केंद्र सरकार ने उच्च गति वाले ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के साथ पूरे देश में एक लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को जोड़कर भारतनेट परियोजना का पहला चरण पूरा करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है.
भारतनेट चरण -1 के तहत तैयार नेटवर्क के अंतर्गत 2.5 लाख गांवों में उच्च गति की ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की गयी है, जिससे 200 मिलियन से भी अधिक ग्रामीण भारतीय लाभान्वित होंगे.
भारतनेट परियोजना के पहले चरण की उपलब्धियां
• परियोजना के प्रथम चरण के अंतर्गत 31 मई 2014 तक 4918 जीपीएस में काम शुरू किया गया तथा 358 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) डाली गई.
• 30 जून, 2016 तक 84,834 जीपीएस का काम शुरू हुआ तथा 1,24,817 किलोमीटर ओएफसी डाली गई थी.
• इससे देश में 53,557 जीपीएस कवर किए गए और 7229 जीपीएस सेवा के लिए तैयार हुए.
• 31 दिसम्बर, 2017 को 1,09,926 जीपीएस कवर करने के लिए 1,54,895 किलोमीटर ओएफसी डाली गयी जिसमें से 1,01,370 जीपीएस सेवा उपयोग के लिए तैयार है.
• परियोजना ने प्रतिदिन 800 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर डालकर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया है.
• भारतनेट अवसंरचना ग्रामीण गरीबों को स्वास्थ्य, शिक्षा, जीविका, कौशल, ई-कृषि तथा ई-वाणिज्य जैसी सेवाओं की डिजिटल सुपुर्दगी को प्रोत्साहित करेगी.
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भारतनेट परियोजना क्या है?
• केंद्र सरकार ने देशभर की ढाई लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ने के लिए भारतनेट परियोजना आरंभ की है.
• भारतनेट परियोजना के तहत ज़िला स्तर पर सभी सरकारी संस्थानों के लिये ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव पेश किया गया है.
• भारतनेट परियोजना को यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है.
• इस परियोजना के लिए ब्लॉक से ग्राम पंचायतों तक नए फाइबर केबल बिछाये जा रहे है.
• संचार मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार प्रखंड (ब्लॉक) और ग्राम पंचायतों के बीच असमान बैंडविथ के लिए वार्षिक शुल्क दरें 10 एमबीपी तक के लिए 700 रुपये प्रति एमबीपीएस और 1 जीबीपीएस के लिए 200 रुपये प्रति एमबीपीएस तय की गई हैं.
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