सौरमंडल के बाहर से पहली बार मिले रेडियो संकेत, जानें विस्तार से

Dec 24, 2020, 10:33 IST

कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में पोस्टडॉक्टोरल रिसर्चर जेक डी टर्नर ने कहा कि रेडियो संकेत के जरिये हमने पहली बार सौर मंडल के बाहर ग्रह का पहला संकेत पेश किया है. 

First potential radio signal from exoplanet detected in Hindi
First potential radio signal from exoplanet detected in Hindi

वैज्ञानिकों के अंतरराष्ट्रीय टीम ने संभवत: पहली बार हमारे सौर मंडल के बाहर स्थित ग्रह से आ रहे रेडियो संकेतों का पता लगाया है. यह संकेत 51 प्रकाशवर्ष दूर स्थित ग्रह प्रणाली से आ रहे हैं. वैज्ञानिकों ने बताया कि नीदरलैंड स्थित रेडियो दूरबीन ने लो फ़्रीक्वेंसी एरे (LOFAR) का इस्तेमाल कर टाउ बूट्स (Tau Bootes) तारे की प्रणाली से आ रहे रेडियो संकेतों का पता लागया है.

जर्नल ‘ऐस्ट्रोनॉमी ऐंड एस्ट्रोफिजिक्स’ में प्रकाशित रिसर्च पेपर में बताया गया कि केवल टाउ बूट्स ग्रह प्रणाली से ही निकल रहे रेडियो संकेत का पता चला है जो शायद ग्रह के विशेष चुंबकीय क्षेत्र की वजह से निकल रहे हैं. इसके बहुत करीब गैस से बना ग्रह चक्कर लगा रहा है और जिसे कथित ‘गर्म बृहस्पति’ के नाम से भी जाना जाता है.

पहली बार रेडियो संकेत से खोज

कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में पोस्टडॉक्टोरल रिसर्चर जेक डी टर्नर ने कहा कि रेडियो संकेत के जरिये हमने पहली बार सौर मंडल के बाहर ग्रह का पहला संकेत पेश किया है. उन्होंने कहा कि ये संकेत टाउ बूट्स प्रणाली से आ रहे हैं जिसमें दो तारे और ग्रह है. हमने ग्रह से संकेत आने का मामला पेश किया है.

ग्रहों का पता लगाने के लिए नया मार्ग

वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर इस ग्रह की पुष्टि बाद के अध्ययन से होती है तो रेडियो संकेतों के जरिये सौर मंडल के बाहर के ग्रहों का पता लगाने का एक नया मार्ग खुलेगा और सैकड़ों प्रकाशवर्ष दूर की दुनिया के बारे में जानने का नया तरीका मिलेगा.

रिसर्चर जेक डी टर्नर ने कहा कि चुंबकीय क्षेत्र के आधार पर सौर मंडल के बाहर के ग्रह का पता लगाने से अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को उस ग्रह की बनावट और वायुमंडल के गुणों का पता लगाने में भी सहायता मिलेगी. साथ ही तारे और उसका चक्कर लगा रहे ग्रहों के भौतिक संबंध भी समझने में सहूलियत होगी.

चुंबीय क्षेत्र सौर तूफानों के खतरों से बचाता है

उल्लेखनीय है कि पृथ्वी का चुंबीय क्षेत्र सौर तूफानों के खतरों से बचाता है और इस ग्रह को जीवन लायक बनाता है. रिसर्चर जेक डी टर्नर ने कहा कि सौर मंडल के बाहर के ग्रह पर पृथ्वी जैसा चुंबकीय क्षेत्र संभावित जीवन योग्य अवस्था में योगदान दे सकता है क्योंकि यह उसके वायुमंडल को सौर तूफान और ब्रह्मांड के घातक किरणों से बचाता है और ग्रह के वायुमंडल को नष्ट होने से भी रोकता है.

बृहस्पति ग्रह से आ रहे रेडियो संकेतों का अध्ययन

उल्लेखनीय कि दो साल पहले रिसर्चर जेक डी टर्नर और उनके साथियों ने बृहस्पति ग्रह से आ रहे रेडियो संकेतों का अध्ययन किया था. बृहस्पति और अन्य ग्रहों से आने वाले रेडियो संकेत के नमूने ब्रह्मांड में पृथ्वी से 40 से 100 प्रकाशवर्ष दूर स्थित ग्रहों का पता लगाने में मददगार है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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