जूते भी आजकल फैशन सिंबल बन गए हैं और जूतों को फैशन स्टेटमेंट बनाने का काम करते हैं फुटवियर डिजाइनर, जो क्रिएटिविटी से जूतों को ब्रांड बनाते हैं। अगर आपमें कुछ नया सोचने या करने का जोश और साहस है और कुछ यूनीक कॉन्सेप्ट आपके पास हैं, तो इस फील्ड में आसानी से एंट्री की जा सकती है। जूतों के डिजाइन की प्रेरणा आम लोगों, प्रकृति, संस्कृति या सिनेमा आदि से ली जा सकती है। इन दिनों जिस तरह से रिटेल सेक्टर में बूम आया हुआ है, उससे फुटवियर इंडस्ट्री भी अछूती नहीं है।
पढाई?
इस फील्ड में सबसे जरूरी है ट्रेनिंग। कई संस्थान फुटवियर टेक्नोलाजी और क्रिएटिव डिजाइनिंग में कोर्स ऑफर कर रहे हैं। जिनमें से कुछ फुटवियर और एसेसरी डिजाइनिंग में डिप्लोमा और शॉट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स करा रहे हैं।
सर्टिफिकेट कोर्स बारहवीं के बाद किया जा सकता है, जबकि दूसरे कोर्सेज के लिए ग्रेजुएट या डिप्लोमा होल्डर होना जरूरी है। फुटवियर डिजाइन ऐंड डेवलेपमेंट इंस्टीट्यूट (एफडीडीआई) क्रिएटिव डिजाइनिंग में डिप्लोमा और सीएडी-सीएएम के जरिए डिजाइन मैनेजमेंट के सभी पहलुओं पर गौर किया जाता है। सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी 12वीं या ग्रेजुएशन के बाद कई डिप्लोमा कोर्सेज भी उपलब्ध हैं।
अवसर
कई डिजाइनर खुद के लेबल के साथ-साथ दूसरे ब्रांड्स के लिए भी काम कर सकते हैं। साथ ही ट्रेड एनालिस्ट, प्रॉडक्ट डेवलपमेंट मैनेजर, फुटवियर टेक्नीशियन और मार्केटिंग या सेल्स रिप्रजेंटेटिव बनकर भी इस क्षेत्र से जुडा जा सकता है। अगर आप अपना बिजनेस शुरू करते हैं, तो ऐसे में अगर स्केचिंग स्किल्स आपके अंदर है, तो यह आपके लिए बोनस की तरह है।
डिजाइनिंग
स्केच बना कर और स्टोरीबोर्ड से इस करियर की शुरुआत की जा सकती है। फुटवियर डिजाइनिंग में स्टोरीबोर्ड एक पॉपुलर वर्ड है, जिसे डिजाइन की डमी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। यह मैगजीन क्लिप, नोट्स और फैब्रिक के नमूनों से बना होता है। एक बार डिजाइन तैयार होने के बाद निर्माता सैंपल बनाने की तैयारी करता है। इस कवायद से न सिर्फ उत्पाद की निर्माण प्रक्रिया में मदद मिलती है, बल्कि डिजाइन के फाइनल एंसेबली लाइन में पहुंचने से पहले सुधार की गुंजाइश भी होती है।
पहले जूते-चप्पल बनाने का काम पारंपरिक तरीके से किया जाता था, लेकिन आधुनिकता और बढती डिमांड के चलते इस फील्ड में भी मशीनों के इस्तेमाल को बढावा मिला है। फुटवियर को नई शक्ल देने का काम फुटवियर डिजाइनर का होता है। फुटवियर डिजाइनिंग में न केवल प्रॉडक्ट की खूबसूरती पर ध्यान दिया जाता है, बल्कि इसके लास्टिंग, युटिलिटी जैसे क्वालिटी पर भी प्रोफेशनल नजरिया अख्तियार किया जाता है।
कैसे करते हैं काम?
जूते की डिजाइनिंग के अलावा डिजाइनर सोल फैक्टरीज, चमडा साफ करने वाले, टेक्सटाइल कंपनियां और ज्वैलरी सप्लायर से संपर्क साधकर चलता है। एक बार माल तैयार होने के बाद डिजाइनर का अगला कदम होता है व्यापार मेलों या प्रदर्शनी के जरिए अपने उत्पाद की ज्यादा से ज्यादा मार्केटिंग करना, ताकि ग्राहकों तक सीधी पहुंच बन सके।
इसके अलावा कई डिजाइनर अपने कलेक्शन बेचने के लिए एक्सपोर्ट हाउस या फैशन स्टोर्स से भी गठजोड करते हैं। दिल्ली की फुटवियर डिजाइनर स्वाति मोडो कहती हैं कि दूसरी इंडस्ट्रीज में जहां सुधार की लगातार गुंजाइश होती है, वहीं फुटवियर डिजाइनिंग इन सब से अलग है। वह कहती हैं कि एक छोटी सी गलती जूते की डिजाइन और शेप दोनों बिगाड सकती है। यही कारण है कि कंसेप्ट से लेकर डिजाइनिंग तक हर कदम पर गहराई से जांच की जाती है।
सैलरी
डिजाइनर की ज्यादातर कमाई उसकी क्रिएटिविटी, स्किल्स, नाम और कंपनी की ब्रैंड इमेज पर ज्यादा निर्भर करती है। 12 हजार से 15 हजार की शुरुआती मासिक सैलरी पर इस क्षेत्र में एंट्री की जा सकती है और सालाना सैलरी लगभग 2.5 लाख से 3 लाख के बीच हो सकती है। ब्रांड लेबल फिदा की शू डिजाइनर संजना के मुताबिक, एक डिजाइनर के लिए जरूरी है कि उसका बनाया जूता बिके। इसके लिए क्रिएटिविटी और सेल्फ कॉन्फिडेंस के बीच सामंजस्य बिठाना जरूरी है।
इस क्षेत्र में लोगों की पसंद, नापसंद, साइज और फाइनल प्रोडक्ट की क्वालिटी जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पडता है। संजना कहती हैं कि प्रोडक्शन की कमान सिर्फ एक हाथ में नहीं होती बल्कि साथ काम करने वालों के दिमाग भी आपकी तरह चलने चाहिए, ताकि वह प्रोडक्ट तैयार हो सके जो आप बनाना चाहते हैं।
इंस्टीट्यूट्स
फुटवियर डिजाइन ऐंड डेवलॅपमेंट इंस्टीट्यूट (एफडीडीआई), नोएडा
वेबसाइट- www.fddiindia.com
सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, आगरा
वेबसाइट- www.cftiagra.org.in
अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई
वेबसाइट- www.annauniv.edu
मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मुजफ्फरपुर
वेबसाइट- www. mitmuzaffarpur.org
सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, चैन्नई
वेबसाइट- www.cftichennai.in
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.nift.ac.in
इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नमेंट लेदर वर्किग स्कूल, मुंबई
एवीआई स्कूल ऑफ फैशन ऐंड शू टेक्नोलॉजी, चंडीगढ
कॉलेज ऑफ लेदर टेक्नोलॉजी, कोलकाता
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