सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं में आए दिन हो रही अनियमितताओं पर अंकुश लगाने हेतु सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्णय दिया है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार सरकारी नौकरी के लिए होने वाली भर्तियों की वीडियोग्राफी की जानी चाहिए. इससे चयन प्रक्रिया पर सवाल नहीं खड़े होंगे.
निर्णय व आदेश:
सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से राज्य लोक सेवा आयोगों (STATE PSC) और राज्य चयन बोर्डों (SSC) द्वारा सार्वजनिक पदों के लिए संचालित की जाने वाली चयन प्रक्रियाओं की वीडियोग्राफी किए जाना आवश्यक बताया, ताकि इस समूची कवायद की शुचिता कायम रह सके.
यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने किया. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार परीक्षा व साक्षात्कार केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाए. एक तीन सदस्यीय समिति का भी गठन किया जाए. यह समिति फुटेज देखकर भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा कर सके.
अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य चयन आयोगों द्वारा की जाने वाली भर्ती में इन मानकों का पालन हर हाल में सुनिश्चित किया जाए. चयन संस्थाओं, विशेष रूप से राज्य लोक सेवा आयोग (STATE PSC) और राज्य चयन बोर्डों (SSC) द्वारा चयन की प्रक्रिया की यथासंभव वीडियोग्राफी कराई जाए. न्यायालय ने आदेश की प्रति डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल व ट्रेनिंग विभाग को भेजने के लिए भी आदेश दी.
कारण:
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने यह टिप्पणी कर्नाटक और मेघालय से जुड़े मामले की समीक्षा के दौरान की. मेघालय के मामले में आरोप था कि प्राइमरी स्कूलों में की गईं सहायक शिक्षकों की भर्ती में भारी धांधली की गई.
सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति के लिए कर्नाटक लोक सेवा आयोग (KPSC) ने समूह ए और ग्रुप डी के 362 पदों पर भर्ती प्रक्रिया आरम्भ की. यह परीक्षा 2012 में हुई और 2013 में साक्षात्कार. इस नियुक्ति के मामले की जांच में ज्ञात हुआ कि कई उम्मीदवारों ने चयन समिति में लोगों को रिश्वत दी है, क्योंकि KPSC द्वारा आयोजित अधिकतर उम्मीदवारों को 4 अंक प्रदान किए गए. व्यक्तिगत सदस्यों द्वारा कोई वास्तविक आकलन नहीं किया गया था और 566 उम्मीदवारों को सामान अंक से सम्मानित किया गया. जांच शाखा ने इसे पूर्व-निर्धारित माना. केपीएससी भवन में डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर के सबूत भी नष्ट कर दिए गए थे.
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