आज हम इस आर्टिकल में कक्षा 10 वी के विज्ञान के पहले यूनिट प्रकाश (Light) के तीसरे चेप्टर प्रकाश का अपवर्तन(गोलिये तलों पर) : लेंस के सभी टॉपिक का शोर्ट नोट्स प्रदान करेंगे| जैसा की हमें पता है प्रकाश एक बहुत बड़ा और काफी महत्वपूर्ण यूनिट है इसलिए, छात्रों को इस अध्याय को अच्छी तरह समझ कर तैयार करना चाहिए। यहां दिए गए नोट्स उन छात्रों के लिए बहुत सहायक साबित होंगे जो UP Board कक्षा 10 विज्ञान बोर्ड परीक्षा की तैयारी में हैं।
प्रकाश का अपवर्तन (गोलिय तलों पर) : लेंस
लेंस: दो पृष्ठों से घिरा हुवा पारदर्शी माध्यम जिसके एक या दोनों पृष्ट गोलीय हो लेंस कहलाता है| लेंस मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं
1. अभिसारी लेंस (उत्तल लेंस): अभिसारी लेंस के दोनों ओर के पृष्ट उभरे हुए होते हैं| यह लेंस बिच से मोटा और किनारों के पतला होता है| अभिसारी लेंस अपने मुख्य अक्ष के समांतर आने वाली प्रकाश किरणों को फोकस पर मिला देता है|
2. अपसारी लेंस (अवतल लेंस): अपसारी लेंस के दोनों ओर के पृष्ट अन्दर की ओर दबे हुए होते हैं| यह लेंस बिच से पतला और किनारों से मोटा होता है| अपसारी लेंस अपने मुख्य अक्ष के समांतर आने वाली प्रकाश किरणों को फोकस पर फैला देता है|
गोलीय लेंस के सन्दर्भ में निम्न शब्दों की परिभाषा :
वक्रता केंद्र : गोलिये लेंस का प्रत्येक पृष्ट एक गोले का भाग होता है और इस गोलों के केंद्र को वक्रता केंद्र कहते हैं|
मुख्य अक्ष : किसी लेंस के दोनों वक्रता केंद्र से गुजरने वाली एक काल्पनिक सीधी रेखा लेंस का मुख्य अक्ष कहलाती है|
प्रकाशित केंद्र : किसी लेंस का केंद्र बिंदु उसका प्रकाशित केंद्र कहलाता है| इसे C से प्रदर्शित करते हैं|
द्वारक : किसी गोलीय लेंस के वृत्ताकार रूपरेखा का प्रभावी व्यास उसका द्वारक कहलाता है|
फोकस : लेंस के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिंदु जहाँ मुख्य अक्ष के समांतर आने वाली प्रकाश किरणें अपवर्तन के बाद मिलती है, (उत्तल लेंस) मिलती हैं या (अवतल लेंस) मिलती हुई प्रतीत होती हैं लेंस का फोकस कहलाती है| इसे F से प्रदर्शित करते हैं|
गोलिय लेंस द्वारा प्रकाश किरणों के अपवर्तन का नियम :
1. जब कोई प्रकाश किरण गोलीय लेंस के मुख्य अक्ष के समांतर आती है तो लेंस से अपवर्तन के पश्चात् फोकस से गुज़रती है (उत्तल लेंस) या फोकस से होकर गुज़रती हुई प्रतीत होती है(अवतल लेंस)|
2. जब कोई प्रकाश किरण फोकस से गुज़र कर आती है तो लेंस के अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समानांतर हो जाती है|
3. जब कोई प्रकाशित किरण लेंस के प्रकाशित केंद्र से होकर गुज़रती है तो लेंस के अपवर्तन के पश्चात् वह बिना मुड़े सीधे निकल जाती है|
उत्तल लेंस द्वारा अलग-अलग स्तिथियों में रखी वस्तु के प्रतिबिम्ब का बनना :
|   वस्तु की स्तिथि  |    प्रतिबिम्ब की स्तिथि  |    प्रतिबिम्ब का आकार  |    प्रतिबिम्ब की प्रकृति  |  
|   2F से परे  |    F और 2F के मध्य  |    छोटा  |    वास्तविक एवं उल्टा  |  
|   अनंत पर  |    फोकस पर  |    अत्यधिक छोटा  |    वास्तविक एवं उल्टा  |  
|   2F पर  |    2F पर  |    वस्तु के बराबर  |    वास्तविक एवं उल्टा  |  
|   F व 2F के मध्य  |    2F से परे  |    वस्तु से बड़ा  |    वास्तविक एवं उल्टा  |  
|   F पर  |    अनंत पर  |    अत्यधिक बड़ा  |    वास्तविक एवं उल्टा  |  
|   फोकस व प्रकाशित केंद्र के मध्य  |    वस्तु की ओर  |    बड़ा  |    आभासी एवं सीधा  |  
अवतल लेंस द्वारा अलग-अलग स्तिथियों में रखी वस्तु के प्रतिबिम्ब का बनना :
|   वस्तु की स्तिथि  |    प्रतिबिम्ब की स्तिथि  |    प्रतिबिम्ब का आकार  |    प्रतिबिम्ब की प्रकृति  |  
|   अनंत पर  |    फोकस पर  |    अत्यधिक छोटा  |    आभासी एवं सीधा  |  
|   अनंत एवं प्रकाशित केंद्र के मध्य कहीं भी  |    F एवं प्रकाशित केंद्र के मध्य कहीं भी  |    छोटा  |    आभासी एवं सीधा  |  
लेंस सूत्र तथा लेंस द्वारा उत्पन्न आवर्धन :
लेंस सूत्र को निम्न प्रकार से लिखा जाता है :
1/v – 1/u = 1/f
यहाँ v = लेंस के प्रकाशित केंद्र से प्रतिबिम्ब की दूरी, u = लेंस के प्रकाशित केंद्र से वस्तु की दूरी, f = लेंस की फोकास दूरी( उत्तल लेंस के लिए धनात्मक और अवतल लेंस के लिए ऋणात्मक)
लेंस द्वारा उत्पन्न आवर्धन :
लेंस द्वारा उन्पन्न आवर्धन प्रतिबिम्ब की ऊँचाई एवं वस्तु की ऊँचाई के अनुपात के बराबर होता है|
अर्थात, लेंस द्वारा उत्पन्न आवर्धन = प्रतिबिम्ब की ऊँचाई / वस्तु की ऊँचाई
m = h’/h = v/u
यहाँ h’ = प्रतिबिम्ब की ऊँचाई, h = वस्तु की ऊँचाई, v = प्रकाशित केंद्र से प्रतिबिम्ब की दूरी, u = प्रकाशित केंद्र से वस्तु की दूरी|
आवर्धन m का मान धनात्मक होने पर प्रतिबिम्ब सीधा एवं आभासी होगा, m का मान ऋणात्मक होने पर प्रतिबिम्ब उल्टा एवं वास्तविक होगा|
लेंस की क्षमता : किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों का कितना अभिसरण तथा अपसरण होता है यह उसकी क्षमता कहलाती है| लेंस की क्षमता उसके फोकस दूरी के व्युत्क्रम होती है|
उत्तल लेंस के लिए u, v तथा f में सम्बन्ध :
माना कोई वस्तु AB एक पतले उत्तल लेंस LL’ की मुख्य अक्ष पर लम्बवत रखी है| वस्तु के B सिरे से मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली किरण BE’, लेंस के अपवर्तन के पश्चात इसके द्वतीय फोकस F2 से निकल कर सीधी चली जाती है| ये दोनों किरणें बिंदु B’ पर परस्पर काटती हैं; अतः बिंदु B’ बिंदु B का वास्तविक प्रतिबिम्ब है| बिंदु B’ से मुख्य अक्ष पर खिंचा गया लम्ब B’A’ ही वस्तु AB का उल्टा प्रतिबिम्ब है|
माना लेंस से वस्तु तक की दूरी CA = u, लेंस से प्रतिबिम्ब तक की दूरी CA’ = v और लेंस की फोकस दूरी CF2 = +f है|
अतः 1/v – 1/u = 1/f या, f = uv/u-v
अवतल लेंस के लिए u, v तथा f में सम्बन्ध :
माना कोई वस्तु AB एक पतले अवतल लेंस LL’ की मुख्य अक्ष पर लम्बवत रखी है| वस्तु के B सिरे से मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली किरण BE, लेंस के अपवर्तन के पश्चात इसके फोकस F1 से आती हुई प्रतीत होती है| दूसरी किरण BC प्रकाशित केंद्र C से हो कर सीधी चली जाती है| ये दोनों किरणें पीछे की ओर बढ़ाने पर बिंदु B’ पर परस्पर काटती हैं; अतः बिंदु B का आभासी प्रतिबिम्ब बिंदु B’ पर बनता है| बिंदु B’ से मुख्य अक्ष पर खिंचा गया अभीलम्ब A’B’ ही वस्तु AB का सम्पूर्ण प्रतिबिम्ब है|
माना लेंस से वस्तु तक की दूरी CA = u, लेंस से प्रतिबिम्ब तक की दूरी CA’ = v और लेंस की फोकस दूरी CF1 = f है|
अतः 1/v – 1/u = 1/f या, f = uv/u-v
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