भारत में पोषण सम्बंधित चुनौतियां पर राष्ट्रीय परिषद की पहली बैठक 18 अप्रैल 2018 को विज्ञान भवन में आयोजित की गई. इस बैठक में भारत सरकार ने राज्य एवं केंद्र सरकार के मध्य सामंजस्य स्थापित करने एवं राष्ट्रीय पोषण मिशन के उद्देश्यों को हासिल करने हेतु चर्चा की.
विदित हो कि तीन वर्ष के लिये 9046.17 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान करते हुए वित्तीय वर्ष 2017-18 से राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की गई है.
राष्ट्रीय पोषण मिशन के लक्ष्य
• राष्ट्रीय पोषण मिशन एक शीर्ष निकाय के रूप में मंत्रालयों के पोषण संबंधी हस्तक्षेपों की निगरानी, पर्यवेक्षण, लक्ष्य निर्धारित करने तथा मार्गदर्शन का काम करेगा.
• राष्ट्रीय पोषण मिशन का लक्ष्य ठिगनापन, अल्पपोषण, रक्ताल्पता (छोटे बच्चों, महिलाओं एवं किशोरियों में) को कम करना तथा प्रतिवर्ष अल्पवज़नी बच्चों में क्रमश: 2%, 2%, 3% तथा 2% की कमी लाना है.
राष्ट्रीय पोषण मिशन के मुख्य कार्य
• कुपोषण का समाधान करने हेतु विभिन्न योजनाओं के योगदान का प्रतिचित्रण
• अत्यधिक मज़बूत अभिसरण तंत्र प्रारंभ करना
• सूचना प्रौद्योगिकी आधारित रियल टाइम निगरानी प्रणाली
• लक्ष्यों को प्राप्त करने वाले राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को प्रोत्साहित करना
• आईटी आधारित उपकरणों के प्रयोग के लिये आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों को प्रोत्साहित करना
• आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों द्वारा रजिस्टरों के प्रयोग को समाप्त करना
• आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों का कद मापन प्रारंभ करना
• सामाजिक लेखा परीक्षा आयोजित करना.
भारत में बाल कुपोषण
• नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 के आंकड़ों के अनुसार भारत में 0-18 आयु वर्ग के लगभग 43 करोड़ बच्चे हैं. इनमें महिलाएं और बच्चे मिलकर भारत की जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत हैं.
• नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कम वजन होने की प्रबलता में 16 प्रतिशत की कमी आई है.
• नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 के आंकड़ों के अनुसार 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में वेस्टिंग अथवा तीव्र कुपोषण उच्च स्तर पर बना हुआ है.
• बच्चों में वृद्धि अवरोध में कुल मिलाकर कमी देखी गई है लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मेघालय, मध्य प्रदेश और दादरा एवं नागर हवेली में यह उच्च स्तर पर बना हुआ है. इन राज्यों में 40 प्रतिशत से अधिक बच्चे वृद्धि अवरोध से ग्रसित हैं.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation