प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 01 अगस्त 2018 को कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (एएसआरबी) के पुनर्गठन को मंजूरी प्रदान की.
पुनर्गठन के बाद बोर्ड
- एएसआरबी में अब तीन सदस्यों के स्थान पर चार सदस्य होंगे. बोर्ड में एक अध्यक्ष और तीन सदस्य होंगे.
- एएसआरबी तीन वर्षों की अवधि या 65 वर्ष की आयु पूर्ण करने, जो भी पहले हो, तक होगी.
- स्वायत्तता, गोपनीयता, उत्तरदायित्व और एएसआरबी के कारगर संचालन के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उसे आईसीएआर से पृथक कर दिया जाएगा तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग से जोड़ दिया जाएगा.
- एएसआरबी का बजट भी आईसीएआर से पृथक करके कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के अधीन कर दिया जाएगा. एएसआरबी का सचिवालय में अपना प्रशासनिक स्टाफ होगा और उसका स्वतंत्र प्रशासनिक नियंत्रण होगा.
प्रभाव |
एक अध्यक्ष और तीन सदस्यों वाले चार सदस्यीय संस्था के गठन से एएसआरबी का कामकाज दुरूस्त हो जाएगा. इसके कारण भर्ती प्रक्रिया में तेजी आएगी, जो कृषि समुदाय और कृषि के लिए फायदेमंद होगी. इसके अलावा देश में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा संबंधी प्रमुख एजेंसी आईसीएआर में विभिन्न वैज्ञानिक पदों पर प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों की भर्ती पारदर्शी और कुशल तरीके से संभव होगी. |
पृष्ठभूमि
नवम्बर 1973 में सरकार ने कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड की स्थापना को मंजूरी दी थी, जिसमें एक पूर्णकालिक अध्यक्ष की नियुक्ति शामिल थी. इसके तहत कृषि अनुसंधान सेवा एवं अनुसंधान पदों पर विभिन्न वैज्ञानिकों की नियुक्ति के संबंध में स्वतंत्र भर्ती एजेंसी के रूप में काम करना तय किया गया था. एएसआरबी के कामकाज में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड के पुनर्गठन का प्रस्ताव किया गया था.
इस प्रस्ताव को अक्टूबर 1986 में मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी जिसके तहत सदस्यता एक से बढ़ाकर तीन कर दी गई थी. 1986 में हुए एएसआरबी के पुनर्गठन के बाद से बोर्ड का कामकाज बढ़ता गया और कृषि विज्ञान के क्षेत्र में उसकी भूमिका भी बढ़ गई. तदनुसार बोर्ड के दायरे को बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की गई, जिसके मद्देनज़र अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों को विशेषज्ञता के आधार पर शामिल किया जाना तय हुआ.
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