भारतीय रक्षा एवं अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) द्वारा 28 फरवरी 2018 को राजस्थान में नाग मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया. नाग तीसरी पीढ़ी की एक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है.
नाग मिसाइल का परीक्षण भारतीय सेनाओं को और ताकत देने के उद्देश्य से किया गया है. इस परीक्षण के दौरान सेना और डीआरडीओ के अधिकारी मौजूद रहे.
नाग मिसाइल का परीक्षण
• फायर एंड फॉरगेट का दर्जा प्राप्त नाग मिसाइल के प्रोसपीना मिसाइल वर्जन का सफल ट्रायल सेना और डीआरडीओ के उच्च अधिकारियों के सामने जैसलमेर के पोखरण रेंज में हुआ.
• इसके लिए दो टैंकों पर डमी टारगेट रखा गया था. इस नए वर्जन के नाग मिसाइल से इन टारगेट्स को नेस्तनाबूद किया.
• इसे वैज्ञानिकों तथा अधिकारियों ने सफल करार दिया.
• अब यह सेना में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार है. यह वर्ष 2018 के अंत तक नाग मिसाइल को सेना में शामिल हो सकती है.
नाग मिसाइल की विशेषताएं
• यह मिसाइल इमेज के जरिए संकेत मिलते ही टारगेट भाप लेती है और दुश्मन के टैंक का पीछा करते हुए उसे तबाह कर देती है.
• इस हल्की मिसाइल को पहाड़ी पर या एक जगह से दूसरी जगह मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल के जरिए कहीं भी ले जाया जा सकता है. इसका कुल वजन मात्र 42 किलो है.
• इस मिसाइल को विकसित करने में अब तक 350 करोड़ से ज्यादा का बजट लग चुका है.
• इसकी खासियत है कि यह दिन और रात दोनों वक्त में काम करती है.
• इस मिसाइल को 10 साल तक बिना किसी रख रखाव के इस्तेमाल किया जा सकता है.
• यह 230 किलोमीटर प्रति सेकंड के हिसाब से अपने टारगेट को भेदती है.
• यह मिसाइल अपने साथ 8 किलोग्राम विस्फोटक लेकर चल सकती है.
पृष्ठभूमि
पोखरण रेंज के चांधण में नाग के अपडेटेड वर्जन प्रोसपीना मिसाइल का यह दूसरा ट्रायल था. इससे पहले 13 जून 2017 में इसका ट्रायल किया गया था. इस बार के यूजर ट्रायल में इमेजिंग इंफ्रारेड सिकर्स में और सुधार किया गया है जो कि मिसाइल को छोड़ने के बाद टारगेट को हिट करने के लिए गाइड करता है. इससे पहले ट्रायल के दौरान इंफ्रारेड सिकर्स को टारगेट और उसके आसपास के इलाकों का ज्यादा तापमान में पहचान करने में दिक्कत आ रही थी. इसलिए इस मिसाइल में अब कुछ संवेदनशील डिटेक्टर डाले गए हैं, जो गर्मी में भी इंफ्रारेड सिग्नल को भाप लेते हैं.
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