आज हम इस आर्टिकल में कक्षा 10 वी के विज्ञान के पहले यूनिट प्रकाश (Light) के दुसरे चेप्टर प्रकाश का अपवर्तन (refraction of light) के सभी टॉपिक का शोर्ट नोट्स प्रदान करेंगे| जैसा की हमें पता है प्रकाश एक बहुत बड़ा और काफी महत्वपूर्ण यूनिट है इसलिए, छात्रों को इस अध्याय को अच्छी तरह समझ कर तैयार करना चाहिए। यहां दिए गए नोट्स उन छात्रों के लिए बहुत सहायक साबित होंगे जो UP Board कक्षा 10 विज्ञान बोर्ड परीक्षा की तैयारी में हैं।
प्रकाश के अपवर्तन का नियम :
प्रथम नियम : आपतित किरण, आपतन बिन्दु पर पारदर्शी पृष्ठ का अभिलम्ब तथा अपवर्तित किरण सभी समान तल में रहते है।
द्वितीय नियम : आपतन कोण की ज्या और अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात नियतांक होता है तथा पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहलाता है।
sin i/sin r = n (नियतांक)
इस नियम को स्नेल्स का नियम कहते हैं तथा नियतांक को पहले माध्यम के सापेक्ष दुसरे माध्यम का अप्वार्त्नांक कहते हैं|
अपवर्तनांक एवं प्रकाश की चाल में सम्बन्ध :
यदि प्रकाश किसी एक माध्यम(नीरवत या वायु के अलावा) से दुसरे माध्यम में प्रवेश करता है| तो अप्वार्त्नांक आपेक्षिक अप्वार्त्नांक कहलाता हैं| इसे निम्न प्रकार से प्रदर्शित किया जाता है|
n21 = v1/v2
जहाँ, n21= माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक
v1 = पहले माध्यम में प्रकाश की चाल
v2 = द्वतीय माध्यम में प्रकाश की चाल
यदि पहला माध्यम निर्वात या वायु है तो माध्यम 2 का अपवर्तनांक निर्वात के सापेक्ष माना जाता है| इसे माध्यम का निरपेक्ष अप्वार्त्नांक कहते हैं|
nm = c/v
यहाँ, nm माध्यम का अपवर्तनांक, c = वायु या निर्वात में प्रकाश की चाल, v= माध्यम में प्रकाश की चाल
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन : जब कोई प्रकाश किरण सघन माध्यम से वायरल माध्यम में जाती है और आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक हो जाता है तो विरल माध्यम में प्रकाश किरण का अपवर्तन नहीं होता बल्कि सम्पूर्ण प्रकाश परावर्तित होकर सघन माध्यम में ही वापस लौट आता है | इस प्रकाश के परावर्तन को पूर्ण आन्तरिक परावर्तन कहते हैं|
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए निम्नलिखित दो शर्तें हैं :
(1) प्रकाश का गमन सघन माध्यम से वायरल माध्यम में होना चाहिए|
(2) सघन माध्यम में आपतन कोण का मान, विरल माध्यम के सापेक्ष सघन माध्यम के क्रांतिक कोण से अधिक होना चाहिए|
निरपेक्ष अपवर्तनांक : यदि प्रकाश का अपवर्तन निर्वात से किसी माध्यम में होता है, तब आपतन कोण के sine तथा अपवर्तन कोण के sine के अनुपात को उस माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं| इसे n से प्रदर्शित करते हैं| अपवर्तनांक किसी पदार्थ का विशिष्ट भौतिक गुण है| विभिन्न पदार्थों के अपवर्तनांक का मान भिन्न-भिन्न होता है| एक ही पदार्थ का अपवर्तनांक विभिन्न रंगों के प्रकाश के लिए भिन्न-भिन्न होता है| जैसे- बैगनी रंग के प्रकाश के लिए सबसे अधिक तथा लाल रंग के प्रकाश के लिए सबसे कम होती है| तरंग्दैध्य के बढ़ने पर अपवर्तनांक का मान कम हो जाता है| ताप के बढ़ने पर भी अपवर्तनांक घटता है|
क्रांतिक कोण : जब कोई प्रकाश किरण AO किसी सघन माध्यम (कांच) से वायरल माध्यम (वायु) में जाती है| तो इसका कुछ भाग OE परावर्तित हो जाता है और अधिकांश भाग OB अपवर्तित हो जाता है| इस दशा में अपवर्तन कोण r का मान, आपतन कोण i से अधिक होता है, क्यूंकि अपवर्तित किरण, सघन माध्यम से वायरल माध्यम में आने से अभिलम्ब से दूर हट जाती है|
अब, यदि आपतन कोण (i) का मान धीरे-धीरे बढ़ते जाएँ तो अपवर्तन कोण (r) का मान भी बढ़ता जाता है तथा एक विशेष कोण (i) के मान के लिए अपवर्तन कोण (r) का मान 90० हो जाता है| चित्र में आपतन कोण (i) के इस मान को क्रांतिक कोण कहते हैं| अतः सघन माध्यम में बना वह आपतन कोण, जिसके लिए विरल माध्यम में संगत अपवर्तन कोण 90० होता है, क्रांतिक कोण कहलाता है| इसे c से प्रदर्शित करते हैं|
क्रांतिक कोण तथा माध्यम के अपवर्तनांक में समबन्ध:
यदि विरल माध्यम को 1 से और सघन माध्यम को 2 से निरुपित करें तो स्नैल के नियमानुसार, सघन माध्यम के सापेक्ष वायरल माध्यम का अपवर्तनांक
2n1 = sin i /sin r
जब आपतन कोण i = क्रांतिक कोण c, जब अपवर्तन कोण r = 90०
अतः 2n1 = sin c /sin90० = sin c
परन्तु 2n1 = 1/1n2 , जहाँ 1n2 विरल माध्यम के सापेक्ष माध्यम का अपवर्तनांक है|
अतः 1/1n2 = sin c
अथवा, 1n2 = 1/ sin c अथवा, 1n2 = cosec c
प्रिज्म : किसी समांग पारदर्शी माध्यम का वह भाग जो किसी कोण पर झुके हुवे दो समतल पृष्ठों के बीच स्थित होता है, प्रिज्म कहलाता है| प्रिज्म के जिन पृष्ठों से अपवर्तन होता है उस पृष्ट को अपवर्तक पृष्ट कहते हैं तथा इसके बिच के कोण को अपवर्तन कोण या प्रिज्म कोण कहते हैं|दोनों पृष्ट को मिलाने वाली कोर को अपवर्तक कोर कहते हैं अपवर्तक के सामने वाले परीश को प्रिज्म का आधार कहते हैं|
प्रिज्म द्वारा प्रकाश का विचलन : मामा PQR कांच के एक मुख्य परिचेद है| माना कोण PRQ = A अपवर्तन कोण है| माना एक आपतित प्रकाश किरण BC प्रिज्म के पृष्ट PR के बिंदु C पर आपतित होती है| इस पृष्ट पर अपवर्तन के पश्चात् यह प्रकाश किरण बिंदु C पर खीचें गए अभिलम्ब की ओर झुक कर CD दिशा में चली जाती है| प्रकाश किरण CD दुसरे अपवर्तक पृष्ट QR के बिंदु D पर आपतित होती है और अपवर्तन के पश्चात् बिंदु D पर खिचे गए अभिलम्ब से दूर हटकर DE दिशा में निर्गत हो जाती है| अतः प्रिज्म BC दिशा में आने वाले किरण को DE दिशा में विचलित कर देता है| इस प्रकार प्रिज्म प्रकाश के दिशा में कोनिए विचलन उत्पन्न क्र देता है| आपतित किरण BC को आगे तथा DE को पीछे बढ़ाने पर ये एक दुसरे को बिंदु G पर काटती है|इन दोनों के बिच बना कोण FGD विचलन कोण कहलाता है| इसे डेल्टा से प्रदर्शित करते हैं|
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