भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) बिल को आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा, जिसके बाद HECI का गठन होगा। इसका उद्देश्य मौजूदा उच्च नियामक संस्थाओं की जगह लेना है, जिनमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) शामिल हैं।
इस बिल से आर्किटेक्चर, कृषि और अन्य कई मौजूदा शिक्षा परिषदों की भूमिकाओं को फिर से तय किए जाने की उम्मीद है। UGC देश के विश्वविद्यालयों का नियमन करता है, जबकि मैनेजमेंट और अन्य तकनीकी संस्थान AICTE के दायरे में आते हैं और शिक्षक शिक्षा संस्थान NCTE के अंतर्गत हैं। UGC के विपरीत, HECI के पास अनुदान देने का अधिकार नहीं होगा। हालांकि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में एक संयुक्त नियामक संस्था बनाने पर जोर दिया गया है।
HECI बिल 2025 क्या है?
2018 में भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक का एक मसौदा तैयार किया गया था। इसका उद्देश्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 को खत्म करना और HECI को शिक्षा के लिए एक मुख्य निकाय के रूप में स्थापित करना था।
सरकार ने तीन समितियां बनाईं, जिनमें से एक को ट्रेनिंग और शिक्षा की देखरेख करने वाली पेशेवर परिषदों की समीक्षा का काम सौंपा गया था। उदाहरण के लिए, इसमें नेशनल काउंसिल फॉर होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी (NCHMCT), काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर (COA), फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI), इंडियन नर्सिंग काउंसिल (INC), और इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) शामिल हैं। हालांकि, कानून और मेडिकल के क्षेत्र नए भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) के दायरे में नहीं आएंगे। इन क्षेत्रों का नियमन बार काउंसिल ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) करते हैं। 2021 में, सरकार ने संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े पेशों और शिक्षा के लिए एक अलग नियामक संस्था बनाने के लिए कानून पारित किया था, जिसका नाम नेशनल कमीशन फॉर एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स (NCAHP) है।

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