इसरो के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की पहली मानवरहित परीक्षण उड़ान, जो मूल रूप से इस वर्ष के लिए निर्धारित की गई थी, अब कोविड -19 लॉकडाउन के कारण 2021 तक विलंबित हो गई है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए लगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण अपनी गगनयान परीक्षण योजनाओं को फिर से निर्धारित करने का फैसला किया है. इसरो ने पहले घोषणा की थी कि, उन्होंने मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन से पहले दो मानवरहित परीक्षण उड़ानों की योजना बनाई थी.
यह निर्धारित किया गया था कि, पहली मानवरहित परीक्षण उड़ान दिसंबर 2020 में होगी और दूसरी परीक्षण उड़ान अगले वर्ष जुलाई 2021 में होगी .
क्या गगनयान मिशन में विलंब होगा?
इसरो के अधिकारियों के अनुसार, वर्ष 2020 और वर्ष 2021 क्रू मेंबर्स के साथ भारत की परिक्षण उड़ानों (ट्रायल फ्लाइट्स) की योजना बनाई गई थी, जोकि वर्ष 2022 के लिए निर्धारित वास्तविक मानवयुक्त मिशन - गगनयान से पहले की अवधि है. हालांकि, इस कोविड - 19 लॉकडाउन के कारण इन परीक्षणों की तैयारी पर प्रभाव पड़ने की वजह से इन परीक्षणों में कुछ विलंब हो सकता है. .
इसरो के अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान वर्ष के कार्यक्रम में गगनयान की मानव रहित उड़ान शामिल नहीं है. इस वर्ष की विभिन्न योजनाएं अन्य उपग्रह प्रक्षेपणों पर केंद्रित हैं. मानवरहित उड़ान के स्थगित होने से गगनयान मिशन की समग्र समयरेखा प्रभावित हो सकती है. गगनयान का उद्देश्य वर्ष 2022 तक मानव को अंतरिक्ष में भेजना है.
भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों ने अपना प्रशिक्षण फिर शुरू किया
रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोसमोस ने घोषणा की है कि भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों ने 12 मई को गगारिन रिसर्च एंड टेस्ट कॉसमोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (GCTC) में अपना प्रशिक्षण फिर से शुरू कर दिया है. इस साल के शुरू में इसरो द्वारा चुने गए IAF पायलटों ने गगनयान मिशन के संभावित उम्मीदवारों के तौर पर मॉस्को में प्रशिक्षण शुरू किया था. लेकिन मार्च में कोविड -19 के प्रकोप के कारण उनका प्रशिक्षण रोक दिया गया था.
गगनयान मिशन
अगस्त, 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के दौरान गगनयान मिशन की घोषणा की गई थी. इस मिशन का लक्ष्य 2022 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को 'गगनयान' के माध्यम से अंतरिक्ष पर ले जाना है.
गगनयान का लक्ष्य तीन सदस्यीय चालक दल को 300-400 किमी की कम दूरी पर पृथ्वी की कक्षा में ले जाना है. इस मिशन की लागत कुल मिलाकर लगभग 10000 करोड़ रुपये है.
महत्त्व
गगनयान इसरो द्वारा देश में ही विकसित पहला मानव मिशन होगा. यदि यह मिशन सफल रहा, तो भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा.
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