हर समाज में बच्चों के सुनहरे भविष्य तथा एक सफल जीवन या फिर यूँ कहें कि एक सफल करियर की अभिलाषा से माता-पिता उन्हें जीवन में सफल हुए कुछ महान व्यक्तित्व की कहानियां सुनाकर सफलता के रहस्य की सीख देते हैं. ऐसा वे इसलिए करते हैं ताकि आगे चलकर जीवन में उन्हें बिना किसी परेशानी के ही अनायास सफलता मिलती जाए और वे निरंतर आगे बढ़ते चले जाएं. इतना ही नहीं अगर जीवन में संघर्ष की स्थिति आये, तो भी वे डंटकर उसका मुकाबला कर सकें. हर कोई अपने उस दिन को अवश्य ही याद करता होगा. लेकिन कभी कभी अकस्मात् जीवन में कुछ ऐसी स्थिति बनती है कि सफलता बामुश्किल ही मिलती है और समझ नही आता कि आखिर क्या करें ? कौन सा रास्ता अख्तियार करें कि सफलता मिले ? अगर आप भी जाने अनजाने ऐसे दौर से गुजर रहे हैं तो नीचे दिए गए इन पांच तथ्यों पर गौर करते हुए उस पर अमल करें और सफलता की ओर अग्रसर हों.
अपने लक्ष्य पर फोकस रखें
आप कोई भी काम करते हैं उसका कोई न कोई लक्ष्य या उद्देश्य होता है. हमेशा अपने लक्ष्य पर फोकस रखें. कभी भी इधर उधर नहीं भटकें. यदि लक्ष्य पर फोकस नहीं किया जाय तो उसे कभी भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है ? इस बात को एक उदाहरण से हम कुछ इस तरह समझ सकते हैं. कुछ लड़के एक साथ इकट्ठे होकर किसी नदी में तैर रहे कुछ अण्डों के छिलके पर निशाना लगा रहे थें लेकिन किसी का भी निशाना सही नहीं लग रहा था. तभी अचानक वहां से एक बुजूर्ग गुजरे और उन्होंने यह देखा तो एक बच्चे से उसकी बंदूक लेकर निशाना साधना शुरू किया और उनके सभी निशाने सही स्थान पर जाकर लगें. तब उन बच्चों ने उस बुजूर्ग से पूछा कि ‘आप यह सब करने में कैसे सक्षम हो गए ? बुजूर्ग ने कहा कि आप जो भी कर रहे हैं अपना पूरा दिमाग उसी काम पर लगाइए. अगर आप लोग निशाना लगा रहे हो तो आपका पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए. तब आप कभी नहीं चुकेंगे. आप अपने किसी भी कार्य को अगर फोकस्ड होकर करते हैं,तो उस कार्य में आपकी शत प्रतिशत सफलता निश्चित है.
किसी भी भय का डंटकर सामना करें, भागे नहीं
मनुष्य का यह स्वभाव होता है कि वह डर लगते ही उससे किसी भी तरह छुटकारा पाना चाहता है. लेकिन जब हमें कोई डर सताता है तो उस समय डरने की बजाय उसका डंटकर मुकाबला करना चाहिए. स्वामी विवेकानन्द जी ने भी कहा है कि डर से भागने के बजाएय उसका सामना करना चाहिए. उनके जीवन की एक घटना है कि एक बार वे बनारस के दुर्गाकुंड में स्थित दुर्गा मंदिर से निकल रहे थे कि वहां मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया. बंदर उनके नजदीक आकर उन्हें डराने लगे. विवेकानंद खुद को बचाने के लिए भागने लगे, लेकिन बंदरों ने उनका पीछा करना जारी रखा. पास खड़ा एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहा था. उसने स्वामी विवेकानंद को रोका और बोला, 'रुको ! उनका सामना करो.' विवेकानंद जी तुरंत पलटे और बंदरों की तरफ बढ़ने लगे. फिर क्या था सारे बंदर एक क्षण में भाग गए. इस घटना ने विवेकानन्द के जीवन की दिशा बदल दी और इससे उन्होंने यह सीख ली कि, 'यदि आप कभी किसी चीज से भयभीत होते हैं, तो उससे भागिए मत, उसकी तरफ देखिये और उसका सामना कीजिये.'
अपनी दिशा खुद तय कीजिये
जीवन में एक मंत्र हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि सफलता पाने के लिए किसी दूसरे के पीछे भागने से कुछ हासिल नहीं होगा. सफलता तभी मिल सकती है जब आप अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए अपना रास्ता खुद ही बनाते हैं. हम जीवन में अक्सर दूसरे की देखा देखी करते हैं और उसी के अनुरूप काम करना शुरू कर देते हैं. कभी कभी तो किसी दूसरे के कहे हुए राह पर बिना सोचे समझे ही चलना शुरू कर देते हैं. लेकिन ऐसा करके हम अपनी मंजिल कभी हासिल नहीं कर सकते हैं. इसलिए सबसे पहले अपनी मंजिल तलाशिये और उस मंजिल तक पहुँचने के लिए अपना रास्ता भी खुद ही तय कीजिये. एक बार आप ऐसा करके तो देखिये. दुनिया में कोई ऐसी ताकत नहीं है जो आपको रोक सके.
जरुरत पड़ने पर दूसरों की मदद करना सीखिए
कोई भी समाज तथा देश तभी प्रगतिशील हो सकता है जब वहां के नागरिक जरुरत पड़ने पर एक दूसरे की मदद के लिए तैयार रहें. समाज के उत्थान में हर किसी को योगदान देना चाहिए. हमेशा सिर्फ अपने विषय में सोचने के बजाय किसी न किसी रूप में समाज को भी कुछ देने की कोशिश करनी चाहिए. इसलिए शुरू से ही अपने अन्दर थोड़ा बहुत त्याग की भावना रखें तभी जरुरत पड़ने पर आप किसी की मदद कर आत्मिक शांति महसूस कर सकते हैं. यह शांति जीवन में सफलता के कई द्वार खोलती है.
वैचारिक संपन्नता के साथ सयंमपूर्ण जीवन जीना सीखें
व्यक्ति को हमेशा सादा जीवन उच्च विचार की विचारधारा के अनुसार अपना जीवन जीने की कोशिश करनी चहिये. भौतिक संसाधनों का उपभोग एक लिमिट में ही किया जाना चाहिए. आजकल लोग इतने लालची बन बैठे हैं कि करोड़ों की सम्पत्ति के बावजूद कई घिनौने काम करते हुए देखे जाते हैं. लेकिन आदमी को यह याद रखना चाहिए कि कुछ भी हासिल करने के लिए किसी न किसी चीज का त्याग करना पड़ता है. भैतिकवादी सोच व्यक्ति को लालची और स्वार्थी बना देती है और इस कारण वे अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं. इसलिए वैचारिक संपन्नता के साथ सयंमपूर्ण जीवन जीना चाहिए.
अतः जीवन में जब कभी भी मुश्किलें घेर लें और रास्ता नहीं दिखे तो अवश्य ही इन ऊपर बताये गए बातों पर गौर कर उस पर अमल करने की कोशिश कीजिये. आपको रास्ता खुद ब खुद दिख जायेगा और बड़ी आसानी से आप अपना मंजिल हासिल कर सकेंगे.
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