MPESB: मध्य प्रदेश सरकार की एक भर्ती परीक्षा में सामान्यीकरण प्रक्रिया अपनाने के कारण एक अभ्यर्थी को कुल 100 में से 101.66 अंक मिलने पर नौकरी के इच्छुक युवाओं ने इसका विरोध प्रदर्शन किया और भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी का आरोप लगाया तथा निष्पक्ष जांच की मांग की।
यह विवाद तब सामने आया जब भोपाल मुख्यालय वाले मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा इस सप्ताह (13 दिसंबर ) की शुरुआत में मध्य प्रदेश राज्य भर्ती परीक्षा 2024 के परिणाम घोषित किए गए। जब कई उम्मीदवार उत्सुकता से अपने अंकों की जाँच कर रहे थे, तो उनका ध्यान तुरंत एक ऐसे उम्मीदवार पर गया, जिसने किसी तरह कुल संभावित अंकों से अधिक अंक प्राप्त करने में कामयाबी हासिल की थी।
कथित विसंगति को सबसे पहले अन्य उम्मीदवारों ने देखा, जिन्होंने परिणाम पीडीएफ डाउनलोड किया और स्पष्ट विसंगति को देखा। उम्मीदवार के 100 में से 101.66 अंक सूचीबद्ध होने के कारण तुरंत ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगह व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
छात्रों ने किया विरोध प्रदर्शन
भोपाल, इंदौर और अन्य प्रमुख शहरों में सैकड़ों अभ्यर्थी सड़कों पर उतर आए हैं और परीक्षा आयोजित करने वाले मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (एमपीपीईबी) से जवाब मांग रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने बैनर ले रखे थे और बोर्ड पर मूल्यांकन प्रक्रिया में अनियमितताओं और हेराफेरी का आरोप लगाते हुए नारे लगाए।
इंदौर के एक अभ्यर्थी राजेश शर्मा ने कहा, "यह सिर्फ़ एक गलती नहीं है, यह निष्पक्षता का सवाल है। अगर किसी को कुल अंकों से ज़्यादा अंक मिल रहे हैं, तो हम पूरी व्यवस्था पर कैसे भरोसा कर सकते हैं?"
सोशल मीडिया पर भी विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गए हैं, जिसमें #MPExamScam और #JusticeForAspirants जैसे हैशटैग पूरे देश में ट्रेंड कर रहे हैं। कई यूज़र्स ने भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता बनाए रखने में विफल रहने के लिए राज्य के अधिकारियों की आलोचना की, जो सरकारी नौकरियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
सामान्यीकरण प्रक्रिया क्या है?
सामान्यीकरण (Normalization) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी उम्मीदवारों के अंकों की तुलना उचित और निष्पक्ष तरीके से की जा सके। इसमें एक गणितीय सूत्र का प्रयोग होता है, जो उम्मीदवारों के वास्तविक स्कोर को सामान्यीकृत स्कोर में परिवर्तित करता है।
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