सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की सैलरी में वृद्धि वाले बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मंजूरी देने के साथ ही जजों की सैलरी में बढ़ोतरी का रास्ता साफ हो गया है. उल्लेखनीय है कि जजों के वेतन में बढोत्तरी के बिल को शीतकालीन सत्र के दौरान 04 जनवरी 2018 को संसद से मंजूरी मिली थी. संसद से मंजूरी मिलने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया था.
बिल के अनुसार जजों के वेतन में हुई बढ़ोतरी और पूर्व की सैलरी पर गौर करें तो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को पहले मिलने वाली सैलरी से करीब 200% का इजाफा होगा.
जजों को पहले मिलने वाली सैलरी और बढ़ी हुई सैलरी के मुताबिक अब चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया को अब करीब 2.80 लाख सैलरी प्रति महीने मिलेंगे जो कि पहले 1 लाख रूपये थी. वही सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों को 90,000 के बदले अब उन्हें 2.50 लाख सैलरी मिलेगी.
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को अब 2.50 लाख रूपये मिलेंगे जो कि पहले 90,000 मिलते थे. वहीँ हाई कोर्ट के जज को 80,000 रूपये के बदले अब 2.25 लाख सैलरी के रूप में मिलेंगे.
जजों के वेतन में हुई यह वृद्धि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को जो 1 जनवरी, 2016 से पूर्ववर्ती रूप से लागू हो जाएगी.
जजों के वेतन में यह बढ़ोत्तरी अखिल भारतीय सेवा के अंतर्गत केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाली 7 वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप है. जजों में वेतन में हुई यह वृद्धि जनवरी 2016 से मानी जाएगी.
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जज (सेलरीज एंड कंडीशन ऑफ सर्विस) अमेंडमेंट एक्ट, 2018 में संसोधन कर आवास किराया भत्ता और व्यक्तिगत खर्च भत्ता में भी संशोधन किया जायेगा. इसके अंतर्गत 1 जुलाई, 2017 से हाउस रेंट भत्ता की दरों में संशोधन करेगा जो 1 जुलाई, 2017 से प्रभावी मानी जाएँगी. वही जजों के लिए व्यक्तिगत खर्च भत्ते की दरों में भी संशोधन किया जायेगा जोकि 22 सितंबर, 2017 से प्रभावी मानी जाएँगी.
गौरतलब है कि 2016 तत्कालीन भारत के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन में बढ़ोतरी की मांग को लेकर सरकार को लिखा था. जनवरी 2018 के आंकड़ों के अनुसार समय सुप्रीम कोर्ट में 25 न्यायाधीश हैं जबकि कुल कुल न्यायधीशों की शक्ति 31 है. वहीँ देश में कुल 24 हाई कोर्ट अस्तित्व में हैं जिसमें 1,079 के बदले वर्तमान में 682 न्यायाधीश काम कर रहे हैं. हालाँकि सरकार के इस कदम से लगभग 2,500 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को भी फायदा होगा.
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