केंद्र सरकार एक नयी सर्विस/कैडर एलोकेशन प्रणाली के लिए प्रयासरत है जिससे UPSC में अर्जित अंकों का महत्व कम हो जायेगा तथा LBSNAA के फाउंडेशन कोर्स के अंकों को सिविल सेवा परीक्षा में अर्जित अंकों के साथ मिलकर ही अंतिम मेरिट लिस्ट बनेगी जिसके आधार पर ही सर्विस तथा कैडर एलोकेशन होगा ।
इस नयी प्रणाली को अमली जामा पहनाने के लिए केंद्र सरकार के प्रधान मंत्री कार्यालय में दिनांक 17 मई को एक पत्र जारी किया था जिसमे इस नयी प्रस्तावित प्रणाली पर सभी कैडर नियंत्रक मंत्रालयों से इस नयी प्रणाली पर टिपण्णी तथा सुझाव आमंत्रित किये गए हैं ।
इस नयी प्रणाली में फाउंडेशन कोर्स का महत्व और भी बढ़ जायेगा । फाउंडेशन कोर्स में तीन महीने तक IAS, IPS तथा कुछ केंद्रीय सेवायों में चयनित अभ्यर्थी साथ में रह कर ट्रेनिंग करते हैं तथा फिर अपने समर्पित ट्रेनिंग संस्थानों में चले जाते हैं । फाउंडेशन कोर्स में अखिल भर्तिया सेवा के प्रोबेश्नर्स तीन महीने तक साथ में रहते हैं तथा अखिल भारतीय सेवा के नींव को अच्छी तरह समझते हैं । अब तक सर्विस/कैडर एलोकेशन केवल सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के लिखित तथा साक्षात्कार के अंकों के आधार पर होता है ।
मॉडल अस्पष्ट हैं
डीओपीटी, यह बताते हुए कि पीएमओ से सुझाव आए हैं, ने मंत्रालयों के "विचार" और "आवश्यक कार्रवाई" की मांग की है ताकि परिवर्तन इस वर्ष से लागू किया जा सके। पत्र ने मंत्रालयों से सेवा के मौजूदा नियमों की जांच करने और एक सप्ताह के भीतर इस मामले पर अपने सुझाव प्रदान करने का आग्रह किया है।
इस पत्र ने मंत्रालयों से सिविल सेवा परीक्षा और फाउंडेशन कोर्स में उम्मीदवारों के संयुक्त स्कोर के आधार पर सेवा और कैडर आवंटित करने की व्यवहारिक्ता का अध्ययन करने का आग्रह किया है।
पत्र यह निर्धारित नहीं करता है कि फाउंडेशन कोर्स के दौरान उम्मीदवार के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए कौन से मानदंडों का पालन किया जाएगा। यह स्पष्ट नहीं करता है कि फाउंडेशन कोर्स में 'प्रदर्शन' पूरी तरह से एक लिखित परीक्षा या अकादमी के संकाय या अन्य अधिकारियों द्वारा मूल्यांकन किए जाने वाले अन्य पहलुओं पर आधारित होगा। पत्र में यह भी उल्लेख नहीं किया गया है कि प्रशिक्षण अकादमियों को उम्मीदवारों को कैसे सौंपा जाएगा।
यदि इस प्रस्ताव को मान लिया जायेगा तो बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाएगी क्योंकि UPSC लगभग 1000 ऑफिसर्स की सूचि प्रकाशित करता है तथा सर्विस निर्धारण ना होने की दशा में सभी 1000 प्रशिक्षु अधिकारी LBSNAA में जायेंगे जिसकी सुविधा वहां नहीं है । LBSNAA एक साथ 1000 प्रशिक्षु अधिकारियों की ट्रेनिंग की व्यवस्था नही कर सकता।
इस नयी प्रणाली में UPSC का अधिकार भी इस परीक्षा पर थोडा कम हो जायेगा जो की एक अच्छा संकेत नहीं होगा। सिविल सेवा परीक्षा समाप्त होने के बाद UPSC अनुशंसित उम्मीदवारों की लिस्ट कार्मिक मंत्रालय को भेजता है जिसके बाद ही सर्विस एलोकेशन की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। नयी प्रणाली में इसका कोई विकल्प नहीं दिया गया है।
यदि यह नए प्रस्ताव प्रभावी हो जाते है तो सरकार को प्रोबेशनरों को तीन अकादमियों में विभाजित करने का एक तरीका खोजना होगा। कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है की इससे उम्मीदवारों को ज्यादा अच्छी तरीके से परखा जा सकता है। "आज योग्यता प्राप्त उम्मीदवारों को उनकी रैंक के आधार पर कैडर और सेवाएं सौंपी जाती हैं। फाउंडेशन कोर्स एक प्रमुख सेवा सौंपने से पहले उनके आचरण, व्यवहार और ऐसे अन्य कारकों का आकलन करने में मदद कर सकता है” । परन्तु व्यावारिक समयाओं को देखते हुए ये कहना मुश्किल है और अगर ये आंकलन इतनी ही जरूरी है तो UPSC की चयन प्रक्रिया में भी बदलाव करके इसे सम्मिलित किया जा सकता है।
कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि आम तौर पर IAS सभी उम्मीदवारों की पहली पसंद है और यदि उन्हें यह नहीं मिलता है, तो वे सिविल सेवा परीक्षा दोबारा देते हैं। "और चूंकि वे फिर से तैयारी करना शुरू कर देते हैं, इसलिए वे फाउंडेशन कोर्स को गंभीरता से नहीं लेते हैं, इसलिए ऐसा लगता है कि सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि फाउंडेशन कोर्स को गंभीरता से लिया जाए।" साथ ही साथ इस प्रणाली के दुरुपयोग की भी संभावनाएं हैं।
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पीएमओ ने तीन महीने के फाउंडेशन कोर्स पूरा करने के बाद केवल कैडर और सेवा को प्रोबेशनर्स को आवंटित करने का प्रस्ताव दिया है। अभी मंत्रणा जारी है और इस विषय पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया।
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