केंद्र सरकार ने धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं पर रोक लगाने हेतु देश के ई-कॉमर्स नियमों में बदलाव का प्रस्ताव दिया है. केंद्र सरकार ने कहा है कि जिन बदलावों का प्रस्ताव दिया गया है, उनमें कुछ तरह की फ्लैश सेल पर बैन और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की ओर से नियमों को नहीं मानने पर कार्रवाई शामिल है.
केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर गलत और भारी छूट के साथ धोखाधड़ी पूर्ण बिक्री पर प्रतिबंध लगाने व डीपीआईआईटी के साथ इन कंपनियों का पंजीकरण अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखते हुए उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 में संशोधन करने के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं.
उद्देश्य
मंत्रालय के मुताबिक, प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म में पारदर्शिता लाना और नियामक व्यवस्था को और मजबूत करना है.
मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित
मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित, ई-कॉमर्स नियमों में बदलाव के मुताबिक, ई-कॉमर्स फर्मों को पर्याप्त शिकायत तंत्र बनाने और मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त करना होगा. इसके अलावा इन कंपनियों को एक निवासी शिकायत अधिकारी भी नियुक्त करना होगा. यह अधिकारी भारत का निवासी होना चाहिए. साथ ही नोडल अधिकारी भी रखना होगा.
पंजीकरण कराने की योजना
सरकार ई-कॉमर्स संस्थाओं को उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) में पंजीकरण कराने की योजना भी बना रही है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने एक सार्वजनिक सूचना में कहा कि प्रस्तावित संशोधनों पर विचार/टिप्पणियां/सुझाव 15 दिनों के भीतर (6 जुलाई 2021 तक) ईमेल द्वारा जेएस-सीए@एनआईसी.आईएन (js-ca@nic.in) पर भेजे जा सकते हैं.
उल्लंघन करने पर दंडात्मक कार्रवाई
प्रस्तावित संशोधनों में ई-कॉमर्स संस्थाओं को किसी भी कानून के तहत अपराधों की रोकथाम, पता लगाने और जांच और अभियोजन के लिए सरकारी एजेंसी से आदेश प्राप्त होने के 72 घंटे के भीतर सूचना प्रदान करनी होगी. उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 को पहली बार पिछले साल जुलाई में अधिसूचित किया गया था. इसके उल्लंघन में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है.
ई-कॉमर्स प्रक्रिया में धोखाधड़ी
केंद्र सरकार ने एक अलग बयान में कहा कि उसे पीड़ित उपभोक्ताओं, व्यापारियों और संघों से ई-कॉमर्स प्रक्रिया में व्यापक धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ शिकायत के कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं. हालांकि, मंत्रालय ने कहा कि पारंपरिक तौर पर आयोजित होने वाली ई-कॉमर्स रियायती बिक्री पर प्रतिबंध नहीं होगा.
केंद्र सरकार ने क्या कहा?
केंद्र सरकार ने एक अलग बयान में कहा कि उसे पीडि़त उपभोक्ताओं, व्यापारियों और संघों से बहुत से शिकायती पत्र प्राप्त हुए हैं. इनमें कहा गया है कि ई-कॉमर्स कंपनियों पर बड़े पैमाने पर ग्राहकों से धोखाधड़ी हो रही है और उन्हें गैरजरूरी वस्तुएं खरीदने को गुमराह किया जा रहा है.
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