भिन्न भिन्न प्रकृति वाले लोगों से भरे इस संसार में सबके लिये सफलता के मायने अलग अलग होते हैं. कोई अधिक से अधिक पैसा कमाकर सफल बनना चाहता है तो कोई बहुत ज्यादा ख्याति अर्जित कर सफल होना चाहता है. साथ ही साथ भिन्न भिन्न आयु वर्ग वालों के लिए भी सफलता का मतलब कुछ और है. नर्सरी क्लास के बच्चे के लिए abc z तक याद कर लेना ही सफलता है जबकि आईएएस,पीसीएस के छात्रों के लिए इन परीक्षाओं में सफल होना ही सफलता है.लेकिन गौरतलब यह है कि क्या आपने कभी सोचा हैं कि यह सफल लोग आखिर क्या अलग करते हैं जिससे सफलता इनके कदम चूमती है. आज हम इस आर्टिकल द्वारा यह जानने का प्रयास करेंगे कि आखिर लोग सफल क्यों नहीं हो पाते हैं ?
आप चाहे स्कूल में पढ़ाई कर रहें हों या फिर किसी प्रतियोगी परीक्षा (जैसे SSC, IAS, UPSC ) की तैयारी. बस अपनी जिंदगी में ये पाँच साधरण से बदलाव कीजिये फिर सफलता आपके भी कदम चूमेगी.
1. हमेशा अपनी दृष्टि लक्ष्य पर रखें
हमारे साथ अक्सर ऐसा होता है कि कल हमारी परीक्षा होती हैं पर तैयारी के दौरान टी.वी. पर कोई बेहतरीन फ़िल्म आने लगता है. हम सोचते हैं कि उसे देख ले फिर अच्छे से ध्यान लगाकर पढ़ेंगे पर, फिर कोई न कोई ऐसी ही घटना हमारे साथ घट जाती हैं और हम परीक्षा में अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाते.
जीवन में लोग अक्सर छोटी खुशियां पानें के लिये अपने लक्ष्य पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते जिससे उन्हें मनचाही सफलता नहीं मिल पाती.हमेशा याद रखिए अपने लक्ष्य पर पूरा ध्यान रखने वाला व्यक्ति ही सफलता हासिल कर पाता है. ठीक महाभारत के अर्जुन की तरह जिसका निशाना कभी नहीं चूका.
इस बात को हम एक और उदाहरण के द्वारा समझते हैं. दो छात्र ग्रेजुएशन के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी करना चाहते थे. एक छात्र अपने शौक पूरे करने के लिए तैयारी के साथ छोटी नौकरी करने लगा जिसके द्वारा उसके ख़र्चे निकलने लगे, पर वो सरकारी नौकरी की तैयारी में पूरा ध्यान नहीं केंद्रित कर पाया और बाद में उसे असफलता मिली. हालाँकि उसकी नौकरी से उसके ख़र्चे निकलते रहे.वहीं दूसरें छात्र को भी आर्थिक संकटो से दो चार होना पड़ा. उसने किसी तरह उन संकटो से लड़ा, अपने मन को मनाया और हमेशा अपना पूरा ध्यान सरकारी नौकरी की तैयारी में केंद्रित रखा, बाद में उस छात्र क़ो बड़ी सफलता मिली, उस छात्र का मासिक वेतन जल्द नौकरी शुरू करने वाले छात्र की तुलना में दोगुना था.
2. पूर्णता जरुरी है लेकिन समय का भी ख्याल रखें
बहुत बार ऐसा होता है कि किसी काम को परफेक्ट बनाने की चाह में हम उसे तय समय पर पूरा नहीं कर पाते. उदाहरण के लिए जब हम किसी एग्जाम कि तैयारी शुरू करतें हैं तो अक्सर लोगों के दिमाग में यह सोच रहती है कि हर एक चैप्टर को अच्छी तरह समझ के आगें बढ़ेंगे और कुछ भी नहीं छोड़ेंगे. इस कारण से बहुत लोग तैयारी के दौरान शुरुआत के चैप्टर्स में फसें रह जाते हैं और पता ही नहीं चलता कब समय निकल जाता है ?कभी-कभी तो आखिर के चैप्टर बहुत आसान होते हैं और यह बात लोगों को बहुत देर से पता चलती है.
काम को परफेक्ट तरीके से करना अच्छी बात है पर तय समय के अंदर. अगर समय निकल जाने पर काम हो तो उस काम का महत्त्व बहुत कम हो जाता है या ख़त्म हो जाता है. उदाहरण के लिए, आपको बहुत जोर से भूख लगी है और आप किसी होटेल में गए अथवा खाना ऑर्डर किया. अब अगर आपको स्वादिष्ट खाना 4 से 5 घंटे में मिलें तो क्या आप उस होटेल से खुश होंगे. जाहिर सी बात है नहीं, कारण कि आपको समय से खाना नहीं मिल पाया और शायद पुनः वहां जाने से पहले आप कई बार सोचेंगे. अगर किसी मरीज़ को समय से दवा न मिले तो क्या उस दवा का असर होगा ?
इसलिए काम को परफेक्ट बनाना और काम को समय पर पूरा करना दोनों ही बहुत ज़रूरी हैं.
3. ईमानदारी पूर्वक मेहनत करें
एक सफल व्यक्ति हमेशा यह बात अच्छी तरह से समझता है कि उसके जीवन की हर सफलत और असफलता के लिये वह ख़ुद ही जिम्मेदार है. एक सफल व्यक्ति अपना काम पूरी ईमानदारी से करता हैं और अगर काम में असफल रहता हैं तो उसके कारणों को जानने की कोशिश भी करता हैं. वह कभी बहानें नहीं बनाता और खुद से तो बिल्कुल भी नहीं.
किसी नए काम के शुरुआत में दिक्कतों का आना बहुत आम बात है. बड़ी कामयाबी आसानी से नहीं मिलती, अगर यह इतनी आसानी से हासिल होती तो हर इंसान एक कामयाब व्यक्ति होता.
एक साधरण सा उदाहरण कुछ इस प्रकार है: अगले दिन आपका पेपर था और आपकी तबियत ख़राब हो गई जिसकी वजह से आप ठीक से पढ़ाई नहीं कर पायें और परीक्षा में अच्छे नंबर नहीं ला पायें. यह एक ऐसा बहाना है जो हम अक्सर खुद से और मित्रों से बताते हैं जबकि इसके लिये हम खुद ज़िम्मेदार होते हैं. हमे यह अच्छी तरह पता होता हैं पूरे साल अच्छे ढंग से पढ़ाई नहीं करने के कारण हम असफल हुए हैं.
4. आत्म निर्भर बनें
काम छोटा हो या बड़ा आप उसके लिए किसी पर भी निर्भर न रहें. हर छोटे से छोटे काम को स्वयं करने की कोशिश करें. यूँ तो समाज परस्पर निर्भरता के सिद्धांत पर ही चलता है लेकिन हमें दूसरों पर कम से कम निर्भर रहने की कोशिश करनी चाहिए. कुछ छात्र नोट्स और होमवर्क के लिये अपने दोस्तों पर निर्भर रहते हैं.
इनमे से कई लोग कुछ समय बाद खुद को आत्म निर्भर बना लेते हैं और जीवन में आने वाले हर चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार रहते हैं. जो लोग ज्यादा समय तक दूसरों पर निर्भर होते हैं वे जिंदगी में आनें वाली चुनौतियों का सामना ठीक से नहीं कर पातें या फिर नई चुनौतियों के आगे जल्द घुटने टेक देतें हैं.
जितना ज्यादा आप आत्मनिर्भर बनेंगे उतना ही आप अपने करियर की उचाईयों तक पहुँचने में सक्षम होंगे.
5. परिवर्तन के लिए हमेशा तैयार रहें
अक्सर यह देखा गया है कि लोग विभिन्न कारणों से किसी भी तरह के बदलाव से डरते हैं. यह बदलाव किसी भी तरह के हो सकते हैं, हो सकता है वो जिंदगी से जुड़े हों या फिर आपके करियर से ही सम्बंधित हों. अधिकतर लोग बदलाव से इसलिए डरते है क्योंकि उन्हें एक ख़ास माहौल की आदत पड़ गई होती है, उन्हें लगता है कि वो नए माहौल में असफल हो जायेंगे या उनसें गलतियाँ होंगी. बदलाव विकास का अभिन्न अंग है बिना बदलाव के विकास संभव नहीं.
अगर आप बदलाव से डर रहे हैं या उससे बच रहे हैं तो इसका सीधा असर आपके करियर पर पड़ेगा. इसलिए बदलाव से न डरें न भागें बल्कि उसके अनुसार खुद को ढ़ाल कर आगे बढ़ें.
निष्कर्ष:
असफलता से कभी नहीं डरे. हो सकता है असफलता की सीढ़ी चढ़ते चढ़ते समय आपको सफलता के शिखर तक पहुंचा दे.याद रखिये हर असफलता के पीछे सफलता का एक राज छिपा होता है.
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