One Nation One Fertiliser scheme: रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने को घोषणा की है कि "प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना" (PMBJP) नामक उर्वरक सब्सिडी योजना के तहत "उर्वरक और LOGO के लिए एकल ब्रांड" पेश करके 'एक राष्ट्र एक उर्वरक' (One Nation One Fertiliser) योजना को लागू किया जायेगा. गौरतलब है कि सरकार भारतीय जन उर्वरक योजना के तहत विभिन्न उर्वरक उत्पादों पर सब्सिडी देती है.
सरकार की क्या है योजना?
मंत्रालय के कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि यूरिया, DAP, MOP और NPK आदि के लिए एकल ब्रांड नाम के तहत 'भारत' जोड़ा जायेगा. अतः अब इन्हें नये नामों भारत यूरिया, भारत DAP, भारत MOP और भारत NPK आदि नामों से जाना जायेगा. मंत्रालय ने कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से देश के सभी उर्वरक कंपनियों, राज्य व्यापार संस्थाओं (STE) और उर्वरक विपणन संस्थाओं (FME) को 'एक राष्ट्र एक उर्वरक' के सम्बन्ध में सूचना प्रेषित किया है.
इसके अलावा, उर्वरक बोरियों पर उर्वरक सब्सिडी योजना अर्थात प्रधान मंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना को दर्शाने वाला एक 'LOGO' का उपयोग किया जाएगा. साथ ही उर्वरक कंपनियों और राज्य व्यापार संस्थाओं से यह भी कहा गया है कि पुराने उर्वरक बैगों (बोरियों) का उपयोग 15 सितम्बर 2022 के बाद न किया जाये. 02 अक्टूबर 2022 से नए डिज़ाइन किए गये बैगों के उपयोग का आदेश दिया है. मंत्रालय का लक्ष्य है कि इस वर्ष के अंत तक (31.12.2022) पुराने बैगों को चलन से हटा दिया जाये.
नई "वन नेशन वन फर्टिलाइजर" योजना के तहत, कंपनियों को अपने बैग के केवल एक तिहाई स्थान पर अपना नाम, ब्रांड, लोगो और अन्य प्रासंगिक उत्पाद जानकारी प्रदर्शित करने की अनुमति है. शेष दो-तिहाई स्थान पर "भारत" ब्रांड और प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना का लोगो दिखाना होगा.
इस योजना को शुरू करने के लिए सरकार का तर्क क्या है?
कंपनियों द्वारा विपणन किए जा रहे सभी सब्सिडी वाले उर्वरकों के लिए एकल 'भारत' ब्रांड पेश करने के लिए सरकार का तर्क इस प्रकार है:
- 'एक राष्ट्र एक उर्वरक' का उद्देश्य फर्टिलाइजर के क्षेत्र के उत्पादों को 'भारत' नाम से एक नई पहचान देना है. साथ ही सरकार का मानना है कि किसानों को अलग-अलग ब्रांड के उर्वरक चुनने के झमेलें से आजादी मिलेगी.
- सरकार का यह भी उद्देश्य है कि उर्वरकों की इधर-उधर की आवाजाही को रोकने में मदद मिलेगी साथ ही ब्रांड प्रीफरेंस और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए यूरिया के डायवर्जन पर रोक लगेगी, इस तरह माल ढुलाई की लागत में कमी आयेगी.
- यूरिया का अधिकतम खुदरा मूल्य वर्तमान में सरकार द्वारा तय किया जाता है, जो कंपनियों को उनके द्वारा किए गए विनिर्माण या आयात की उच्च लागत के लिए क्षतिपूर्ति करता है.
- उर्वरक (मूवमेंट) नियंत्रण आदेश, 1973 के आधार पर, मूल्य नियंत्रण, सब्सिडी के अतिरिक्त सरकार यह भी तय करती है कि उर्वरक को कहा बेचा जाये. इससे कंपनियों के मन माना रवैये से आजादी मिलेगी.
उर्वरक कंपनियों की प्रतिक्रिया:
उर्वरक कंपनियों ने यह कहते हुए इसका विरोध किया है कि 'वन नेशन वन फर्टिलाइजर' उनके ब्रांड वैल्यू और बाजार में दूसरी उर्वरक कंपनियों की अपेक्षा उनके उत्पाद की अलग पहचान को खत्म कर देगा.
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