आईएएस प्रारंभिक परीक्षा-2016 के लिए सामान्य अध्ययन के प्रथम प्रश्न पत्र में एक विषय पारिस्थितिकी, जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन है। इन सभी विषयों का महत्व अब काफी ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग आज विश्व का एक ज्वलंत मुद्दा बन चुका है। इस विषय पर अब विकसित और विकासशील देशों के बीच रस्साकशी चल रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयासों के बावजूद विकसित देश कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने को तैयार नहीं हैं। इससे जलवायु परिवर्तन का खतरा बढ़ रहा है।
एक प्रशासक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह मौसम के उतार-चढ़ावों से लोगों को होने वाली समस्याओं के बारे में जागरूक होगा। इनके बचाव के उपायों को लागू करके लोगों को खतरे से बाहर रखने का प्रयास करेंगे। उत्तराखंड में हुई केदारनाथ की तबाही से प्रशासकों के इस विषय के बारे में जानकारी होने के बारे में महत्त्व और भी बढ़ गया है। तटीय इलाकों में आने वाले चक्रवातों और दुष्परिणामों से निपटना भी एक चुनौती होती है।
यह हिस्साी व्यवहारिक एवं विश्लेषणात्मक प्रकृति के प्रश्नों से संबंधित होता है। इसमें पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों की विलुप्त होती प्रजातियों, नई खोजी गई प्रजातिअथवा किसी विशिष्ट कारण से चर्चा में रही प्रजाति के विषय में प्रश्न पूछे जातेहैं।लोग भोजन,ईंधन और औषधियों के लिये पौधों एवं पौधों से प्राप्त होने वाले रासायनों परआश्रित हैं।
छात्रों को पर्यावरण प्रदूषण, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तनआदि से जुड़े महत्वपूर्ण सम्मेलनों और संधियों तथा उनके महत्त्वपूर्ण परिणामोंकी जानकारी रखनी चाहिये।
सिविल सेवा के परीक्षा प्रारूपमें बदलाव होने के बाद भूगोल विषय में पूछे गए अधिकांश प्रश्न पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी से संबंधित होते हैं।
इन विषयों के बारे में मूल जानकारी भौगोलिक अध्ययन से प्राप्त की जा सकती है। इसके बावजूद कुछ अद्यतन जानकारी के लिए इन विषयों पर उपलब्ध कुछ पत्रिकाओं और पृथ्वी के संरक्षण के लिए कार्यरत संगठनों के प्रकाशनों से जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इन सभी विषयों के लिए विशेषज्ञता की नहीं वरन इनसे जुड़े सम सामयिक घटनाओं के बारे में जानकारी रखना आवश्यक है। पर्यावरण और पारिस्थितिकी से जुड़ी सभी रिर्पोंटों पर नजर रखें। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलनों,रिपोर्टों और कार्यक्रमों के बारे में अद्यतन जानकारी रखने से इस खंड के प्रश्नों को आसानी से हल किया जा सकता है।इस खण्ड में पूछे जाने वाले प्रश्न ऐसे होते है जिनके बारे में प्राय: पढ़ते रहते हैं। इनमें ग्लोबल वार्मिंग, अम्लीय वर्षाऔर ओजोन परत के क्षरण जैसे विषयों से संबंधितहोते हैं।
इस खण्ड की तैयारी के लिये अभ्यार्थी को एनसीईआरटी की पुस्तकों के साथ-साथ ईग्नू के नोट्स से उपयोगी व पर्याप्त सहायतामिल सकती है। ये पुस्तकेंपर्यावरण एवं पारिस्थितिकी से संबंधित मूल समझ विकसित करने में लाभदायक सिद्ध होंगी।
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