सेंटर फॉर मिलिट्री एयरर्विदनेस एंड र्सिटफिकेशन (सीईएमआईएलएसी) ने 22 जनवरी 2019 को जैव ईंधन से सैन्य विमान उड़ाने की मंजूरी दे दी हैं. जमीन पर और आसमान में महीनों तक किये गये व्यापक परीक्षणों के बाद देश में उत्पादित जैव ईंधन के इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है.
सीईएमआईएलएसी द्वारा मंजूरी मिलने के बाद भारतीय वायुसेना (आईएएफ) द्वारा जैव ईंधन का इस्तेमाल सबसे पहले अपने परिवहन बेड़े और हेलिकॉप्टरों में किए जाने की उम्मीद है.
मिश्रित जैव और जेट ईंधन के साथ पहली उड़ान: |
इस मंजूरी के बाद वायुसेना 26 जनवरी को पहली बार आईएएफ एन-32 विमान को मिश्रित जैव और जेट ईंधन के साथ उड़ाने की प्रतिबद्धता पूरी कर सकेगी. |
यह मंजूरी इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि इससे अंतत: लगातार परीक्षण और जैव ईंधन के वाणिज्यिक स्तर के नागरिक विमान में इस्तेमाल को लेकर पूर्ण सत्यापन मिल सकेगा. ये परीक्षण शीर्ष राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सत्यापन एजेंसियों द्वारा सुझाई गई प्रक्रिया के हिसाब से किए गए हैं.
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सभी सैन्य और नागरिक विमानों में जेट ईंधन के इस्तेमाल हेतु भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने आईएएफ, शोध संगठनों तथा उद्योग के साथ मिलकर एटीएफ के लिए नए मानदंड बनाए हैं. इससे भारतीय मानदंड मौजूदा अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप हो जाएंगे.
जैव ईंधन:
जैव ईंधन गैर पारंपरिक स्रोतों से तैयार किया जाता है, जिसमें गैर खाद्य श्रेणी की वनस्पतियां और पेड़ों से मिलने वाले तेल आदि शामिल हैं. फिलहाल जैव-जेट ईंधन का निर्माण छत्तीसगढ़ में मिलने वाले जेट्रोफा के बीजों से किया जा रहा है.
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