नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 लोकसभा में पारित

नागरिकता (संशोधन) विधेयक वर्ष 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन विभिन्न विपक्षी दलों की माँग को देखते हुये विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया था

Jan 9, 2019, 08:58 IST
Citizenship Amendment Bill 2019 passed in Lok Sabha
Citizenship Amendment Bill 2019 passed in Lok Sabha

लोकसभा में 08 जनवरी 2019 को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 पारित कर दिया गया है. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में जवाब देते हुए कहा, इस विधेयक से असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ेगा. गृहमंत्री ने यह भी कहा कि असम के लोगों को भरोसा देना चाहता हूं कि यह बिल असम विशेष नहीं है. यह विधेयक भारत में आकर रहने वाले शरणार्थियों के लिए है.

विदित हो कि यह विधेयक 2016 में पहली बार पेश किया गया था. असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक के खिलाफ लोगों प्रदर्शन जारी है. लोगों का कहना है कि यह 1985 के असम समझौते को अमान्य करेगा जिसके तहत 1971 के बाद राज्य में प्रवेश करने वाले किसी भी विदेशी नागरिक को निर्वासित करने की बात कही गई थी.

नागरिकता (संशोधन) विधेयक क्यों आवश्यक?

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों का काफी उत्पीड़न हो रहा है और इसलिए जो भी कभी भारत का मूल नागरिक रहा हो उसे नागरिकता देना हमारी जिम्मेदारी है और इसलिए यह विधेयक लाया गया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और बंगलादेश बनते समय उन देशों में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए वहाँ की सरकारों के साथ भारत की तत्कालीन सरकारों ने समझौते किये थे, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण ढँग से वहाँ अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न लगातार जारी है.


नागरिकता (संशोधन) विधेयक की मुख्य विशेषताएं

•    यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. यह विधेयक कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदाय को 12 साल के बजाय छह साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता प्रदान करेगा.

•    यह विधेयक वर्ष 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन विभिन्न विपक्षी दलों की माँग को देखते हुये विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया था. समिति की रिपोर्ट के अनुरूप तैयार नये विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी स्वीकृति दी थी.

•    विधयेक पर लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुये गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने असम के लोगों को आश्वासन दिया कि उनकी सांस्कृतिक और भाषाई पहचान अक्षुण्ण रखी जायेगी तथा शरणार्थियों का बोझ सिर्फ असम पर नहीं आयेगा.

•    गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक विशेष तौर पर असम के लिए नहीं है. तीनों पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) से यहाँ आने वालों को भारतीय नागरिकता दी जायेगी और वे देश में कहीं भी रहने और काम करने के लिए स्वतंत्र होंगे.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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