UP Board Class 10 Science Notes : Magnetic effect of electric current, Part-III

Nov 21, 2018, 11:56 IST

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UP Board Class 10 Science Notes
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Main topics covered in this article are:

1. बायो तथा सेवर्ट्स के नियम से धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र

2. विधुत मोटर, प्रमुख भाग, क्षेत्र चुम्बक, आर्मेच, विभक्त वलय, ब्रुश

3. विधुत मोटर की कार्य विधि तथा उपयोग

4. चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेशित कणों पर बल अथवा लॉरेन्ज बल

बायो तथा सेवर्ट्स के नियम से धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र : माना AB एक धारावाही तार है, जिसमें i धारा प्रवाहित हो रही है| जिसके छोटे खंड Δl के मध्य बिंदु O से r मीटर की दूरी पर धारा की दिशा से θ कोण बनाते हुए कोई बिंदु P है| बिंदु P पर उत्पन्न धारावाही तार के कहते खंड Δl के कारण चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता बायो तथा सेवर्ट्स के नियमानुसार निम्नलिखित बटों पर निर्भर करती है-

1. चालक में प्रवाहित विधुत धारा के अनुक्रमानुपाती होती है|

अर्थात,                   B α i

2. यह चालक खंड की लम्बाई के अनुक्रमानुपाति होती है|

अर्थात,                   B α Δl

3. यह चालक खण्ड के मध्य बिंदु O से P तक की दूरी के वर्ग (r2) के व्युत्क्रमानुपाती होती है|

अर्थात,                   B α 1/ r2

4. यह चालक खंड तथा दूरी r के बीच बनने वाले कोण (θ) की ज्या (sine) के अनुक्रमानुपाति होती है|

अर्थात,                   B α sin θ

अतः चारों नियमों को मिलाने पर,

                          B α i Δl sin θ / r2

              अथवा        B = μ0/4π × i Δl sin θ / r2 न्यूटन/(एम्पियर-मीटर)

magnetic effect of current third part

जहाँ, μ0/4π एक नियतांक है| इसका मान 10-7 न्यूटन/(एम्पियर-मीटर)| μ0 को निर्वात की चुम्बशिलता कहते हैं| इसका मान 4π × 10-7 न्यूटन/एम्पियर2 है| उपयुर्क्त सूत्र बायो सेवर्ट नियम कहलाता है|

विधुत मोटर : विधुत मोटर एक ऐसा साधन है, जो विधुत उर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदलता है| चुम्बकीय क्षेत्र में रख कर उसमें विधुत धारा प्रवाहित की जाती है तो कुंडली पर एक बल्युग्म कार्य करने लगता है, जो कुंडली को उसके अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है| यदि कुंडली अपने अक्ष पर घुमने के लिए सवतंत्र हो तो वह घुमने लगती है|

विधुत मोटर के मुख्य चार भाग :

क्षेत्र चुम्बक : यह एक शक्तिशाली स्थाई चुम्बक होता है, जिसके ध्रुवखंड N और S हैं|

आर्मेचर : यह तांबे के तार के अनेक फेरों वाली एक आयताकार कुंडली ABCD होती है| जो कच्चे लोहे के क्रोड पर तांबे के तार के प्रिथक्कित फेरे लपेट कर बनाई जाती है|यह चुम्बक के ध्रुवों NS के बीच घुमती है|

विभक्त वलय : ये दो अर्धवृत्ताकार वलयों अथवा दो खण्डों में विभक्त एक विलय के रूप में होते हैं|आर्मेचर की कुंडली के सिरे एन दो अलग-अलग वलयों L और M से जुड़े होते हैं| ये वलय आर्मेचर की धुरादण्ड से जुड़े होते हैं|

ब्रुश : विभक्त वलय L और M कार्बन धातु की बनी दो पत्तियां b1 और b2 को स्पर्श करते हैं| इन्हें ब्रुश कहते हैं| इन ब्रुशों का सम्बन्ध दो संयोजन पेंचों से करके इनके बिच एक बैटरी लगा देते हैं| एक ब्रुश से विधुत धारा कुंडली में प्रवेश करती है तथा दुसरे ब्रुश से विधुत धारा बाहर निकलती है|

कार्य विधि : जब बैटरी से कुंडली में विधुत धारा प्रवाहित करते हैं तो फ्लेमिंग के बाएं हाँथ के नियम से, कुंडली की भुजाओं AB और CD पर बराबर परन्तु विपरीत दिशा में दो बल कार्य करने लगते हैं| ये दोनों बल एक बल युग्म बनाते हैं, जिसके कारण कुंडली वामावर्त दिशा में घुमने लगती है| कुंडली के साथ उसके सिरों पर लगे विभक्त वलय भी घुमने लगते हैं| इन विभक्त वलयों की मदद से धारा की दिशा इस प्रकार रखी जाती है कि कुंडली पे बल युग्म लगातार एक ही दिशा में कार्य करे अर्थात कुंडली एक ही दिशा में घुमती रहे|

electric moter working process

उपयोग : विधुत मोटर का उपयोग बिजली के पंखे, जल पम्प, गेहूं पीसने की चक्की एवं अनेक विधुत उपकरणों में होता है|

चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेशित कणों पर बल अथवा लॉरेन्ज बल :

जब किसी चुम्बकीय क्षेत्र में कोई आवेशित कण गति करता है तो कण पर एक बल आरोपित होता है| इस बल को लॉरेन्ज बल (Lorentz Force) कहते हैं| इस बल की दिशा, चुम्बकीय बल क्षेत्र की दिशा तथा कण की गति दोनों के लम्बवत् होती है|

माना कोई आवेशित कण + q चुम्बकीय क्षेत्र B में क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् v वेग से गति कर रहा है| तब इस कण पर लगने वाला लॉरेन्ज बल  F= qaB

बल F की दिशा फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम से ज्ञात की जाती है| विद्युत धारा की दिशा धन आवेशों की गति की दिशा में तथा इलेक्ट्रॉनों की गति की दिशा के विपरीत दिशा में मानी जाती है| आवेश q के ऋणात्मक होने पर बल F की दिशा में प्रदर्शित दिशा के विपरीत होगी|

यदि आवेशित कण की गति की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र B की दिशा के लम्बवत् न होकर, उससे θ कोण बना रहा है तो आवेशित कण पर लगने वाला बल F= qvB sinθ होगा|

Jagran Josh
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Education Desk

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