अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2017: UP बोर्ड रीजल्ट में महिलाओं की सहभागिता और सफलता

Mar 7, 2017, 15:48 IST

8 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day या IWD)के रूप में मनाया जाता है तो आज इस लेख में हम औरत के बढ़ते क़दमों तथा समाज में बढ़ते रुतबे से जुड़े कुछ पहलुओं पे चर्चा करेंगे|

जैसा कि हम सभी लोग जानते है कि हर वर्ष दिनांक 8 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day या IWD)के रूप में मनाया जाता है| इस अवसर के लिए सिर्फ़ एक दिन बाकी रहते हुए हम देश की हर महिला को मुबारकबाद देते हैं तथा कामना करते हैं कि आने वाले समय में इस धरती को औरत के विकास के लिए उपर्युक्त एवं शत प्रतिशत सुरक्षित स्थान बनाया जा सके जहाँ हर लड़की को खुले आस्मां में सांस लेने की, अपने विचार वयक्त करने की तथा हर क्षेत्र में सवयं निर्णय लेने की आज़ादी हो|

up board toppers

आज इस लेख में हम औरत के बढ़ते क़दमों तथा समाज में बढ़ते रुतबे से जुड़े कुछ पहलुओं पे चर्चा करेंगे| अगर हम बात करें महिलाओं की हमारे समाज में स्तिथि की तो हमें पता चलता है की पहले के मुकाबले अब स्तिथि काफी सुधर चुकी है| पहले जहाँ लड़की को पढाई के लिए अपने शहर से दुसरे शहर भेजते हुए माता-पिता सन्कोचित होते थे आज वहीँ लड़कियां उच्च शिक्षा के लिए दुसरे शहर ही नहीं बल्कि दुसरे देशों तक जा रही हैं और अपने माँ-बाप का नाम रौशन कर रही हैं|

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) हो या एड्स दिवस(AIDS Day) हो, इसके मनाने का केवल एक ही मतलब होता है की उस चीज़ के बारे में या उस चीज़ की महत्त्वता के बारे में लोगों को आगाह किया जाए |

आज इस लेख में हम एक अलग नज़रिए से महिला दिवस के बारे में बात करेंगे और वो है महिलाओं की स्कूल सतर की शिक्षा में स्तिथि| आज का युग कुछ छुपाने का नही है क्योंकि internet तथा सोशल मीडिया का प्रसार इतना ज़यादा हो चुका है कि किसी भी समाचार को फैलने में मात्र क्षण भर का समय लगता है|

आज हम UP बोर्ड की होने वाली परीक्षा की बात करेंगे और ये जानने की कोशिश भी करेंगे की गत वर्षों की परीक्षा में गर्ल छात्राओं ने UP बोर्ड की परीक्षा में अपना लोहा कैसे मनवाया है? इसका अंदाज़ा हम गत वर्षों के रिजल्ट को देख कर लगा सकते है| ज़यादा तर बोर्ड एग्जाम, चाहे केंद्र का हो या प्रदेश का, लड़कियों ने हमेशा अपनी कमियाबी का झंडा लड़कों से उपर ही गाड़ा है|

दिन प्रति दिन के आंकड़ों से ये बात साफ़ हो रही है कि लड़कियों को पढ़ाने का जज़्बा हमारे समाज में बढ़ता जा रहा है और कहीं न कहीं हमने ये मान लिया है कि लड़कियां किसी भी स्तर पे लड़कों से कम नहीं है, चाहे बात खेल की करें , शिक्षा की करें, बिजनेस की करें या प्राइवेट तथा सरकारी नौकरियों में इनकी उपस्तिथि की करें| सरकार भी यही चाहती है की हमारा समाज इस बात को समझे की महिलाओं का सशक्तिकरण कितना ज़रूरी है|

यहाँ हम आपसे एक छोटी सी कहानी शेयर करना चाहते है जो की सच्चाई पर आधारित है| इस कहानी से हम एक नारी का शिक्षा लेकर अपने पैरों पर खड़ा होना कितना ज़रूरी है, बताना चाहते है|

इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान मेरे एक दोस्त ने अपनी स्वयं की कहानी शेयर करते हुए बताया था कि उसके पिता जी बचपन में ही गुज़र गए थे मगर उसकी माता जी एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका थीं| वो लोग 2 भाई और 1 बहन थे| उनकी माता जी ने उन तीनो की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी, जिसने जितना पढ़ना चाहा उसके लिए उन्होंने पूरी कुर्बानी दी और अपने बच्चों को पिता के अभाव का कभी ख्याल भी नहीं आने दिया| आज की तारिख में उनके तीनो बच्चे अपने-अपने career में कामियाब हैं और बहुत अच्छे तरीके से अपनी माता जी की सेवा कर रहे हैं| इसके उलटे आप उस महिला की कल्पना कीजिये जिसके साथ बिलकुल यही स्तिथि हो मगर वो अशिक्षित होने के कारण अपने पैरों पर नहीं खड़ी हो सकती और बच्चों की तो दूर की बात वो खुद दूसरों की मुहताज बन कर रह  जाएगी और इसका नतीजा ये होगा कि उसके बच्चों का भविष्य अन्धकार में डूब जाएगा|

अब हम UP बोर्ड एग्साम्स में उपस्थित होने वाले छात्रों में मेल और फीमेल छात्रों के नंबर पे बात करेंगें और उसके बाद कुछ ऐसे नाम भी लेंगे जिन्होंने पिछले वर्षों की UP बोर्ड की परीक्षाओं में टॉप पोजीशन हासिल की है, ज़ाहिर है की ये नाम गर्ल्स छात्राओं के ही होंगे|

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नीचे दिए गए टेबल में आप देख सकतें हैं, कक्षा 10 और कक्षा 12 में शामिल होने वाले कुल छात्रों (लड़के तथा लड़कियों) की संख्या, लड़कियों की प्रतिशत, लड़कों की प्रतिशत तथा पास होने वाले छात्रों की प्रतिशत:

वर्ष

पास छात्र %

लड़कियां (%)

लकड़े (%)

कुल छात्र

2012

73.45

72.65

71.59

1,54,258

2013

75.78

74.12

73.62

2,43,327

2014

79.67

78.55

77.87

3,71,728

2015

83.5

82.23

81.91

4,86,348

2016

87

86

85

5,69,537

अब आपके सामने उन छात्राओं के नाम रखेंगे जिन्होंने पिछले वर्ष Up बोर्ड के हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट एग्जाम में टॉप पोजीशन हासिल की| वर्ष 2016 की Up बोर्ड 10 वीं की परीक्षा में राय बरेली की सौम्या पटेल ने 98.67% अंक प्राप्त करते हुए टॉप पोजीशन हासिल की| जबकि उसी साल Up बोर्ड 12 वीं की परीक्षा में बाराबंकी की साक्षी वर्मा ने 98.20 % अंकों के साथ पहला स्थान हासिल किया| सौम्या पटेल जिसके पिता राये बरेली में खेती का काम करते हैं, का सपना है के वह IAS अफसर बने ताकि वह किसानों के सामने आने वाली समस्सायों को हल करने में कुछ योगदान दे सके.

up board topper Saumya patel

Up बोर्ड परीक्षा में लड़कियों की सफलता की कहानी यहीं ख़तम नहीं होती बल्कि उसी साल की कक्षा 10 वीं तथा 12 वीं की परीक्षा में टॉप 5 पोजीशन लड़कियों ने ही दबोची हैं| यह सब आंकड़े काफी हैं यह बताने के लिए के मौजूदा युग में किस तरह से हर तरफ सिर्फ़ और सिर्फ़ लड़कियों का ही बोलबाला है| गौरतलब है कि बच्चियों की इस सफलता के पीछे कहीं ना कहीं उनके माँ बाप की तरफ से मिलने वाला प्रोत्साहन होता है जो उनको निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है| वरना कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो बेटी को पैदा होने से पहले ही ऊसकी साँसों को दबा देते हैं और उसे इस दुनिया का उजाला देखने से वंचित करते हैं|

पंडित जवाहरलाल नेहरु का एक वचन है, “किसी भी देश कि स्थिति का उस देश कि महिलाओं को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है।“ इसलिए देश, समाज और परिवार के उज्जवल भविष्य तथा विकास के लिये बेहद ज़रूरी है कि महिलाओं को स्वच्छ और उपयुक्त पर्यावरण प्रदान किया जाये जिससे कि वे समाज में व्यक्तिगत सीमाओं को दूर कर आगे बढ़ सकें और अपने विचारों को लोगों के सामने रख सकें।

महिला सशक्तिकरण को मजबूत बनाने के लिये ज़रूरी है के सबसे पहले समाज में महिलाओं के प्रति पाए जाने वाली राक्षसी सोच जैसे कि, असमानता, दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन शोषण, भ्रूण हत्या, घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी, आदि को जड़ से ख़तम किया जाये|

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