केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 30 अगस्त 2017 को निर्वाचन प्रबन्धन और प्रशासन के लिए भारत के निर्वाचन आयोग को अन्य देशों एवं निर्वाचन प्रबन्धन निकायों या अन्तर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहमति ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी प्रदान कर दी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय की मंजूरी प्रदान की गई.
अन्य देशों एवं अंतराष्ट्रीय एजेंसियों के निर्वाचन प्रबन्धन निकायों या अंतराष्ट्रीय एजेंसियों में द नेशनल इलेक्टोरल काउंसिल आफ इक्वाडोर, द सेन्ट्रल इलेक्शन कमीशन आफ अल्बानिया, द इलेक्शन कमीशन ऑफ भूटान, द इन्डिपेन्डेन्ट इलेक्शन कमीशन ऑफ अफगानिस्तान, दी नेशनल इन्डिपेन्डेन्ट इलेक्शन कमीशन ऑफ गिनी, द यूनियन इलेक्शन कमीशन ऑफ म्यामां शामिल हैं.
इसके अलावा द इंडिया इन्टरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एण्ड इलेक्शन मैनेजमेंट (आईआईडीईएम) और द इन्टरनेशनल इंस्टिट्यूट फोर डेमोक्रेसी एण्ड इलेक्शन असिस्टेंट जैसी दो संस्थाएं भी शामिल हैं.
इन सहमति-ज्ञापनों में मानक सहमति या खण्ड शामिल हैं जिनमें मुख्य रूप से निर्वाचन प्रक्रिया के संगठन और तकनीकी विकास की जानकारी और अनुभव के आदान-प्रदान,सूचना, संस्थागत सुदृढ़ता व क्षमता निर्माण, कार्मियों का प्रशिक्षण, विभागीय परामर्श करना आदि शामिल हैं.
इन सहमति ज्ञापनों से उपरोक्त निर्वाचन प्रबन्ध निकायों के लिए द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना तथा तकनीकी सहायता या क्षमता समर्थन प्रदान करने पर केन्द्रित है.
पृष्ठभूमि:
निर्वाचन आयोग विश्व में सबसे बडी निर्वाचन प्रक्रिया का संचालन करता है. भिन्न सामाजिक-राजनैतिक एवं आथर्कि पृष्ठभूमि के करीब 85 करोड मतदाताओं वाले इस देश में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव कराना निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है.
हाल के वर्षों में निर्वाचन आयोग अपनी भूमिका के माध्यम से राजनैतिक क्षेत्र में लोगों को अधिकाधिक सहभागिता सुनिश्चित करता है. भारत को आज विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र के रुप में माना जाता है. भरत में लोकतंत्र की सफलता ने विश्व भर की प्राय: प्रत्येक राजनैतिक प्रणाली का ध्यान आकृष्ट किया है.
स्रोत (पीआईबी)
Comments
All Comments (0)
Join the conversation