भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) ने 25 फरवरी 2018 को कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले में स्थित अपने परीक्षण केंद्र से स्वदेश निर्मित ड्रोन रुस्तम-2 का सफल परीक्षण किया. इस ड्रोन को भारत में ही बनाया गया है. डीआरडीओ की ओर से जारी जानकारी में कहा गया है कि मध्यम ऊंचाई तक और लंबी अवधि तक उड़ने वाले इस ड्रोन का विकास सेना की तीनों शाखाओं के लिए किया गया है.
रुस्तम-2 एक बार में लगातार 24 घंटे तक उड़ने की क्षमता रखता है और यह लगातार चौकसी कर सकता है और साथ में हथियार भी ले जा सकता है. मध्यम ऊंचाई तक और लंबी अवधि तक उड़ने वाले इस ड्रोन का विकास सेना की तीनों शाखाओं के लिए किया गया है.
रुस्तम-2 की विशेषताएं
• इस विमान का दूसरा नाम TAPAS-BH-201 है और यह भारत में बनाया गया है
• रुस्तम-2 अलग-अलग तरह के पेलोड साथ ले जाने में सक्षम है.
• यह विमान 22 हजार फीट तक उड़ सकता है और 24 घंटे तक लगातार काम भी कर सकता है.
• रुस्तम-1 की लॉन्चिंग के 7 साल बाद इसे बनाया गया है, जो अमेरिकी ड्रोन ‘प्रिडेटर’ को टक्कर देगा.
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• डीआरडीओ ने इसे सैन्य मकसद के लिए तैयार किया है. इसका इस्तेमाल दुश्मन की टोह लेने, निगरानी रखने, टारगेट पर सटीक निशाना लगाने और सिग्नल इंटेलिजेंस में भी किया जाएगा.
• यह 280 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से उड़ सकता है और सभी रेंज में काम कर सकता है. यह मानवरहित विमान है, जिसे जमीन से ही कंट्रोल किया जा सकता है.
• फिलहाल सेना के पास 200 ड्रोन हैं. इनमें से अधिकांश लंबी दूरी और टारगेट पर नजर रखने वाले इजरायल से खरीदे गए हैं.
पृष्ठभूमि
रुस्तम-2 का नाम भारतीय वैज्ञानिक रुस्तम दमानिया के नाम पर रखा गया है. 80 के दशक में रुस्तम दमानिया ने एविएशन की दुनिया में जो रिसर्च किया उससे देश को बहुत फायदा हुआ था. रुस्तम की यह उड़ान इस कारण से मायने रखती है क्योंकि उच्च शक्ति वाले इंजन के साथ उपयोगकर्ता कंफीगरेशन में यह पहली उड़ान है.
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