चीन ने लगभग 16 बिलियन डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर 08 अगस्त 2018 को जवाबी उत्पाद शुल्क लगा दिया है. इससे विश्व की दो शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं का व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) और अधिक गहराने की आशंका है.
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार नये शुल्क 23 अगस्त से प्रभावी होंगे. दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर के चलते ग्लोबल ग्रोथ पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन चीन की ग्रोथ पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है बल्कि इसमें बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
ट्रेड वॉर क्या है? |
जब दो या उससे ज्यादा देश बदले की भावना से एक-दूसरे के लिए व्यापार में अड़चनें पैदा करते हैं तो उसे ट्रेड वॉर यानी व्यापार युद्ध कहा जाता है. इसके लिए एक देश दूसरे देश से आने वाले समान पर टैरिफ या टैक्स लगा देता है या उसे बढ़ा देता है. इससे आयात होने वाली चीजों की कीमत बढ़ जाती हैं, जिससे वे घरेलू बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाती. इससे उनकी बिक्री घट जाती है. अमेरिका और चीन के बीच यही चीज देखी जा रही है. |
पृष्ठभूमि
इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने कहा था कि वह चीन के 16 अरब डॉलर के अतिरिक्त आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. ट्रंप प्रशासन के इस फैसले के बाद चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि अमेरिका का कदम अव्यवहारिक है और हमारे पास उसके ही अंदाज में जवाब देने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है.
भारत पर प्रभाव
चीन पर अमेरिका द्वारा लगाए गये इस आयात शुल्क का भारत पर सीधा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत की स्टील कम्पनियों के कुल निर्यात में अमेरिका की भागीदारी केवल दो प्रतिशत ही है. भारत सरकार ने स्टील उत्पादों के लिए जो न्यूनतम आयात शुल्क (एमआईपी) तय किए थे, वे मार्केट प्राइस से काफी कम हैं.
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