कॉरपोरेट कम्युनिकेशन

Jul 5, 2011, 18:01 IST


यूनाइटेड नेशंस इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार,औद्योगिक उत्पादन के लिहाज से भारत विश्व के 10 शीर्ष देशों में शामिल हो गया है। नई-नई मल्टीनेशनल कंपनियों के आने से कॉरपोरेट कम्युनिकेशन में निपुण लोगों की मांग बढ़ गई है...

कॉरपोरेट कम्युनिकेशन

 

बनें कंपनी के कम्युनिकेटर
यूनाइटेड नेशंस इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार,औद्योगिक उत्पादन के लिहाज से भारत विश्व के 10 शीर्ष देशों में शामिल हो गया है। नई-नई मल्टीनेशनल कंपनियों के आने से कॉरपोरेट कम्युनिकेशन में निपुण लोगों की मांग बढ़ गई है...

कॉरपोरेट कम्युनिकेटर की मांग सभी कंपनियों में है, क्योंकि दो कंपनियों के बीच इनकी अहम भूमिका होती है। कॉरपोरेट सेक्टर में कम्युनिकेशन ही कंपनियों एवं उसके शेयर होल्डरों, उपभोक्ताओं, इंटर्नल गु्रप के सदस्यों आदि के बीच सेतु का काम करता है। कॉरपोरेट कम्युनिकेटर विभिन्न योजनाओं को कंपनी से जुड़े लोगों तक पहुंचाने का काम करता है। यदि आपकी कम्युनिकेशन स्किल अच्छी है, तो आपके लिए यह क्षेत्र बेहतर करियर विकल्प हो सकता है। 

कौन हैं उपयुक्त?
कॉरपोरेट कम्युनिकेशन की फील्ड में जाकर सफलता की असीम ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है, लेकिन यह फील्ड केवल उन्हीं लोगों के लिए है जो अपने काम को निष्ठा और लगन के साथ अंजाम देते हैं और टीम के साथ सामंजस्य बनाए रखते हैं। जिन लोगों में चुनौतियों का सामना करने, बात को समझने और समझाने की काबिलियत के साथ-साथ कम्युनिकेशन स्किल अच्छी है, वे इस क्षेत्र में बहुत कुछ कर सकते हैं।

कोर्स
इस फील्ड में करियर की चाह रखने वालों को मास कम्युनिकेशन का कोर्स करना चाहिए। देश के विभिन्न संस्थानों में मास कम्युनिकेशन से संबंधित  डिप्लोमा एवं डिग्री कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। कोर्सों में प्रवेश के लिए अलग-अलग शैक्षिक योग्यता है। कुछ संस्थान कॉरपोरेट कम्युनिकेशन के कोर्स भी करा रहे हैं।

शैक्षिक योग्यता
इस फील्ड में एंट्री बारहवीं के बाद भी कर सकते हैं, लेकिन यदि ग्रेजुएशन के बाद एंट्री करते हैं, तो करियर के बेहतर विकल्प हैं। अंग्रेजी भाषा के स्नातकों, कम्युनिकेशन के जानकारों एवं एमबीए कर चुके लोगों को एंट्री मिलने में सहूलियत होती है। मास कम्युनिकेशन की डिग्री या डिप्लोमा इस काम में काफी मददगार साबित होता है।  विशेषज्ञों का मानना है कि इस काम के लिए डिग्री इतनी आवश्यक नहीं है, जितनी व्यक्तिगत गुण।

क्यों पड़ी जरूरत
कुछ समय पूर्व तक उपभोक्ताओं एवं शेयर होल्डरों आदि से संपर्क के लिए प्रेस रिलीज या गिने चुने माध्यमों का ही प्रयोग किया जाता था। जिससे कई बार जानकारी संबंधित लोगों तक पहुंचती ही नहीं थी या पहुंचती भी थी, तो काफी देर से। इन परेशानियों से बचने के लिए कॉरपोरेट कम्युनिकेशन में प्रशिक्षित लोगों की आवश्यकता महसूस की गई। जिन कंपनियों ने अपने यहां इसके विशेषज्ञों की नियुक्ति की, वे अपने कंपटीटर से आगे निकल गए। इसकी देखा-देखी बाकी कंपनियों ने भी अपने यहां इस कार्य में दक्ष लोगों की नियुक्तियां कीं। धीरे-धीरे कॉरपोरेट सेक्टर में कम्युनिकेशन का तरीका ही बदल गया।

मेक इट परफेक्ट
कॉरपोरेट सेक्टर की गतिविधियां जैसे योजना निर्माण, उसके पालन के तरीके, लोगों को होने वाले लाभ आदि सभी में कम्युनिकेशन की अहम भूमिका होती है। अगर कम्युनिकेशन क्लियर है, तो कंपनी के हित के लिए बनाई गई योजनाएं शीघ्र अमल में आ जाती हैं। मैनेजमेंट को जो संदेश देने होते हैं, वह उन्हें संक्षेप में कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट को बता देती हैं। कम्युनिकेशन विभाग संदेश को इस तरह मूल रूप देने का काम करता है कि वह पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है। एक अच्छा कम्युनिकेटर कम्युनिकेशन के तरीकों को डेवलप करने के लिए रणनीति बनाता है एवं इंटर्नल कम्युनिकेशन को भी मजबूत करता है। उसका हमेशा यह प्रयास रहता है कि किस तरह लोगों के साथ जुड़कर कस्टमर सर्विस को बेहतर बनाया जाए।

टीम वर्क भी
अधिकतर राष्टï्रीय एवं अंतर्राष्टï्रीय स्तर की कंपनियों ने अपने यहां इस काम के लिए पूरी एक टीम का गठन किया है। टीम में सदस्यों की संख्या कंपनी के बाजार में कद पर निर्भर करती है। ये लोग कंपनी के हितों को ध्यान में रखते हुए राष्टï्रीय एवं अंतरराष्टï्रीय संस्थाओं से संपर्क स्थापित करने का काम भी करते हैं।

सुनहरा भविष्य
विशेषज्ञों के अनुसार सन 2025 तक विश्व जीडीपी में भारत का योगदान 6 प्रतिशत से बढ़कर 11 प्रतिशत हो जाएगा। सन 2009-10 की अवधि में भारत से कुल 4,65,484.92 मिलियन यूएस डॉलर का व्यापार किया गया है। ये आंकड़े दर्शा रहे हैं कि भारत अमेरिका और चीन के बाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। ऐसे में यहां आने वाली कंपनियों की संख्या में और वृद्घि होगी, इस वृद्घि के कारण कॉरपोरेट कम्युनिकेटरों की और भी जरूरत पड़ेगी। इनका वेतन कंपनियों के कद के आधार पर तय होता है। चार या पांच वर्ष का अनुभव होने के बाद वेतन और भी बेहतर हो जाता है।

प्रमुख संस्थान

  • जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड मास कम्युनिकेशन, कानपुर
  • दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
  • आईआईएमसी, दिल्ली
  • पटना यूनिवर्सिटी, पटना
  • चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी, सिरसा, हरियाणा
  • गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर, पंजाब


स्पेशल कमेंट्स
कॉरपोरेट कम्युनिकेशन की जॉब के लिए मास कम्युनिकेशन का कोर्स करने वालों को प्राथमिकता दी जाती है। मास कम्युनिकेशन के विद्यार्थियों को इंटर्नशिप के लिए विभिन्न कंपनियों में भेजा जाता है। इस दौरान जो स्टूडेंट अच्छा प्रदर्शन करते हैं वे उन्हीं कंपनियों में रोजगार हासिल कर लेते हैं। वेतन के नजरिए से भी यह सेक्टर काफी अच्छा है।

सत्य प्रकाश त्रिपाठी,
जेआईएमएमसी, कानपुर

प्रस्तुति : शरद अग्निहोत्री

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