नीर-युत दमक उठे। धुली हुई मुस्कान देख कर सबके चेहरे चमक उठे॥  वह सुख का साम्राज्य छोड़कर मैं मतवाली बड़ी हुई। लुटी हुई, कुछ ठगी हुई-सी दौड़ द्वार पर खड़ी हुई॥  लाजभरी आँखें थीं मेरी मन में उमँग रँगीली थी। तान रसीली थी कानों में चंचल छैल छबीली थी॥  दिल में एक चुभन-सी थी यह दुनिया अलबेली थी। मन में एक पहेली थी मैं सब के बीच अकेली थी॥  मिला, खोजती थी जिसको हे बचपन! ठगा दिया तूने। अरे! जवानी के फंदे में मुझको फँसा दिया तूने॥  सब गलियाँ उसकी भी देखीं उसकी खुशियाँ न्यारी हैं। प्यारी, प्रीतम की रँग-रलियों की स्मृतियाँ भी प्यारी हैं॥  माना मैंने युवा-काल का जीवन खूब निराला है। आकांक्षा, पुरुषार्थ, ज्ञान का उदय मोहनेवाला है॥  किंतु यहाँ झंझट है भारी युद्ध-क्षेत्र संसार बना। चिंता के चक्कर में पड़कर जीवन भी है भार बना॥  आ जा बचपन! एक बार फिर दे दे अपनी निर्मल शांति। व्याकुल व्यथा मिटानेवाली वह अपनी प्राकृत विश्रांति॥  वह भोली-सी मधुर सरलता वह प्यारा जीवन निष्पाप। क्या आकर फिर मिटा सकेगा तू मेरे मन का संताप?  मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी बिटिया मेरी। नंदन वन-सी फूल उठी यह छोटी-सी कुटिया मेरी॥  'माँ ओ' कहकर बुला रही थी मिट्टी खाकर आयी थी। कुछ मुँह में कुछ लिये हाथ में मुझे खिलाने लायी थी॥  पुलक रहे थे अंग, दृगों में कौतूहल था छलक रहा। मुँह पर थी आह्लाद-लालिमा विजय-गर्व था झलक रहा॥  मैंने पूछा 'यह क्या लायी?' बोल उठी वह 'माँ, काओ'। हुआ प्रफुल्लित हृदय खुशी से मैंने कहा - 'तुम्हीं खाओ'॥  पाया मैंने बचपन फिर से बचपन बेटी बन आया। उसकी मंजुल मूर्ति देखकर मुझ में नवजीवन आया॥  मैं भी उसके साथ खेलती खाती हूँ, तुतलाती हूँ। मिलकर उसके साथ स्वयं मैं भी बच्ची बन जाती हूँ॥  जिसे खोजती थी बरसों से अब जाकर उसको पाया। भाग गया था मुझे छोड़कर वह बचपन फिर से आया॥

बाल दिवस पर शायरी

नीचे पढ़ें कुछ बेहतरीन और प्रेरणादायक शायरी जिन्हें आप अपने मित्रों और परिवार के साथ साझा कर उन्हें बाल दिवस की शुभकामनाएँ दे सकते हैं।

1. मां की कहानी थी, परियों का फसाना था।
बारिश में कागज की नाव थी,
बचपन का वो हर मौसम सुहाना था।

2. खबर ना होती कुछ सुबह की,
ना कोई शाम का ठिकाना था।
थक हार के आना स्कूल से,
पर खेलने तो जरूर जाना था।

3. फूलों की खुशबू, चिड़ियों का गीत,
मासूम बच्चों की मुस्कान है अजीज।
चाचा नेहरू का सपना साकार,
बच्चों के सपनों से रोशन संसार।

4. रोने की वजह ना थी,
ना हंसने का बहाना था।
क्यों हो गए हम इतने बड़े,
इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था।

5. बच्चों की हंसी में बसा है जहाँ,
उनके ख्वाबों से रौशन है आसमां।
बाल दिवस पर ये संदेश है प्यारा,
हर बच्चा बने खुशहाल और न्यारा।

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Gurmeet Kaur
Gurmeet Kaur

Assistant Manager

Gurmeet Kaur is an Education Industry Professional with 10 years of experience in teaching and creating digital content. She is a Science graduate and has a PG diploma in Computer Applications. At jagranjosh.com, she creates content on Science and Mathematics for school students. She creates explainer and analytical articles aimed at providing academic guidance to students. She can be reached at gurmeet.kaur@jagrannewmedia.com

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