केंद्र सरकार ने हाल ही में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की एसपीजी (स्पेशल प्रोटेक्शन फोर्स) सुरक्षा हटाने का फैसला लिया है. कांग्रेस के इन तीनों नेताओं को अब सीआरपीएफ की Z+ श्रेणी की सुरक्षा दी जाएगी. यह फैसला गृह मंत्रालय की उच्चस्तरीय बैठक में लिया गया है.
एसपीजी की सुरक्षा अब सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास ही रहेगी. क्योंकि इससे पहले एसपीजी की सुरक्षा केवल चार लोगों के पास थी जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के साथ-साथ सोनिया गांधी, राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी का नाम शामिल था.
सरकार द्वारा सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा समय-समय पर की जाती है और अगर जरूरत हो तो उस आधार पर उसे कम या अधिक किया जाता है. इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सुरक्षा से भी एसपीजी (SPG) सुरक्षा हटाकर सीआरपीएफ (CRPF) की Z+ कैटेगरी की सुरक्षा दी गई थी.
एसपीजी सुरक्षा और जेड प्लस सुरक्षा में क्या है अंतर?
एसपीजी सुरक्षा का सबसे ऊंचा स्तर होता है. इसमें तैनात कमांडो के पास अत्याधुनिक हथियार और संचार उपकरण होते हैं. एसपीजी की सुरक्षा के बाद जेड प्लस (Z+) भारत की सर्वोच्च सुरक्षा श्रेणी है. इस श्रेणी में विशिष्ट व्यक्ति की सुरक्षा में 36 जवान लगे होते हैं. इसमें दस से ज्यादा एनएसजी कमांडो के साथ-साथ दिल्ली पुलिस, आईटीबीपी या सीआरपीएफ के कमांडो तथा राज्य के पुलिसकर्मी शामिल होते हैं. सुरक्षा में लगे एनएसजी कमांडो के पास मशीनगन के साथ आधुनिक संचार उपकरण भी होता है.
कौन होता है एसपीजी का प्रमुख?
एसपीजी, देश की सबसे पेशेवर ओर आधुनिकतम सुरक्षा बालों में से एक है. एसपीजी के प्रमुख का पद तीन साल के लिए बनाया गया है. एसपीजी फोर्स कैबिनेट सचिवालय के तहत काम करती है. इसका प्रमुख डायरेक्टर रैंक का आईपीएस अफसर होता है. पीएम हाउस में ही इसका मुख्यालय होता है.
सरकार ने एसपीजी सुरक्षा हटाने का लिया फैसला
गृह मंत्रालय की बैठक में ‘गांधी’ परिवार की सुरक्षा की समीक्षा की गई तथा पाया गया कि उन्हें बहुत ज्यादा खतरा नहीं है. इस कारण से उनके सुरक्षा इंतजामों को बदलने का फैसला किया गया है. यह सुरक्षा किसी भी व्यक्ति के सामने संभावित खतरे को देखते हुए दी जाती है. राजीव गांधी की साल 1991 में हत्या के बाद फैसला किया गया कि पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी एसपीजी सुरक्षा दी जाएगी.
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