ग्लासगो क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस (COP26) में वर्ल्ड लीडर्स समिट की पूर्व संध्या पर, WMO की वर्ष, 2021 की अस्थायी स्टेट ऑफ क्लाइमेट की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि वर्ष, 1993 और वर्ष, 2002 के बीच औसत वैश्विक समुद्र स्तर की वृद्धि 2.1 मिमी प्रति वर्ष हुई थी और 2013 और वर्ष, 2021 के बीच यह वृद्धि 4.4 मिमी प्रति वर्ष थी.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने बीते रविवार को यह कहा कि, 10 साल की अवधि के भीतर वैश्विक औसत समुद्र स्तर दो गुना बढ़ गया है.
WMO की अस्थायी स्टेट ऑफ क्लाइमेट रिपोर्ट, 2021
ग्लासगो क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस (COP26) में वर्ल्ड लीडर्स समिट की पूर्व संध्या पर, WMO की 2021 की अस्थायी स्टेट ऑफ क्लाइमेट की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि वर्ष, 1993 और वर्ष, 2002 के बीच औसत वैश्विक समुद्र स्तर की वृद्धि 2.1 मिमी प्रति वर्ष हुई थी और 2013 और वर्ष, 2021 के बीच यह वृद्धि 4.4 मिमी प्रति वर्ष थी.
यह ज्यादातर ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों से बर्फ के द्रव्यमान के नुकसान के कारण था. आर्कटिक समुद्री बर्फ वर्ष, 1981-2010 के औसत से इस वर्ष मार्च में अपने अधिकतम स्तर से नीचे थी.
WMO की क्लाइमेट रिपोर्ट, 2021 का मुख्य विवरण
WMO ने यह भी कहा कि, इस साल जून और जुलाई की शुरुआत में लापतेव सागर और पूर्वी ग्रीनलैंड सागर क्षेत्रों में समुद्री बर्फ की मात्रा तेजी से घट रही है. नतीजतन, आर्कटिक में फैली समुद्री बर्फ की सीमा जुलाई की पहले पक्ष (पहले 15 दिन) में रिकॉर्ड स्तर तक कम थी.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन की स्टेट ऑफ द क्लाइमेट इन एशिया रिपोर्ट ने पिछले हफ्ते यह कहा था कि, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों, बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं के कारण भारत को पिछले साल 87 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था.
नई रिपोर्ट: भारत पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को बड़े पैमाने पर पूरा करने की राह पर
जलवायु वैज्ञानिकों ने यह कहा कि, समुद्र के स्तर में तेजी से वृद्धि भारत के 7,500 किमी से अधिक के भू-क्षेत्र को खतरे में डाल सकती है. महासागरों ने इस साल अर्थात वर्ष, 2021 में अत्यधिक गर्माहट दर्ज की है. समुद्र की ऊपरी 2,000 मीटर गहराई वर्ष, 2019 में गर्म होती रही, जो एक नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, लेकिन सात वैश्विक डाटा सेटों पर आधारित एक प्रारंभिक विश्लेषण से यह पता चलता है कि वर्ष, 2020 उस रिकॉर्ड को भी पार कर गया था.
वर्ष, 2021 के लिए वैश्विक औसत तापमान (जनवरी से सितंबर के आंकड़ों के आधार पर) वर्ष, 1850-1900 के औसत से लगभग 1.09 डिग्री सेल्सियस अधिक था. वर्तमान में किये गये विश्लेषण में WMO द्वारा उपयोग किए गए छह डाटा सेट्स विश्व स्तर पर रिकॉर्ड पर छठे या सातवें सबसे गर्म वर्ष के रूप में वर्ष, 2021 को स्थान देते हैं. लेकिन इस साल के अंत में इस रैंकिंग में बदलाव हो सकता है.
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