दुनिया की सबसे तेज गति की क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को और ज्यादा अच्छी तकनीक वाले इंजन के साथ दस साल में हाइपरसौनिक क्षमता हासिल कर लेगी और मैक-7 (ध्वनि की गति की सात गुना की सीमा) को पार कर लेगी. इस मिसाइल को भारत-रूस ने मिलकर विकसित किया है.
डीआरडीओ, आईआईटी और भारतीय विज्ञान संस्थान मिलकर इस लक्ष्यक को हासिल करने के प्रयास में जुटे हैं. रूसी संस्थान भी भारत के साथ इस पर काम कर रहे हैं.
हाइपरसौनिक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल:
• यह आवाज की रफ्तार से सात गुना से भी ज्यादा तेज गति से दुश्मन की तरफ बढ़कर उसे बर्बाद करेगी. यह गति करीब 9,000 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी.
• यह हाइपरसोनिक मिसाइल की श्रेणी में आ जाएगी और इसे निष्फल कर पाना असंभव होगा. मिसाइल को प्रभावी बनाने के लिए इसकी गुणवत्ता में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है.
सबसे तेज क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस:
• वर्तमान में दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की 2.8 मैक की स्पीरड है जिसे एक साल के अंदर 3.5 मैक करने का लक्ष्य रखा गया है.
• यह मिसाइल महज तीन साल बाद मैक 5.0 (करीब छह हजार किलोमीटर प्रति घंटा) की रफ्तार पकड़ लेगी. वैसे प्रायोगिक रूप से ब्रह्मोस के लिए छह हजार किलोमीटर की गति प्राप्त कर ली गई है. इसे हाइपरसोनिक मिसाइल में प्रयोग के लिए तैयार करने में समय लगेगा.
ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में:
• ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है. यह हवा में ही मार्ग बदल सकती है और चलते फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है.
• रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है.
• ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है तथा भारतीय सेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है.
• ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है.
• ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है. इसकी खूबियाँ इसे दुनिया की सबसे तेज़ मारक मिसाइल बनाती है.
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पृष्ठभूमि:
इसे युद्धपोत, पनडुब्बी, सुखोई-30 विमान के साथ ही जमीन से लांचर के जरिये दुश्मन के ठिकानों पर छोड़ा जा सकता है. वर्तमान में दुनिया के किसी भी देश के पास ऐसी मिसाइल नहीं है. यह अभी विश्वज की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है.
इसकी इंजन, प्रणोदन और लक्ष्य खोजने की प्रणालियां रूस द्वारा विकसित की गई है जबकि भारत ने दिशानिर्देशन, सॉफ्टवेयर, एयरफ्रेम और फायर कंट्रोल को नियंत्रित करने वाली प्रणालियां विकसित की हैं. इसमें युद्ध उच्चशक्ति के लेजर तथा माइक्रोवेव ऊर्जा वाले शस्त्र लगे होंगे. यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है.
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