उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के सबसे बड़े यश भारती पुरस्कारों की जांच के आदेश जारी किए हैं. मुख्यमंत्री ने पुरस्कारों की जांच के आदेश संस्कृति विभाग का प्रेजेंटेशन देखने के बाद जारी किए. आदेश के अनुसार पुरस्कारों के मानदंडों की गहनता से समीक्षा की जाए. योगी आदित्यनाथ के अनुसार पुरस्कार सिर्फ काबिल लोगों को ही प्रदान किया जाना चाहिए.
यश भारती पुरस्कार के बारे में-
- उत्तर प्रदेश सरकार साहित्य, समाजसेवा, चिकित्सा, फिल्म, विज्ञान, पत्रकारिता, हस्तशिल्प, संस्कृति, शिक्षण, संगीत, नाटक, खेल, उद्योग और ज्योतिष के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वालों को प्रति वर्ष यश भारती पुरस्कार प्रदान करती है.
- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अब तक अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन, जया बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, शुभा मुद्गल, रेखा भारद्वाज, रीता गांगुली, कैलाश खेर, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, नसीरुद्दीन शाह सरीखी हस्तियों को यह पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है.
- यश भारती पुरस्कार के तहत पुरस्कार पाने वालों को प्रशस्ति पत्र और शाल के अलावा 11 लाख रुपये प्रदान किए जाते हैं.
- इसके अलावा पुरस्कार विजेता के आवेदन पर उन्हें प्रति महीने 50 हजार रुपये की पेंशन भी प्रदान की जाती है.
- यश भारती पुरस्कार विजेता अमिताभ बच्चन यह पेंशन नहीं लेते.
पुरस्कारों का शुभारम्भ-
- पुरस्कारों का शुभारम्भ मुलायम सिंह यादव ने 1994 में किया.
- पूर्व में पुरस्कार के तहत 5 लाख रुपये प्रदान किए जाते थे.
- बाद में इस रकम को बढ़ाकर 11 लाख किया गया.
- उत्तर प्रदेश में सरकार परिवर्तन के बाद मायावती सरकार ने यह पुरस्कार बंद कर दिये.
- वर्ष 2012 में अखिलेश यादव सरकार बनने के बाद यश भारती पुरस्कार पुन: शुरू करवा दिए गए.
विवादों में पुरस्कार की घोषणा-
- समाजवादी पार्टी पर अपने करीबियों को ये पुस्कार देने का आरोप लगता रहा है.
- पूर्व सरकार ने पुरस्कार समारोह का संचालन करने वाली महिला को मंच से ही पुरस्कार देने का ऐलान कर दिया.
- समाजवादी पार्टी के दफ्तर में काम करने वाले ऐसे 2 कर्मचारियों को भी पत्रकारिता के क्षेत्र में यश भारती पुरस्कार दे दिया जिनका पत्रकारिता से कोई वास्ता ही नहीं.
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