रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय सेना ने भारत की नौ एमएम की पहली स्वदेशी मशीन पिस्तौल तैयार की है. भारतीय सेना के जवानों के लिए स्वदेशी मशीन पिस्तौल ASMI तैयार किया गया है. भारत की पहली स्वदेशी मशीन पिस्तौल ASMI को भारतीय सेना की प्रदर्शनी में दिखाया गया.
यह पिस्टल पूरी तरह से भारत निर्मित है और इसे डीआरडीओ की तरफ से विकसित किया गया है. इस पिस्टल गन को बनाने में भारतीय सेना ने भी मदद की है. डीआरडीओ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि मशीन पिस्टल 100 मीटर की दूरी से फायर कर सकती है.
दिल्ली: भारतीय सेना और DRDO द्वारा मिलकर बनाई गई भारत की पहली स्वदेशी मशीन पिस्तौल ASMI को भारतीय सेना की प्रदर्शनी में दिखाया गया।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 13, 2021
सेना के अधिकारी ने बताया, "ASMI 9 एमएम फायर करती है। दुनिया में मौजूद सारे स्कोप इस पर लग सकते हैं। इसकी हमला करने की सीमा 100 मीटर है।" pic.twitter.com/zf9vvioOsJ
पिस्टल ASMI की खासियत
ये पिस्टल गन रक्षा बलों में नौ एमएम वाली पिस्टल की जगह लेगी. इस मशीन पिस्टल को 100 मीटर की रेंज में फायर की जा सकती है और इसे इजराइल की उजी श्रृंखला की की तोपों की कक्षा में रखा गया है. इस मशीन पिस्टल ने अपने विकास के अंतिम चार महीनों में 300 से ज्यादा राउंड फायर किए हैं.
यह हथियार 4 महीने के रेकॉर्ड समय में विकसित किया गया है. इसका ऊपरी रिसीवर एयरक्राफ्ट ग्रेड एलुमिनियम से और निचला रिसीवर कार्बन फाइबर से बना है. ट्रिगर सहित इसके विभिन्न भागों की डिजाइनिंग और प्रोटोटाइपिंग में 3डी प्रिटिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया है.
इस पिस्टल में 8 इंच बैरल और 33 राउंड उच्च क्षमता वाली मैगजीन है, जिसमें 2 किलोग्राम से कम वजन है. ASMI को केंद्रीय पुलिस संगठनों और राज्य पुलिस सेवाओं के उपयोग के साथ-साथ निर्यात भी किया जा सकता है जिससे भारी रोजगार मिलने की संभावना है.
आतंकवाद को करेगा सफाया
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सशस्त्र बलों में विभिन्न अभियानों में व्यक्तिगत हथियार के तौर पर और साथ ही उग्रवाद तथा आतंकवाद रोधी अभियानों में भी यह पिस्तौल दमदार साबित होगी.
आत्मनिर्भर भारत के तहत देश में हथियारों का निर्माण
बता दें कि आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) के तहत देश में ही हथियारों के निर्माण को लेकर आत्मनिर्भरता मजबूत हुई है. इसे 13 जनवरी 2021 को आर्मी के इनोवेशन इवेंट में दिखाया गया. इससे पहले पिछले साल नवंबर 2020 में डीआरडीओ द्वारा विकसित ‘रुद्रम’ एंटी रेडिएशन मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था. यह परीक्षण सुखोई-30 लड़ाकू विमान से किया गया था.
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