दुनिया के सभी देशों में रूरल डेवलपमेंट पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है और विकास के लिए कई सारी स्कीम की शुरुआत हो रही है। इन योजनाओं में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, एनजीओ और स्थानीय निकाय भी शामिल होते हैं।
भारत का 70 प्रतिशत एरिया ग्रामीण है और इस देश की इकोनॉमी भी कृषि आधारित है। भारत सरकार और राज्यों की सरकारें ग्रामीण विकास और उनके लिए योजनायें बनाने पर पर काफी जोर दे रही हैं। केंद्र सरकार वार्षिक बजट में ग्रामीण विकास के लिए धनराशि के निर्धारण में लगातार वृद्धि कर रही है। इससे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, भारत निर्माण, इंदिरा आवास आदि जैसी योजनाओं पर सरकार के खर्च में काफी बढ़ोतरी हो रही है। इसके फलस्वरुप इस क्षेत्र महत्ता और बढ़ गई है। ऐसी स्थिति में रूरल मैनेजमेंट से जुडे प्रोफेशनल्स की डिमांड में काफी इजाफा होने की उम्मीद की जा रही है। निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में यह हॉट कोर्स होने जा रहा है।
कार्य
रूरल मैनेजर का काम ग्रामीण इलाकों में रहने वालों के विकास में सहायता करना होता है, ताकि देश का भी समग्र विकास हो सके। रूरल मैनेजमेंट से जुड़े पेशेवर का काम रूरल एरिया में कंपनी की तरक्की और लाभ के ग्राफ को ऊपर ले जाने का भी होता है। साथ ही, फर्म के प्रबंधन, रखरखाव आदि भी इन्हीं के जिम्मे होता है। यदि किसी का प्लेसमेंट रूरल कंसल्टेंसी कंपनी में हुआ है, तो प्लानिंग, बजट, मार्केट, निरीक्षण, यहां तक कि एम्प्लॉइज को बहाल करने का कार्य भी करना पड़ सकता है।
योग्यता
अधिकतर मैनेजमेंट इंस्टीटयूट्स रूरल मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा या एमबीए कोर्स ऑफर करती हैं। इस कोर्स में एंट्री के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से स्नातक होना जरूरी है।
कमाई
देश के टॉप मैनेजमेंट इंस्टीटयूट के स्टूडेंट्स की सैलरी उनके बैकग्राउंड पर भी निर्भर करती है। आमतौर पर रूरल मैनेजमेंट स्टूडेंट्स को शुरुआती दौर में चार से पांच लाख रुपये का सालाना सैलॅरी पैकेज मिल जाता है।
अवसर
यदि किसी के पास रूरल मैनेजमेंट की डिग्री है, तो उनके लिए नौकरी की कमी नहीं है। एनजीओ, गवर्नमेंट डेवलपमेंट एजेंसी, को-ऑपरेटिव बैंक, इंश्योरेंस कंपनी, रिटेल कंपनी (फ्यूचर ग्रुप, रिलायंस, गोदरेज एग्रोवेट, भारती, आरपीजी) मल्टीनेशनल कंपनी या रूरल कंसल्टेंसी (आईटीसी ई-चौपाल, एससीएस ग्रुप, ग्रोसमैन ऐंड असोसिएट्स) और रिसर्च एजेंसी भी ज्वाइन कर सकते हैं। कुछ एनजीओ, जो रूरल मैनेजमेंट ग्रेजुएट्स को हायर करते हैं, जैसे- ऐक्शन फॉर रूरल डेवलॅपमेंट, असोसिएशन फॉर वॉलन्टरी एजेंसीज फॉर रूरल डेवलपमेंट, आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम, बीएआईएफ, चिराग, डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स ऐंड इकोटेक सर्विस, इंटरनेशनल एनजीओ तथा गवर्नमेंट डेवलपमेंट एजेंसीज जैसे-डीआरडीए और एसआईआरडी, एकेडमिक ऐंड रिसर्च इंस्टीटयूट आदि में नौकरी की तलाश कर सकते हैं। यदि प्लेसमेंट की बात करें, तो मंदी के दौर में भी रूरल मैनेजमेंट में पेशेवरों की मांग बढ़ी हैं।
एडमिशन प्रॉसेस
आमतौर पर इसके लिए संबंधित संस्थान प्रवेश परीक्षा लेता है। एंट्रेस एग्जाम के बाद ग्रुप डिस्कशन और पर्सनल इंटरव्यू के दौर से गुजरना पड़ता है।
इंस्टीटयूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट: आनंद के रूरल मैनेजमेंट में दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन के लिए लिखित परीक्षा में बैठना होता है। इसमें चार सेक्शन होते हैं- इंग्लिश कॉम्प्रिहेन्शन, क्वांटिटेटिव एबिलिटी, रीजनिंग और एनालिटिकल स्किल।
जेवियर इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट, भुवनेश्वर: रूरल मैनेजमेंट के पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम में एंट्री के लिए आईआरएमए/एक्सएटी टेस्ट स्कोर, जीडी और इंटरव्यू के आधार पर होती है। स्नातक की डिग्री रखने वाले स्टूडेंट्स इस टेस्ट में हिस्सा ले सकते हैं।
इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, जयपुर: इस इंस्टीटयूट में एडमिशन के लिए मैट, एक्सएटी आदि स्कोर जरूरी है। स्टूडेंट्स का फाइनल सेलेक्शन ऊपर दिए गए स्कोर के अलावा जीडी, पर्सनल इंटरव्यू और एकेडमिक रिकॉर्ड के आधार पर होता है।
संस्थान
1. इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
2. एमिटी स्कूल ऑफ रूरल मैनेजमेंट, नोएडा
3. नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, गाजियाबाद, यूपी,
4. इंस्टीटयूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, आनंद, गुजरात
5. रूरल रिसर्च फाउंडेशन,जयपुर, राजस्थान
6. इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट, कोलकाता,
7. नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट, हैदराबाद ,
8. जेवियर इंस्टीटयूट ऑफ सोशल सर्विस, रांची, झारखंड,
9. जेवियर इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट, भुवनेश्वर
10. केआईआईटी स्कूल ऑफ रूरल मैनेजमेंट, भुवनेश्वर, उडीसा
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