हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी का निधन, जानें विस्तार से

Nov 15, 2021, 15:48 IST

मन्नू भंडारी अपने जीवन काल में दो हिंदी उपन्यासों आप का बंटी और महाभोज के लिए जानी जाती हैं. उन्हें अक्सर नई कहानी आंदोलन के अग्रदूतों में से एक के रूप में जाना जाता है. 

Mannu Bhandari passed away
Mannu Bhandari passed away

हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी (Mannu Bhandari) का 15 नवंबर 2021 को निधन हो गया. वे 90 साल की थीं. मन्नू भंडारी हिंदी साहित्य की जानी मानी शख्सियत थीं. उन्हें अक्सर नई कहानी आंदोलन के अग्रदूतों में से एक के रूप में श्रेय दिया जाता है.

उनकी पहचान पुरुषवादी समाज पर चोट करने वाली लेखिका के तौर पर होती थी. मन्नू भंडारी की निधन की खबर सुनकर सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वाले लोगों का तांता लग गया है. मन्नू भंडारी ने एक से बढ़कर एक बेहतरीन कहानियां और उपन्यास लिखे है.

मन्नू भंडारी के बारे में

•    मन्नू भंडारी का जन्म 03 अप्रैल 1931 को हुआ था. भंडारी का रचनाकाल 1950 के दशक के आखिर से 1960 के दशक की शुरुआत के बीच का रहा. भंडारी उन लेखिकाओं में से एक हैं, जिन्होंने महिलाओं के स्वतंत्र और बौद्धिक किरदारों को जन्म दिया.

•    मन्नू भंडारी अपने जीवन काल में दो हिंदी उपन्यासों आप का बंटी और महाभोज के लिए जानी जाती हैं. उन्हें अक्सर नई कहानी आंदोलन के अग्रदूतों में से एक के रूप में जाना जाता है. उनकी कहानियों में उनके महिला पात्रों को मजबूत, स्वतंत्र , पुरानी आदतों को तोड़ने वाली के रूप में देखा जा सकता है.

•    मन्नू भंडारी ने ‘नई महिला’ की छवि को गढ़ने का काम किया है. भंडारी का पहला उपन्यास, एक इंच मुस्कान, 1961 में प्रकाशित हुआ था. यह उनके पति, लेखक और संपादक राजेंद्र यादव के साथ मिलकर लिखा गया था.

•    उनके दूसरे उपन्यास, ‘आपका बंटी’ ने एक बच्चे की आंखों के माध्यम से एक विवाह के पतन को चित्रित किया. बंटी, जिसके माता-पिता अंततः तलाक लेते हैं और अन्य लोगों से दोबारा शादी करते हैं. इस उपन्यास को ‘हिंदी साहित्य में मील का पत्थर माना जाता है.

•    उन्होंने यौन व्यवहार, भावनात्मक, मानसिक और आर्थिक शोषण जैसे पहलूओं पर विचार कर भारतीय समाज में महिलाओं को बहुत कमजोर स्थिति पर प्रकाश डाला. उनकी कहानियों में महिला पात्रों को मजबूत, स्वतंत्र व्यक्तियों के रूप में चित्रित किया गया है.

•    उनकी ज्यादातर कहानियां लैंगिक असमानता से जुड़ी हैं. उन्होंने कामकाजी और शिक्षित महिलाओं पर भी बहुत काम किया. उनकी कहानी ‘यही सच है’ पर साल 1974 में ‘रजनीगंधा’ फिल्म बनाई गई. बासु चैटर्जी ने इस फिल्म को बनाया था.

•    दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज में मन्नू भंडारी ने लंबे समय तक पढ़ाने का काम भी किया. हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए लोग उन्हें याद करते हैं. मन्नू भंडारी का एक अन्य उपन्यास ‘महाभोज’ राजनीति सामाजिक जीवन मे आई हुई मूल्यहीनता, तिकड़मबाजी के बारे में बताता है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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