बिहार सरकार ने निकोटिन के गलत इस्तेमाल को रोकने के उद्देश्य से ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया है. तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम को बल प्रदान करते हुए बिहार में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाया गया है.
ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने वाला बिहार देश का आठवां राज्य है. इससे पहले पंजाब, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, मिजोरम, जम्मू कश्मीर एवं उत्तर प्रदेश में पाबंदी लग चुकी है.
बिहार सरकार द्वारा यह तय किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति ई-सिगरेट पीते हुए पकड़ा जाता है तो उसे तीन साल की सजा के साथ-साथ 5000 रुपए का जुर्माना भी लग सकता है. सरकार के इस निर्णय के बाद ई-सिगरेट के ऑनलाइन विज्ञापन पर भी रोक लगा दी गई है.
ई-सिगरेट से होने वाला नुकसान:
ई-सिगरेट से होने वाला उत्सर्जन भी फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. ई-सिगरेट से मसूड़ों और दांतों के लिए पारंपरिक सिगरेट की तरह ही नुकसानदायक हैं. जब ई-सिगरेट के वाष्प को जलाया जाता है तो यह कोशिकाओं के लिए सूजन वाले प्रोटीन जारी करती है. इससे कोशिकाओं में तनाव बढ़ जाता है, इसके परिणामस्वरूप कई तरह की मुंह की बीमारियों पैदा हो सकती हैं. ई सिगरेट से कैंसर का भी खतरा है.
ई-सिगरेट क्या है?
ई-सिगरेट या ईलेक्ट्रानिक सिगरेट ऐसा यंत्र है जो देखने में साधारण सिगरेट जैसा लगता है. इसमें एक बैटरी और एक कारट्रिज होती है. कारट्रिज में निकोटीन युक्त तरल पदार्थ होता है जो बैट्री की सहायता से गर्म होकर निकोटीन युक्त भाप देता है. उसे सिगरेट के धुएं की तरह लोग पीते हैं.
पृष्ठभूमि:
हाल ही में बिहार सरकार ने शराब बंदी के बाद से ई-सिगरेट पीने वालों पर शिकंजा कस दिया है. हालांकि यह कदम राज्य में बढ़ रहे निकोटीन के प्रयोग पर रोक लगाने के लिए लिया गया है. सरकार का कहना है कि ऑनलाइन बिक्री के आंकड़ों से यह पता चला है कि युवाओं द्वारा ई-सिगरेट का प्रयोग अधिक किया जा रहा है. विश्व भर में ई सिगरेट का चलन तेजी से बढ़ रहा है. ई सिगरेट में खुशबूदार द्रव का इस्तेमाल होता है, जिसमें कई बार निकोटीन भी होता है.
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